सीकर : सीकर के जवान ने जयपुर में ट्रेनिंग के दौरान सोमवार शाम दम तोड़ दिया। अचानक हुए हादसे से साथी भी चौंक गए। घरवालों को बेटे की मौत की खबर लगी तो कोहराम मच गया। जवान का शव आज शाम तक लाया जाएगा। तिरंगा यात्रा के बाद सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। मौत के कारण का पता नहीं चला है। सेना के अधिकारियों ने बताया कि आर्मी हैडक्वार्टर और बोर्ड ऑफ इन्क्वायरी यह तय करेगा कि उन्हें शहीद का दर्जा दिया जाएगा या नहीं।
सीकर के रोहलसाबसर गांव के रहने वाले 30 साल के मुनाफ खान जयपुर में 24 ग्रेनेडियर में नायक पद पर तैनात थे। 10 साल से सेना में अपनी सेवा दे रहे थे। फिलहाल जयपुर में 24 ग्रेनेडियर में तैनात थे। हादसे की खबर के बाद उनके घर के बाहर आस-पास के लोग आ गए। रिश्तेदार भी जानकारी मिलने पर पहुंचे। सभी दो छोटी बच्चियों और परिवार को संभालने में लगे है। कर्नल राजेन्द्र सिंह जोधा ने बताया कि पार्थिव देह फतेहपुर के सदर थाना पहुंचेगी। उसके बाद थाने से पैतृक गांव तक तिरंगा यात्रा निकाली जाएगी। श्रद्धांजलि देने के बाद शव को सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा।
सेना से जुड़ा है परिवार
जवान 10 दिन पहले की गांव आए थे। करीब साल भर से ज्यादा समय से जयपुर में तैनात है। सूचना मिलने के बाद विधायक हाकम अली और लेफ्टिनेंट कर्नल अब्दुल खान जयपुर शव लेने पहुंचे। कल शाम पांच बजे के बाद हादसा बताया जा रहा है। उनका परिवार सेना से जुड़ा हुआ है। दादा इनायत खां भी सेना में थे। भाई सोहल खान भी जम्मू कश्मीर में तैनात है। जवान के दो महीने पहले ही बेटी का जन्म हुआ था। जिसका नाम अफीफा रखा था। बड़ी 4 साल की बेटी हलीमा है।
गांव के लड़कों के साथ लगाते थे दौड़
रोहलसाबसर के कई युवा में जाने की तैयारी कर रहे है। मुनाफ खां गांव आने के बाद उन्हें गाइड करते थे। युवाओं ने बताया कि 10 दिन पहले ही मुनाफ खां गांव आए थे। रात दो बजे घर आने के बाद भी अगले दिन सुबह 5 बजे ग्राउंड में पहुंच गए थे। वह रोज दौड़ लगाने के साथ और मेहनत करने करने को कहते थे। उनका सपना था कि गांव का युवा सेना में जाकर देश का नाम रोशन करें। गांव में वर्तमान समय में 40-50 जवान सेना में ड्यूटी दे रहे है। 150 से ज्यादा पूर्व सैनिक भी है।
देश के लिए सेवा करने का था जज्बा
विधायक हाकम अली ने बताया कि जवान मुनाफ खान ने देश की सेवा में वीरगति प्राप्त की है। उनको सच्चे मन से श्रद्धांजलि देता हूं। उनका पूरा परिवार सेना से जुड़ा हुआ है। दादाजी इनायत खां सेना में थे। मुनाफ खान का सपना था कि वह सेना में जाकर देश की सेवा करें और उसी जज्बे के कारण छोटी सी उम्र में ही वह सेना में भर्ती हो गए थे। उन्होंने कहा कि गांव के युवाओं को प्रेरणा देते थे कि वह भी सेना में जाए और देश का मान बढ़ाए।