करोड़ो के घोटालो पर CBI RAID ! HCL के रिटायर्ड CMD के घर CBI की छोपेमारी

13 लोगों की संयुक्त टीम ने की छापेमारी

हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड एचसीएल के रिटायर्ड अध्यक्ष सह प्रबंधक निदेशक सीएमडी संतोष शर्मा के घर पर सीबीआई की 13 सदस्यीय टीम ने 2 सितम्बर 2022 सुबह करीब 5 बजे छापेमारी की। दिल्ली और रायपुर के दुर्ग जिले के भिलाई सेक्टर-2, तालपुरी और मैत्रीकुंज के बंगलों पर की गई छापेमारी के बाद हड़कंप मच गया है। संतोष शर्मा के तीनों निवास में दस्तावेजों की छानबीन एवं जांच चल रही है। इस कारवाई के दौरान सीबीआई ने आर्थिक अनियमितता से जुडे़ सभी दस्तावेजों को जब्त किया है। इसके बाद रविवार को सीबीआई ने मलाजखंड पहुंचकर दस्तावेजों की जांच की और दस्तावेज जब्त किए है।

दिल्ली से पहुंचे सीबीआई के अधिकारियों ने 2 सितम्बर 2022 को एचसीएल के तत्कालीन सीएमडी कैलाशधर दीवान, पूर्व कार्यकारी निदेशक दिलीप कुमार महाजन, महाप्रबंधक विनय कुमार सिंह, तत्कालीन निदेशक व पूर्व सीएमडी संतोष शर्मा तथा तत्कालीन सहायक महाप्रबंधक विवेक गुप्ता की सीबीआई की जांच अभी जारी है। सीबीआई ने कार्यवाही को गोपनीय रखा है। अधिकारी मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं। सीबीआई के दिल्ली से आए 9 बड़े अधिकारियों ने रायपुर सीबीआई के 5 अधिकारीयों की टीम के साथ मिलकर यह छापेमारी की है। जांच के समय संतोष शर्मा अपने भिलाई स्थित बंगले में ही मौजूद थे। बीएसपी के पूर्व अधिकारी रहे चुके संतोष शर्मा जानकारी के अनुसार साल 2013 तक भिलाई स्टील प्लांट में डीजीएम प्रोजेक्ट के पद पर कार्यरत थे। अपने सेल में सीनियर ऑफिसर रहे केडी दीवान जो उस समय हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड के चेयरमेन थे, उनके कहने पर साल 2013 में बीएसपी से रिजाइन देकर एचसीएल ज्वाइन किया था। दीवान के रिटायरमेंट के बाद संतोष शर्मा एचसीएल के अध्यक्ष सह प्रबंधक निदेशक बनाए गए। इस पद से वो दो साल पहले ही रिटायर हुए हैं। वर्तमान में संतोष शर्मा कर्नाटक की एक कंपनी के डीजीएम कंसल्टेंट हैं।

सीबीआई के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एचसीएल में वर्ष 2016-2020 के दौरान मलाजखंड व खेतड़ी कॉपर प्रोजैक्ट की खदानों के लिए जो अनुबंध किए गए थे, उनमें अनयिमितता पाई गई। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि तत्कालीन सीएमडी कैलाश धर दीवान ने तत्कालीन निदेश्क संतोष शर्मा व तत्कालीन एजीएम विवेक गुप्ता के साथ मिलकर साजिश रची और खेतड़ी कॉपर प्रोजेक्ट में लगभग 10 करोड़ का पायलट प्लांट लगाया गया। इन्होंने खेतड़ी कॉपर काम्प्लेक्स के पायलट प्लांट में टेलिंग्स से सोना, चांदी व सिलिका धातु निकालने का ठेका स्टार टत्र्ेस प्राइवेट लिमिटेड ;एसटीपीएलद्ध चेन्नई को दिया था। अपेक्षित मात्रा में कोई धातु न निकलने की वजह से यह प्लांट बंद करना पड़ा।

इसलिए पड़ी सीबीआई की रेड

सीबीआई के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एचसीएल में वर्ष 2016-2020 के दौरान मलाजखंड व खेतड़ी कॉपर प्रोजैक्ट की खदानों के लिए जो अनुबंध किए गए थे, उनमें अनयिमितता पाई गई। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि तत्कालीन सीएमडी कैलाश धर दीवान ने तत्कालीन निदेश्क संतोष शर्मा व तत्कालीन एजीएम विवेक गुप्ता के साथ मिलकर साजिश रची और खेतड़ी कॉपर प्रोजेक्ट में लगभग 10 करोड़ का पायलट प्लांट लगाया गया। इन्होंने खेतड़ी कॉपर काम्प्लेक्स के पायलट प्लांट में टेलिंग्स से सोना, चांदी व सिलिका धातु निकालने का ठेका स्टार ट्रेस प्राइवेट लिमिटेड ;एसटीपीएलद्ध चेन्नई को दिया था। अपेक्षित मात्रा में कोई धातु न निकलने की वजह से यह प्लांट बंद करना पड़ा।

ठेका कंपनी को 100 करोड़ भुगतान का मामला 

इसी दौरान कैलाश धर दीवान, संतोष शर्मा, विवेक गुप्ता, विनय कुमार सिंह ने खेतड़ी में पायलट प्लांट शुरू होने से पूर्व ही एचसीएल मलाजखंड में वेस्ट रेत और मिट्टी मिट्टी से सोना सहित अन्यु बहुमुल्य धातु निकालने का एक प्लांट स्थापित करने की योजना बनाई थी। यह संयंत्र करीब 280 करोड़ रूपए की लागत से तैयार होना था। संयंत्र की स्थापना के लिए मेसर्स स्टार ट्रेस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी चेन्नई को वर्ष 2017 में नियम के विरूद्ध तरीके से सिंगल टेंडर पर ही ठेका दे दिया गया था। जिसमें करीब 170 करोड़ रूपए प्लांट लगाने के लिए और करीब 110 करोड़ रूपए 55 करोड़ रूपए प्रतिवर्ष के हिसाब से ऑपरेशन कास्ट शामिल है। टेंडर के बाद मेसर्स स्टार ट्रेस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी चेन्नई को सीएमडी रहते हुए संतोष शर्मा द्वारा करीब 100 करोड़ रूपए का भुगतान कर दिया गया था। जबकि भुगतान की गई राशि के एवज में मौके पर उतना कार्य नहीं हुआ था। भुगतान प्राप्त करने के बाद कंपनी ने काम बंद कर दिया था। इसके बाद जब एसटीपीएल के ब्लैक लिस्ट होने की नौबत आइ्र तो उसे बचाने के लिए एक सलाहकार कंपनी मैसर्स एमएन दस्तूर, चेन्नई की सेवाएं लीं। इस कंपनी को 1 करोड़ 44 लाख रूपये का भुगतान किया गया। केसीसी में काम बंद करने वाली कंपनी को ही मलाजखंड में कार्य करने का ठेका क्यों दिया गया, यह शंका के घेरे में है। इसके बाद उसे बचाने पर भी रूपये खर्च करने से कंपनी और अधिकारियों के बीच मिलीभगत की बात पुख्ता होती है। इस तरह से पूर्व सीएमडी संतोष शर्मा सहित अन्य अधिकारियों द्वारा पद में रहते हुए आर्थिक अनियमितता की गई थी।

इस मामले की शिकायत के आधार पर सीबीआई जांच कर रही थी। बताया गया है कि सीबीआई द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में पूर्व सीएमडी संतोष शर्मा और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर दिलीप महाजन जांच के दायरे में आए थे। इसी के चलते डायरेक्टर दिलीप महाजन को बर्खास्त कर दिया गया था। जबकि सीएमडी संतोष शर्मा के एचसीएल से सेवानिवृत होने के बाद करीब 75 लाख रूपये की राशि एचसीएल ने रोक रखी है। सभी की एक ही मांग है इस सबकी निष्पक्ष जांच सीबीआई से होनी चाहिए और दोषियों को कठोर सजा मिलनी चाहिए।

 

विदित हो कि धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपत्त्म के दो पूर्व सीएमडी और कार्यकारी निदेशक सहित हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के पांच अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जिसमें तत्कालीन सीएमडी कैलाशधर दीवान, पूर्व कार्यकारी निदेशक सामग्री और अनुबंध दिलीप कुमार महाजन, महाप्रबंधक परियोजना विनय कुमार सिंह, तत्कालीन निदेशक संचालनद्ध व पूर्व सीएमडी संतोष शर्मा और सहायक महाप्रबंधक ;औद्योगिक इंजीनियरिंगद्ध विवेक गुप्ता शामिल है।

एचसीएल के केसीसी प्रोजेक्ट की भी सीबीआई जांच की मांग!!

मेरी निजी राय है की सीबीआई ने जो किया बहुत ही अच्छा किया। इसकी और भी गहनता से जांच होनी चाहिए। ऐसा ही एक प्लांट, पायलट प्लांट केसीसी में भी लगा था, उसकी भी जांच होनी चाहिए और साथ ही मान्यता प्राप्त यूनियन की भी जांच होनी चाहिए मुझे इनकी भी सहभागिता लगती है । कैलाशधर दीवान, संतोष शर्मा, विवेक गुप्ता, विनय कुमार सिंह, दिलीप कुमार महाजन और अन्य की भी जांच होनी चाहिए। दोषियों को सजा मिलनी चाहिए और रिकवरी का पूरा पैसा उनकी बनाई गई सम्पत्ति से वसूल करना चाहिए।

– राजकुमार बाडेटिया,राष्ट्रीय सचिव-नेशनल फ्रंट ऑफ इंडिया ट्रेड यूनियन महा मंत्री, खेतड़ी कॉपर श्रमिक फ्रंट (KCSF)

मेरा कहना तो यही है कि विश्व में इस तरह का आज तक कोई प्लांट लगा कर बहुमुल्य धातु निकालने का कोई उदाहरण या प्रमाण नहीं है । इसलिए इस प्लांट को लगाने का कोई औचित्य नहीं था । इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए। इससे संबंधित 10 करोड़ का पायलट प्लांट केसीसी में भी स्थापित किया गया था । उसकी क्या रिपोर्ट आई उसके बारे में मुझे नहीं पता । उच्च अधिकारियों ने उसे गोपनीय रखा है। किन्तु यह पता लगा कि वो रिपोर्ट पोजिटिव नहीं थी। उससे ज्यादा कुछ और मिला नहीं । जब केसीसी पायलट प्लांट से रिपोर्ट पोजिटिव नहीं आई तो मलाजखंड में नया प्लांट लगाया ही क्यों ? इसलिए मैं इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच की मांग रखता हूँ । इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।

-बिड़दूराम सैनी, महा मंत्री खेतड़ी तांबा श्रमिक संघ (KTSS)

इस बारे में हमारी यूनियन ने अपने लेटर पेड पर कई बार शिकायत की, जहां तक मुझे पता है कि पूर्व सीएमडी शकिल अहमद थे जो कि रेलवे से आये थे बहुत ही इमानदार सीएमडी थे वो हमारे यहां करीब 1300 करोड़ रूपये की राशि डिपॉजिट के तौर पर छोड़ कर गये थे । उसके बाद में जितना प्रोफिट आया उसे इन दोनो रिश्तेदार के.डी दिवान और संतोष शर्मा पूरा डकार गये और कई फर्जी भर्तियां पैसे लेकर की गई । एक अनुपम आन्नद था, जिसका पांच साल पूरा हो गया था जिसका विजलेंस रिपोर्ट क्लियर नहीं हो रहा था उसके बाद भी उसका कार्यकाल आगे बढ़ाया गया विजिलेंस रिपोर्ट क्लियर करने के लिए। इसकी शिकायत भी मैने कई बार की, जिस पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। पायलट प्लांट की पोजिटिव रिपोर्ट आये बिना ही मलाजखंड कॉपर प्रोजेक्ट में 280 करोड़ का नया COT प्लांट लगाने कि क्या जरूरत थी ? प्लांट की रिर्पोट को पी. रजक डीजीएम से मिलकर सेम्पल के साथ छेड़खानी करके गलत रिपोर्ट भी पेश की गई। इसकी भी जांच होनी चाहिए। इसी तरह से केसीसी प्रोजेक्ट में 8 से 10 हजार करोड़ के कई घपले होते रहते है । केसीसी से कंसट्रेट कि टॉल स्मेलटिंग कराने का घपला है । कंसट्रेट में तांबे व अन्य धातुओं कि मात्रा कम दिखाकर, कंसट्रेट में 10 प्रतिशत नमी बता कर 10 प्रतिशत वेस्ट स्मेलटिंग रिपोर्ट में हेर-फेर करके हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड को नुकसान पहुचाया जाता रहा हैं। स्मेल्टर, रिफाइनरी और ऐसिड प्लांट को काट कर दिल्ली के पास फरीदाबाद की पार्टी को बेच दिया गया। स्क्रेप के नाम पर 200 हॉर्स पावर की मोटरे और जिंक भी कबाड़ी के भाव बेच दिया। टेंडर किसी और सामान का हुआ और यहां से गया कुछ और सामान। यहाँ बहुत ज्यादा भ्रष्टाचार हो रहा है यह तो सफेद हाथी हो रखा है । मै तो यहीं चाहता हूँ कि कम से कम शकील अहमद के बाद तो सब तरह की जांच हो, ये दोनो जो ऐसिड प्लांट बेचे थे, एक स्मेलटर प्लांट बेचा था उसकी भी जांच होनी चाहिए। हमारी रेलवे लाईन थी डाबला से लेकर कॉपर प्रोजेक्ट तक थी उसे सिर्फ 7 करोड़ में बेच दी गई। जिस प्लांट को लगाने के बाद कोई आउटपुट नहीं मिला, फिर उसकी तर्ज पर मलाजखंड में 280 करोड़ का प्लांट लगाने की क्या जरूरत आन पड़ी। इस सबकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषियों को कठोर सजा मिलनी चाहिए।

-श्यामलाल सैनी, महा मंत्री-खेतड़ी कॉपर मजदूर संघ (KCMS)

सीबीआई ने शिकायत मिलने पर 2 पूर्व सीएमडी व अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है। लेकिन अभी तक केसीसी के COT प्लांट की तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया है। केसीसी में लगभग दस करोड़ की लागत का एक ताम्र अयस्क अवशिष्ट से खनिज एवं धातु प्राप्ति का प्रायोगिक संयंत्र (पायलट प्लांट) स्थापित किया गया था। 17 जनवरी 2016 को इस पायलट प्लांट का शिलान्यास केडी दीवान के हाथों एस नंदा (निदेशक प्रचालन), वीवी वेणुगोपाल राव (निदेशक वित्त), एसके भट्टाचार्य ( निदेशक खान) व एके सेन तत्कालीन कार्यपालक निदेशक केसीसी की उपस्थिति में हुआ । दिनांक 1 अप्रैल 2016 को भारत सरकार के खान सचिव बलविंदर सिंह ने पायलट प्लांट का उद्घाटन किया। बताया गया कि इस प्लांट द्वारा ताम्र आयस्क अवशिष्ट से कीमती धातु प्राप्त की जायेंगी। इसके लिये प्रति माह लगभग 10.5 लाख रूपए का रनिंग बिल का भुगतान भी 3 वर्ष तक किया गया। लेकिन इस प्लांट से आज तक कितनी कीमती धातुएं प्राप्त की गई ये जवाब कोई नहीं देता। मान्यता प्राप्त यूनियन भी इस मामले में चुप्पी साधे हुए है। इसलिए सीबीआई को केसीसी के पायलट प्लांट के घोटाले की जांच करनी चाहिए तथा लिप्त अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज कर वसूली की जानी चाहिए। पायलट प्लांट के अलावा केसीसी में न्यू सल्फ्यूरिक एसिड प्लांट की स्थापना की गई वो प्लांट एक दिन भी नहीं चला जिसे बंद कर दिया गया था। न्यू सल्फ्यूरिक एसिड प्लांट को कोड़ियों के भाव बेच दिया। बेचने की टेंडर प्रक्रिया की जांच होनी चाहिए। इसी तरह से काफी मशीनरी मंगवाई गई है जो एक दिन भी काम नहीं आई। झगड़िया कॉपर प्लांट खरीदने, अधिकारियों की भर्ती करने व इस प्लांट के बंद होने की भी जांच होनी चाहिए। यदि सीबीआई केसीसी में जांच करती है तो और भी घोटालों का खुलासा होने की संभावना है। कुछ उच्चाधिकारियों को सेवानिवृत्ति के पश्चात उसी स्थान पर पुनः एडवाइजर या अन्य पद पर रखा जाता है जो कि नियमानुसार गलत है। इसके अलावा एक कंपनी के मार्फत कर्मचारियों और अधिकारियों की भर्ती की जाती है, उनको वेतन भुगतान एचसीएल द्वारा किया जाता है। संबंधित अधिकारियों से इन कर्मचारियों की भर्ती या डॉक्यूमेंट्स के बारे में पूछने पर कहा जाता है कि इसकी जिम्मेदारी संबंधित ठेका कंपनी की है। ये भी एक बड़ा घोटाला है। इसकी जांच होनी चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।

-हसरत हुसैन, प्रदेश अध्यक्ष-नेशनल फ्रंट ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (NFITU)

जिसने गलत किया है उसे सजा मिलनी चाहिए और जांच होनी चाहिए यह हमारी यूनियन की मांग हैं। सरकारी संस्था में जितने भी सीएमडी आये है सबने इसे खा-खा कर खोखला कर दिया। इनकी जड़े बहुत गहरी है। जांच निष्पक्ष होनी चाहिए और दोषी को सजा मिलनी चाहिए ताकि दूसरे अधिकारियों को नसिहत मिल सके । दोषीयों की सम्पत्ति बहुत है, उससे रिकवरी होनी चाहिए। जैसे किसी किसान का लोन नहीं चुक पाने पर उसकी जमीन को कुर्क किया जाता है उसी तरह इनकी सम्पत्ति जब्त कर वसूली होनी चाहिए। केसीसी में ओर (ORE) सोर्टर प्लांट लगाया और बिना कोई उत्पादन दिये ही बन्द हो गया, क्या काम आया? एक न्यू ऐसिड प्लांट बना उसे तुडवा दिया जिसे एक दिन भी काम में नहीं लिया गया। घपले और धांधली बहुत है । मैं यहीं मांग करता हूँ कि निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए और रिकवरी उनकी सम्पत्ति से होनी चाहिए।

-बलजीत सिंह चौधरी, महा मंत्री-सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (CITU)

हम इस विषय की शुरू से ही उच्चस्तरीय जाँच की मांग करते आये है, बड़े अधिकारियों ने अपने चहेतों को लाभ पहुचाने के लिये बिना सोचे समझे सोना-चांदी निकालने का पायलट प्लांट लगाया। वेस्ट मेटेरियल की सही जाँच नहीं की गई, इस कारण प्लाट बन्द हो गया इस प्रोजेक्ट से केसीसी के कई करोड़ रूपये बर्बाद हो गए इस पूरे विषय की सीबीआई जाँच कर दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्यवाई करते हुए पूरे पेसों की रिकवरी की जाए। अभी हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के अन्य प्रोजेक्टों में भी सीबीआई कारवाई कर रही है समय रहते यहाँ कारवाई नहीं हुई तो मजबूरन हमें उच्चतम न्यायालय का सहारा लेना पड़ेगा।

-रमेश कुमार, प्रदेश महासचिव, राजीव गांधी पंचायती राज संगठन पूर्व प्रदेश सचिव, राजस्थान यूथ कांग्रेस

Web sitesi için Hava Tahmini widget