झुंझुनूं : झुंझुनूं के बिसाऊ में भारत सरकार ने कला व सांस्कृतिक मंत्रालय की पहल पर उतर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र इलाहाबाद की ओर से पहचान खो रहे. पुराने वाद्य यंत्रों को फिर से पहचान दिलाने के लिए राजस्थान पीजी कॉलेज परिसर में जिला पर्यावरण सुधार समिति द्वारा दो दिवसीय प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. जिसमें कई लुप्त हो चुके वाद्ययंत्र भी शामिल थे.
65 वाद्य यंत्रों की प्रदर्शनी कार्यक्रम में संस्था निदेश डॉ. प्रताप सिंह सिहाग की अध्यक्षता में मुख्य अतिथि नगरपालिका अध्यक्ष मुश्ताक़ ख़ान ने फीता काटकर उद्घाटन किया. जिला पर्यावरण सुधार समिति सदस्यों ने सभी अतिथियों का माला पहनाकर स्वागत किया. लोक वाद्य यंत्र वादक जयपुर के कलाकार राजेंद्र प्रसाद ने वाद्य यंत्रों को न केवल बजा कर दिखाया बल्कि उसके वादन शैली, बनावट के साथ ही ऐतिहासिक जानकारी भी दी. सभी स्टूडेंट्स को इनके बारे अवगत करवाया.
लोक कलाकार अपने-अपने साज-वाज बासुंरी, बीन, चंग, मजीरा, खड़ताल, डेरू, खंगरी, शहनाई, इकतारा, हारमोनियम, ढोलक आदि प्रदर्शित कर संगीत के माध्यम से स्टूडेंट्स को बजाकर सुनाया. जिस परछात्राएं लोक वाद्य यंत्रों की धुन पर थिरकने लगी. शादी-ब्याह पर बजने वाले लोकवाद्य यंत्र डफरा, सींगबाजा, डमाउ व मोहरी से उन्होंने ऐसा समां बांधा कि छात्राएं खुद को थिरकने से नहीं रोक सकीं. नगाड़े की थाप पर फाग गायन कर भी छात्राओं को थिरकने के लिए मजबूर कर दिया. कार्यक्रम का संचालन इमरान ख़ान ने किया. इस मौके पर अभिषेक मोरारका, किशन वर्मा, मुकेश वर्मा, सुरेंद्र शर्मा सहित कई लोग मौजूद थे.