विदेश-चीन : चीन में एक हफ्ते तक लंबा चलने वाला सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी का एक महत्वपूर्ण अधिवेशन खबरों में छाया हुआ है। इसकी शुरुआत रविवार यानी 16 अक्टूबर को हुई और यह 22 अक्टूबर तक ऐसे ही जारी रहने वाला है। बैठक की ओपनिंग सेरेमनी में चीन ने गलवान घाटी में अपने सैनिकों की भारतीय सेना के साथ हुई झड़प को याद किया है। बीजिंग के ‘ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल’ में आयोजित इस अधिवेशन में सेना का वो कमांडर भी शामिल हुआ, जो भारतीय सैनिकों से झड़प के बाद घायल हो गया था। इसका नाम की फबाओ है। वह पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और पीपुल्स आर्म्ड पुलिस के 304 प्रतिनिधियों में से एक है, जिन्हें पार्टी की सभी महत्वपूर्ण बैठक में भाग लेने के लिए चुना गया है।
20वीं कांग्रेस बैठक का उद्घाटन राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने किया। उन्होंने उद्घाटन के समय लगभग 2,300 प्रतिनिधियों और आमंत्रितों को संबोधित करते हुए एक लंबी रिपोर्ट पढ़ी। इस दौरान जिनपिंग ने स्थानीय युद्ध और सीमा मुद्दों का जिक्र करते हुए किसी खास देश का नाम नहीं लिया। जून 2020 में गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ झड़प में फबाओ घायल हो गया था। शी और अन्य नेताओं के ग्रेट हॉल के आयोजन स्थल पर पहुंचने से पहले पीएलए की गलवान झड़पों के वीडियो फुटेज के कुछ हिस्से, जिसमें फबाओ भी शामिल था, बड़े पर्दे पर चलाए गए थे। वीडियो में पीएलए रेजिमेंटल कमांडर फबाओ को भारतीय सैनिकों की तरफ जाते हुए देखा जा सकता है। दोनों देशों की सेनाओं के बीच ये झड़प 15 जून, 2020 को हुई थी।
सीपीसी की उपलब्धियों को दिखाया
ये वीडियो एक लंबी चौड़ी वीडियो का हिस्सा था, जिसमें सीपीसी को विभिन्न क्षेत्रों में मिली उपलब्धियों को दर्शाया गया था। वहीं पीएलए का ये वीडियो वही है, जो गलवान घाटी झड़प के बाद खूब वायरल हुआ था। चीन की एंटी-इंडिया यानी भारत विरोध कहानी का केंद्र की फबाओ है। उसका नाम फरवरी 2021 में सामने आया था। कहा गया कि चीनी सेना का ये अधिकारी गलवान घाटी झड़प में घायल हुआ है। उसे ”हीरो रेजिमेंटल कमांडर फॉर द डिफेंस ऑफ द बॉर्डर” यानी सीमा की रक्षा करने वाले हीरो की उपाधि से सम्मानित किया गया है। इस साल फरवरी में ही भारत ने बीजिंग में शीतकालीन ओलंपिक 2022 में खेलों के उद्घाटन और समापन दोनों समारोहों के राजनयिक बहिष्कार की घोषणा की थी क्योंकि चीन ने खेलों के उद्घाटन से पहले फबाओ को ही ओलंपिक की मशाल पकड़ने के लिए चुना था। बीजिंग खेलों में मशाल थामने वाले 1200 लोगों में फबाओ भी शामिल था।
वहीं शी जिनपिंग ने अपने भाषण में सेना को लेकर भी विस्तार से बात की है। उन्होंने कहा कि उनकी अगुवाई में चीन की सेना ‘रणनीतिक प्रतिरोध’ की मजबूत प्रणाली बनाने के साथ ही ‘लड़ने और जीतने’ के लिए सैन्य प्रशिक्षण और लड़ाकू तैयारियों को तेज करेगी। शी ने सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की पांच साल में एक बार होने वाली कांग्रेस में अपनी कार्य रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘हम सैन्य प्रशिक्षण तेज करेंगे और हर स्तर पर लड़ाकू तैयारियों को बढ़ाएंगे ताकि हमारे सशस्त्र बल लड़ें और जीतें।’ पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की सर्वोच्च कमान केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) की अगुवाई करने वाले शी ने अपनी 63 पन्नों की रिपोर्ट में एक विशेष हिस्सा सेना को समर्पित किया है।
घटना के बाद से दोनों देशों में तनाव
भारत चीन सीमा पर, विशेषकर मई 2020 से पूर्वी लद्दाख में टकराव की स्थिति को देखते हुए शी की योजना भारतीय सैन्य बलों के लिहाज से भी गौर करने वाली लगती है। चीन की पीएलए की हमले वाली कार्रवाइयों के कारण मई 2020 में टकराव पैदा हुआ था, जिसके बाद दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में तनाव आ गया था। दोनों पक्षों ने 16 दौर की वार्ता के माध्यम से कुछ मुद्दों का हल निकाला है और लंबित विषयों के समाधान के लिए और अधिक बातचीत करने पर सहमत हुए हैं। शी ने स्थानीय जंग और सीमा मुद्दों का जिक्र करते हुए किसी देश विशेष का नाम नहीं लिया।
अपनी रिपोर्ट में शी ने कहा कि 2027 में पीएलए के पूर्ण सत्र के लक्ष्यों को प्राप्त करना और चीन के सशस्त्र बलों को और अधिक तेजी से विश्वस्तरीय मानकों तक पहुंचाना एक आधुनिक समाजवादी देश के निर्माण के लिए रणनीतिक कार्य हैं। उन्होंने कहा, ‘हम रणनीतिक प्रतिरोध की मजबूत प्रणाली स्थापित करेंगे, नई लड़ाकू क्षमताओं के साथ नए क्षेत्रीय बलों का अनुपात बढ़ाएंगे, मानवरहित एवं कुशाग्र लड़ाकू क्षमताओं के विकास को गति प्रदान करेंगे और नेटवर्क सूचना प्रणाली के समन्वित विकास और अनुप्रयोग को बढ़ावा देंगे।’
सेना के लड़ने के लिए की जा रहीं तैयारी
शी ने कहा, ‘हम संयुक्त परिचालनों के लिए कमान प्रणाली को उन्नत करेंगे और निगरानी और त्वरित चेतावनी, संयुक्त हमलों, युद्ध क्षेत्रों में सहयोग एवं एकीकृत साजो-सामान समर्थन के लिए अपनी प्रणाली और क्षमता का विस्तार करेंगे।’ संसाधन संपन्न हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते सैन्य अभियानों के बीच शी के बयान महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। चीन लगभग पूरे विवादित दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है, हालांकि ताइवान, फिलीपीन, ब्रूनेई, मलेशिया और वियतनाम इसके हिस्सों पर अपना दावा करते हैं। बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान बनाए हैं। चीन का पूर्वी चीन सागर में जापान के साथ भी क्षेत्रीय विवाद चल रहा है।
शी ने कहा, ‘हम नियमित आधार पर और विविध प्रकार से अपने सैन्य बलों को तैनात करने में सक्षम बनेंगे और हमारी सेना अपने अभियानों में दृढ़ और लचीला दोनों तरह का रुख रखेगी। यह हमें हमारे सुरक्षा अवस्थाओं को आकार देने, संकटों और संघर्षों का प्रतिरोध और प्रबंधन करने और स्थानीय युद्धों को जीतने में समर्थ बनाएगा।’ उन्होंने कहा, ‘हम सेना और सरकार के बीच और सेना और जनता के बीच एकता को मजबूत करेंगे।’