जयपुर : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार में दरकिनार किए गए अधिकारी आखिर मुख्य धारा में लौट आए हैं। चुनावी साल में गहलोत पर अब परिणाम देने का दबाव है। ऐसे में अब उन अधिकारियों को याद किया गया है जिन्हें सरकार बदलते ही ठंडी पोस्टिंग में लगा दिया गया था। फिर चाहे बात आनंद कुमार की हो या फिर शिखर अग्रवाल की।
आशुतोष एटी भी अब मुख्यधारा में
खाद्य विभाग सचिव आशुतोष एटी पेडणेकर को अक्षय ऊर्जा निगम का जिम्मा दिया है। इनवेस्ट राजस्थान के दौरान अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में किए गए एमओयू को धरातल पर लाने का जिम्मा आशुतोष पर रहेगा। इस सरकार में आशुतोष स्वास्थ्य और उद्योग विभाग की कमान भी संभाल चुके हैं।
राजस्व, आपदा प्रबंधन जैसे विभागों की कमान संभाल चुके प्रमुख सचिव आनंद कुमार को सरकार मुख्यधारा में लेकर आई है। प्रदेश में बढ़ते अपराधों के बाद सरकार विपक्ष के निशाने पर है। ऐसे में आनंद कुमार को गृह विभाग की कमान सौंपना सरकार का महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
कांग्रेस सरकार के चार वर्ष के कार्यकाल में हाशिए पर चल रहे प्रमुख सचिव शिखर अग्रवाल पर सरकार ने चुनावी साल में भरोसा जताया है। उनको वन पर्यावरण विभाग के साथ ही जल संसाधन विभाग की कमान भी सौंपी गई है। केन्द्र और राज्य की सियासत में बीते अप्रेल माह में भूचाल लाने वाली पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को चुनावी साल में धरातल पर लाने का जिम्मा अग्रवाल के कंधों पर ही रहेगा। अग्रवाल भाजपा सरकार के समय दो वर्ष से अधिक समय तक जल संसाधन विभाग की कमान संभाल चुके हैं।
नवीन महाजन सात महीने में ही सचिवालय से बाहर
परवन सिंचाई परियोजना में शिकायतों के बाद सचिवालय से अजमेर भेजे गए आइएएस नवीन महाजन को सरकार बीते 13 अप्रेल को जयपुर ले आई और सार्वजनिक निर्माण विभाग की कमान सौंपी। सात महीने बाद ही सरकार ने उनको सचिवालय से बाहर भेज दिया। प्रमुख सचिव महाजन को प्रदूषण नियंत्रण मंडल की कमान सौंपी है।