बुंदेलखंड के झाँसी में अंधाधुंध बालू के अवैध खनन से नदियों की जल धाराएं थमती जा रही है। दूसरी तरफ नदियों के किनारे बसे सेकड़ों गांवों के कुआं, तालाब, पोखर, हैंडपंप जैसे तमाम जल स्त्रोत सूखते जा रहे है, इसी कारण हाईकोर्ट, सुप्रीमकोर्ट यहां तक एनजीटी ने नदियों से बालू खनन में जेसीबी, पोकलैंड और लिफ्टर मशीनों के इस्तेमाल पर पूरी तरह से पाबंदी लगा रखी है। सुप्रीम कोर्ट का भी मानना है कि मशीनों के इस्तेमाल से नदी में रहने वाले जीव-जंतु प्रभावित होते हैं, इसलिए खनन मानव श्रम से करवाया जाए, इसके बावजूद बालू खदानों मे भारी भरकम मशीनें गरज रही है।
झांसी के चेलरा में खनन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध खनन कराया जा रहा है, चेलरा बालू घाट पर खनन माफिया एनजीटी के आदेशों की धज्जियां उडाकर प्रतिबंधित पनडुब्बियां लिफ्टर लगाकर दिन दहाडे बेखौफ अवैध खनन करने में जुटे है, चेलरा में अवैध खनन का आलम यह है बीच नदी में पनडुब्बिया डालकर बालू निकाली जा रही है, जबकि बालू निकालने का पट्टा निजी भूमि का है और बालू बीच नदी से निकाली जा रही है। जिसकी जानकारी प्रशासन के आला अधिकारियों को भी है। लेकिन फिर भी पनडुब्बियों और लिफ्टर के सहारे अवैध खनन जमकर किया जा रहा है, अवैध खनन के खेल में ना सिर्फ खनन कारोबारी स्थानीय माफिया शामिल हैं बल्कि सियासी यशु रखने वाले लोगों का संरक्षण प्राप्त है।
प्रतिदिन सेकड़ो ओवरलोड, अस्पष्ट नम्बर प्लेट के ट्रको से बगैर रायल्टी अवैध खनन किया जा रहा है। अवैध खनन को रोकने वाले सरकारी अफसर सियासी रसूख के आगे घुटने टेकते नजर आ रहे हैं।