2016 की नोटबंदी के समय केंद्र सरकार को उम्मीद थी कि भ्रष्टाचारियों के घरों के गद्दों-तकियों में भरकर रखा कम से कम 3-4 लाख करोड़ रुपए का काला धन बाहर आ जाएगा। पूरी कवायद में काला धन तो 1.3 लाख करोड़ ही बाहर आया…मगर नोटबंदी के समय जारी नए 500 और 2000 के नोटों में अब 9.21 लाख करोड़ गायब जरूर हो गए हैं।
दरअसल, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की 2016-17 से लेकर ताजा 2021-22 तक की एनुअल रिपोर्ट्स बताती हैं कि RBI ने 2016 से लेकर अब तक 500 और 2000 के कुल 6,849 करोड़ करंसी नोट छापे थे। उनमें से 1,680 करोड़ से ज्यादा करंसी नोट सर्कुलेशन से गायब हैं। इन गायब नोटों की वैल्यू 9.21 लाख करोड़ रुपए है। इन गायब नोटों में वो नोट शामिल नहीं हैं जिन्हें खराब हो जाने के बाद RBI ने नष्ट कर दिया।
कानून के मुताबिक ऐसी कोई भी रकम जिस पर टैक्स न चुकाया गया हो, ब्लैक मनी मानी जाती है। इस 9.21 लाख करोड़ रुपए में लोगों की घरों में जमा सेविंग्स भी शामिल हो सकती है। मगर उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान इत्र कारोबारी पर पड़े छापों से लेकर हाल में पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी के करीबियों के पड़े छापों तक हर जगह बरामद ब्लैक मनी में 95% से ज्यादा 500 और 2000 के नोटों में ही था। आरबीआई के अधिकारी भी नाम न छापने की शर्त पर स्वीकार करते हैं कि सर्कुलेशन से गायब पैसा भले ही आधिकारिक तौर पर ब्लैक मनी न माना जाए मगर आशंका इसी की ज्यादा है कि इस रकम का बड़ा हिस्सा ब्लैक मनी है।
सरकार मानती नहीं, मगर 500 और 2000 के नोटों में ही जमा होती है ब्लैक मनी…तभी 2019 से 2000 के नोटों की छपाई बंद
अधिकारी यह मानते हैं कि काला धन जमा करने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल बड़े डिनॉमिनेशन के यानी 500 और 2000 के नोटों का इस्तेमाल होता है। शायद इसी वजह से 2019 से 2000 के नोटों की छपाई ही बंद है। मगर 500 के नए डिजाइन के नोटों की छपाई 2016 के मुकाबले 76% बढ़ गई है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि घरों में इस तरह जमा कैश कुल काले धन का 2-3% ही होता है। ऐसे में स्विस बैंक्स में जमा भारतीयों के काले धन पर 2018 की एक रिपोर्ट इस बात की आशंका बढ़ा देती है कि सर्कुलेशन से गायब 9.21 लाख करोड़ की राशि ब्लैक मनी ही हो। इस रिपोर्ट के मुताबिक स्विस बैंक्स में भारतीयों का काला धन 300 लाख करोड़ है। इस राशि का 3% करीब 9 लाख करोड़ रुपए ही होता है।
बंद नहीं हुआ जाली करंसी बनना…
नए नोट बनते ही जाली भी बनेदावा था कि नए डिजाइनके नोटों की जाली करंसी बनना असंभव है।नए नोट्स में जाली करंसी बनना कम हुआ है, बंद नहीं हुआ।जिस साल नए डिजाइन के नोट जारी हुए, उसी सालजाली नोट भी आ गए। 2016 में 2000 के 638 और 500 के 199 जाली नोटRBI को मिले।6 सालों में 2000 के 79836 और 500 के 1.81 लाख जाली नोट मिले हैं। 2016 की नोटबंदी के समय केंद्र सरकार को उम्मीद थी कि भ्रष्टाचारियों के घरों के गद्दों-तकियों में भरकर रखा कम से कम 3-4 लाख करोड़ रुपए का काला धन बाहर आ जाएगा। पूरी कवायद में काला धन तो 1.3 लाख करोड़ ही बाहर आया ही मगर नोटबंदी के समय जारी नए 500 और 2000 के नोटों में अब 9.21 लाख करोड़ गायब जरूर हो गए हैं।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया 2019-20 से 2000 के नए नोट नहीं छाप रहा है, पर 500 के नोटों की छपाई 2016 के मुकाबले 76% बढ़ गई है। RBI ने कभी भी आधिकारिक तौर पर यह स्वीकार नहीं किया है कि सर्कुलेशन से नोटों के गायब होने की वजह क्या है। इसका सबसे बड़ा कारण लोगों का करंसी जमा करके रखना है।
RBI 2022 में 2000 के नोट पसंद नहीं करते लोग…..
छापना 2019 में ही बंद कर दिया 2021-22 की एनुअल रिपोर्ट में RBI ने अपने एक सर्वे का जिक्र किया है।सर्वे के मुताबिक सबसे कम पसंद किया जाने वाला नोट 2000 का है।सर्वे के बहुत पहले 2019 से ही RBI ने 2000 के नोट छापना बंद कर रखा है।यह माना जाता है कि कालाधन बड़े डिनॉमिनेशन के नोट्स में ज्यादा होता है।2000 के नोट न छापने को भी कुछ एक्सपर्ट्स इसी उपाय का हिस्सा मानते हैं।
तो फिर नोट गायब कैसे होता है?
एक पीरियड में प्रिंट नोटों की संख्या से नष्ट किए नोटों की संख्या घटा दें तो बचे नोट सर्कुलेशन में होने चाहिए। असल में सर्कुलेशन में चल रहे नोटों की संख्या कम हो तो मतलब है कि बाकी नोट बैंकिंग सिस्टम से गायब हैं।
2016 में कुल करंसी वैल्यू का 50% 2000 के नोटों में था… अब 13.8%
साल कुल करंसी की वैल्यू 2000 के नोटों की वैल्यू कुल वैल्यू में हिस्सा
2016-17 13.10 लाख कोड़ 6.57 लाख करोड़ 50.2%
2021-22 31.06 लाख करोड़ 4.28 लाख करोड 13.8%
500 के नोटों की करंसी वैल्यू में हिस्सेदारी 22% से 73% तक पहुंची
साल कुल करंसी की वैल्यू 500 के नोटों की वैल्यू कुल वैल्यू में हिस्सा
2016-17 13.10 लाख करोड़ 2.94 लाख करोड़ 22.5%
2021-22 31.06 लाख करोड़ 22.77 लाख करोड़ 73.3%
6479 करोड़ 500 के नए नोट 6 साल में प्रिंट हुए, 2000 के 54 करोड़ नोट गायब जिसकी कुल कीमत 1.09 लाख करोड़
370 करोड़ 2000 के नोट 6 साल में प्रिंट हुए थे102 करोड़ नोट 6 साल में नष्ट किए गए 268 करोड़ 2000 के नोट अभी सर्कुलेशन में होने चाहिए 214.2 करोड़ नोट ही 2021-22 में सर्कुलेशन में हैं54 करोड़ 2000 के नोट सर्कुलेशन से गायब हैं इनकी वैल्यू 1.08 लाख करोड़ रुपए है.298 करोड़ नोट नष्ट करने पड़े6181 करोड़ 500 के नोट अभी सर्कुलेशन में होने चाहिए 4555 करोड़ 500 के नोट 2021-22 में सर्कुलेशन में थे 1626 करोड़ 500 के नोट सर्कुलेशन से गायब हैं इन गायब नोटों की वैल्यू 8.13 लाख करोड़ रुपए है.
एक करंसी नोट के बनने से नष्ट होने तक का सफर
4882 RBI, सेंट्रल बोर्ड और केंद्र सरकार की सलाह से हर साल तय करता है कि किस डिनॉमिनेशन के कितने नोट छापे जाएं।RBI नासिक (महाराष्ट्र), देवास (मप्र), मैसूर (कर्नाटक) और सालबनी (प. बंगाल) स्थित करंसी प्रिंटिंग प्रेस को छपाई के ऑर्डर देता है।छपने के बाद नोट बैंकों को बांटे जाते हैं। इ
सके लिए 19 शहरों में RBI के करंसी इश्यू ऑफिस हैं। इसके अलावा शेड्यूल्ड बैंकों के 3054 चेस्ट ब्रांच के जरिये भी बैंकों को नोट दिए जाते हैं।नोटों को लोगों तक पहुंचाते हैं। हर विदड्रॉल पर जरूरत के हिसाब से नए नोट दिए जाते हैं।लोगों के हाथों-बटुओं से गुजरने में नोट डैमेज होता है। 500-2000 के नोट आमतौर पर 5 से 7 साल तक चलते हैं। लगातार सर्कुलेशन में रहा कोई ज्यादा घिसा या फटा नोट बैंक में पहुंचता है तो उसे RBI भेज दिया जाता है। RBI क्वालिटी देखकर तय करता है कि नोट टि-इश्यू किया जाए या नष्ट कर दिया जाए।