झुंझुनूं : मजदूरों के लिए बनी योजनाओं का विभागीय स्तर पर हो रहा बुरा हश्र हो रहा है। मजदूरों को बेटियों के हाथ पीले करने के लिए दी जाने वाली सहायता 5 साल तक भी विभागों के चक्कर लगाने के बाद हाथ खाली है। जो सहायता तुरंत मिलने चाहिए उसके मजदूर विभागों के चक्कर लगा रहे हैं।
मजदूरों की बेटियों के विवाह, शिक्षा, स्वयं के व्यवसाय के लिए शुरू की गई योजना शुभशक्ति भी फ्लॉप साबित हो रही है।
51 हजार ने किए आवेदन, 23 हजार को सहायता का इंतजार
इस योजना में भी 51 हजार 39 आवेदनों में से 23 हजार 148 बेटियों को मदद नहीं मिली है। इसमें से 14 हजार 23 के तो आवेदन निरस्त ही कर दिए गए हैं। इतनी बड़ी संख्या में चल रहे निरस्त और लंबित के खेल को राज्य सरकार भी गंभीरता से नहीं ले रही है।
ऑटो रिजेक्ट का खेल
इस योजना में भी बड़ी संख्या में आवेदन निरस्त होने की वजह ऑन लाइन प्रक्रिया के बाद ऑटो रिजेक्ट को बताया गया है। इसके अलावा विभाग के स्तर पर लंबित मामलों की लंबी फेहरिस्त है।
विवाह हुए 5 साल बीत गए, अभी तक मदद नहीं
आलम यह है कि 2016 और 2017 में विवाह योजना के तहत आवेदन करने वाली बेटियों के विवाह को पांच साल बीत गए हैं। तब 55000 रुपए की मदद होती तो बड़ा सहारा लगता लेकिन पांच साल में बढ़ी महंगाई के बावजूद अभी भी बेटियां राशि के लिए तकाजा कर रही है।
टूट गया बेटियों के रोजगार का मनोबल
इसी योजना में स्वरोजगार के लिए भी श्रमिक बेटियों ने आवेदन किया लेकिन उनको यह मदद भी नहीं मिली है। ऐसे में पांच साल पहले बना उनका मनोबल ही अब टूट गया है। मजदूर की बेटियां अब भी मजदूरी करने लगी हैं ताकि उनका गुजारा हो सके।
ये है योजना
राजस्थान शुभ शक्ति योजना के अंतर्गत श्रमिकों की बिटिया को शिक्षा, व्यवसाय प्रशिक्षण, स्वयं का व्यवसाय प्रारंभ करने, कौशल विकास प्रशिक्षण प्राप्त करने एवं अन्य घरेलू लघु उद्योग शुरू करने के लिए 55000 तक की सहायता की योजना है। यह योजना 2016 में प्रारंभ हुई थी।
इससे पहले चल रही विवाह सहायता योजना को बंद कर इसको प्रारंभ किया गया था। योजना के तहत जिले से मजदूर बेटियों के आवेदन आए जिनकी संख्या 23 हजार 148 रही, लेकिन इसमें से 14 हजार 23 को निरस्त कर दिया गया है। सहायता केवल 4 हजार 743 की हुई है।