लैंडर विक्रम ने खुद को एक ऐसी कक्षा में स्थापित कर लिया है जहां से चंद्रमा का निकटतम बिंदु 25 किमी और सबसे दूर 134 किमी है। इसरो ने कहा है कि इसी कक्षा से यह बुधवार को चंद्रमा के अज्ञात दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करेगा।
इसरो ने रविवार को कहा कि “दूसरे और अंतिम डीबूस्टिंग ऑपरेशन ने एलएम कक्षा को सफलतापूर्वक 25 किमी x 134 किमी तक कम कर दिया है। मॉड्यूल को तय लैंडिंग स्थल पर सूर्योदय का इंतजार करना होगा। चांद पर 23 अगस्त, 2023 को करीब शाम पौने छह बजे, यह उतर सकता है।
Chandrayaan-3 Mission:
The Lander Module (LM) health is normal.LM successfully underwent a deboosting operation that reduced its orbit to 113 km x 157 km.
The second deboosting operation is scheduled for August 20, 2023, around 0200 Hrs. IST #Chandrayaan_3#Ch3 pic.twitter.com/0PVxV8Gw5z
— ISRO (@isro) August 18, 2023
“बुधवार को चंद्रमा पर सफल लैंडिंग होने पर भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला ऐसा चौथा देश बन जाएगा। अभी तक इस सूची में अमेरिका, रूस और चीन के नाम हैं।
चंद्रमा पर उतरने के बाद लैंडर विक्रम चंद्रमा की सतह की रासायनिक संरचना का अध्ययन करेगा और पानी की खोज करेगा। इसका जीवनकाल एक चंद्र दिवस है, जो पृथ्वी पर 14 दिनों के बराबर है।
चंद्रयान-3 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से LVM3 रॉकेट द्वारा अंतरिक्ष में लॉन्च किया गया था। इसने 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था।
इस बीच रूस के लूना 25 मिशन को भी कामयाबी मिल रही है। रूस पिछले 50 वर्षों से चंद्रमा पर मिशन भेज रहा है। लूना 25 का लैंडर बुधवार को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो चुका है। लूना 25 वहां से चंद्रमा के अंदरुनी हिस्से की एक फोटो भी भेज चुका है। हालांकि एक खराबी की वजह से अब शायद इसके लैंडर के उतरने की तारीख बदल सकती है।