झुंझुनूं : जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने सोलर मोटर पम्प सिस्टम बनाने वाली कंपनी वीआरजी एनर्जी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को जाखोद के परिवादी किसान भीम सिंह को खराब हुए सोलर मोटर पंप सिस्टम से फसल में हुए नुकसान के पेटे 1.25 लाख रुपए देने का फैसला दिया है।
उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष मनोज मील और सदस्या नीतू सैनी ने आदेश दिया है कि जिले के सूरजगढ़ ब्लॉक के जाखोद के रहने वाले किसान भीम सिंह राजपूत ने 2017 में 7.5 एचपी की सोलर मोटर पम्प खरीदा था और वीआरजी एनर्जी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा भीम सिंह के खेत में सोलर मोटर पंपिंग सिस्टम स्थापित किया गया था। यह सिस्टम स्थापित करते वक्त 5 साल की वारंटी और सोलर प्लेट की 20 साल की वारंटी कंपनी द्वारा दी गई थी। लेकिन मई 2020 में सोलर मोटर पम्प खराब होने पर कंपनी ने रिपेयर कर परिवादी को एकबारगी वापस भेज दिया, लेकिन फिर भी वह सुचारू रूप से काम नहीं कर रही थी। कंपनी द्वारा दावा किया गया था कि सोलर मोटर पम्प से 10 नोजल आसानी से चलाए जा सकेंगे और 40 फुट पानी का प्रेशर रहेगा। लेकिन हकीकत में केवल 5 ही नोजल चल पाए और 20 फुट तक ही पानी का प्रेशर रहा। मई 2020 के बाद परिवादी भीम सिंह ने कई बार कंपनी को पत्र लिखकर सोलर मोटर पम्प ठीक कराने का आग्रह किया, लेकिन कंपनी ने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद परिवादी भीम सिंह ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भी पत्र लिखा।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने दी जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में परिवाद करने की सलाह :
परिवादी भीम सिंह को प्रधानमंत्री कार्यालय ने उक्त मामले को जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में प्रस्तुत करने की सलाह दी। जिस पर परिवादी ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग झुंझुनू में 2021 में परिवाद पेश किया। जिसके बाद जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वारा वीआरजी एनर्जी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को बार-बार नोटिस भेजकर पेश होने के लिए कहा गया, लेकिन कंपनी का कोई प्रतिनिधि पेश नहीं हुआ। जिसके बाद मंगलवार को उपभोक्ता आयोग अध्यक्ष एवं पीठासीन अधिकारी मनोज कुमार मील व सदस्या नीतू सैनी ने यह आदेश दिया कि वीआरजी एनर्जी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड 45 दिन में परिवादी भीम सिंह द्वारा खरीदे गए सोलर मोटर पम्प को ठीक करके दे। यदि ठीक करना संभव नहीं हो, तो नया उसी मॉडल का सोलर मोटर पम्प देवें। वही परिवादी को अब तक हुए फसल के नुकसान के पेटे 1.25 लाख रुपए और परिवाद व्यय के पेटे 10 हजार रुपए देने का आदेश सुनाया गया।