‘पापा गरीबों के रहनुमा थे, अमेरिका, इंग्लैंड, कतर से कॉल आ रहे है…’ पिता की मौत के बाद बेटे उमर का छलका दर्द

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की सरकार में पनपे माफिया मुख्तार अंसारी का अंत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की 2.0 सरकार में हो गया। दरअसल, बीते 28 मार्च को बांदा के रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज में हार्ट अटैक से मुख्तार अंसारी की मौत हो गई थी। मुख्तार की मौते के आठ दिन बाद उनकी कब्र पर छोटा बेटा उमर अंसारी पहुंचा। उनके साथ गाजीपुर के सपा विधायक जय किशन साहू और चंदौली के सकलडीहा से सपा विधायक प्रभुनारायण यादव भी कालीबाग स्थित कब्रिस्तान पहुंचे। जहां उन्होंने उमर और उसके परिवार के प्रति संवेदनाएं व्यक्त कीं। कब्र पर पहुंचते ही उमर भावुक हो उठे और कहा पापा गरीबों के रहनुमा थे। उनके लिए कभी वो ढाल बनकर खड़े रहे तो कभी तलवार बनकर लड़े। आम जनता के साथ-साथ अमेरिका, इंग्लैंड, दुबई, कतर, मॉरिशस और सिंगापुर से भी वीडियो कॉल और फोन आ रहे हैं। सभी को पापा के इस तरह चले जाने का दुख है। वे उनकी आत्मा की शांति के लिए दुआ कर रहे हैं।

 

उमर ने पुलिस की कार्रवाई पर खड़े किए सवाल
इस दौरान उमर ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि पापा बिल्कुल फिट थे, अचानक खाना खाकर बीमार हुए और हार्टअटैक से उनकी मौत हो गई। ऐसे कैसे हो सकता है? जेल में जब पिता बेहोश होकर गिर गए तो उनको बांदा मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में भर्ती करवाया गया। कोई आईसीयू में स्वस्थ भी हो जाता है तो उसे ऑब्जर्वेशन में रखा जाता है। लेकिन मेरे पापा को सीधे जेल गए। ये स्वाभाविक मौत नहीं, बल्कि सुनियोजित हत्या है।

 

आगे उमर अंसारी ने कहा कि 28 मार्च को उनके इंतकाल से तीन घंटे पहले ही मेरी उनसे बात हुई थी। उन्होंने मुझे पहले भी बताया था कि उन्हें धीमा जहर देकर मारने की कोशिश की जा रही है। उमर का आरोप है कि उनके बड़े भाई अब्बास को पिता की अंतिम विदाई तक में नहीं आने दिया गया। ये तो अन्याय है। एक बेटे को पिता से आखिरी बार मिलने का मौका जरूर देना चाहिए थे। लेकिन उम्मीद है कि चालीसवां से पहले अब्बास जरूर आएंगे।

 

पापा की तरह गरीबों की मदद करूंगा
उमर ने भावुक होकर आगे कहा कि मेरे पिता गरीबों की हमेशा मदद करते थे। यही कारण है कि उनकी कब्र के दीदार के लिए दूर-दूर से जनता आ रही है। मेरे पिता को कोई कुछ भी कहे, लेकिन वे गरीबों के रहनुमा थे। वे कभी उनके लिए ढाल बनकर खड़े रहे तो कभी तलवार बनकर लड़े। वे गरीबों के हक की लड़ाई लड़ते थे। यही मैं भी करूंगा। उनकी मदद करता रहूंगा जैसे मेरे पापा करते थे।

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