भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। दरअसल, विजय माल्या के वकील ने उनका केस लड़ने से मना कर दिया है। वकील ने सुप्रीम कोर्ट से विजय माल्या के केस से बरी करने की गुहार लगाई है।
सुप्रीम कोर्ट से वकील ने कहा कि किंगफिशर के पूर्व प्रमुख विजय माल्या से उनकी लंबे समय से कोई बातचीत नहीं हुई है। उन्होंने आगे यह भी कहा कि वे इस मामले में अपनी ड्यूटीज से मुक्त होना चाहते हैं।
SC ने वकील को केस से नाम वापस लेने की अनुमति दी
सुप्रीम कोर्ट ने वकील से एक सप्ताह के भीतर माल्या के ई-मेल और रेसिडेंशियल एड्रेस कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा करने को कहा है। इतना ही नहीं SC ने वकील को माल्या के केस से अपना नाम वापस लेने की प्रोसेस शुरू करने की अनुमति भी दे दी है।
माल्या के वकील ने पूर्व शराब कारोबारी द्वारा दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान याचिका दायर की। जिसमें माल्या और उनके रिश्तेदारों के स्वामित्व वाली सभी संपत्तियों की जब्ती पर रोक लगाने की मांग की गई थी। माल्या ने याचिका दायर की थी कि किंगफिशर एयरलाइंस के अलावा और कोई संपत्ति कुर्क नहीं की जानी चाहिए।
माल्या पर बैंकों के 9,000 करोड़ रु न चुकाने का आरोप
11 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवमानना के एक मामले में विजय माल्या को 4 महीने की सजा सुनाए जाने के लगभग चार महीने बाद यह सुनवाई हुई है। माल्या 9,000 करोड़ रुपए के बैंक लोन न चुकाने के मामले में प्राथमिक आरोपी हैं, जिसमें माल्या की बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस भी शामिल है।
अवमानना केस में माल्या को 4 महीने कैद, ₹2000 जुर्माना
सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई को हुई सुनवाई में माल्या को 4 महीने की जेल की सजा सुनाई थी और 2,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया था। माल्या को 2017 में अदालत की अवमानना का दोषी पाया गया था। शीर्ष अदालत ने माल्या को चार सप्ताह के भीतर 8% ब्याज के साथ 40 मिलियन डॉलर यानी 317 करोड़ रुपए वापस जमा करने के लिए कहा था। इतना ही नहीं कोर्ट ने यह भी कहा था कि ऐसा नहीं करने पर उनकी संपत्तियों की कुर्की की जाएगी।
2017 में SC ने माल्या को दो मामलों में अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया था। पहला अदालत के आदेश का उल्लंघन करते हुए माल्या ने अपने बच्चों को 40 मिलियन डॉलर ट्रांसफर किए थे। दूसरा कर्नाटक हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेशों का भी माल्या ने उल्लंघन किया था।