लॉरेंस-गोदारा जैसे गैंगस्टर्स की प्रॉपर्टी होगी जब्त:मदद करने वालों को भी होगी उम्रकैद; विधानसभा में ‘राकोका’ बिल पास

राजस्थान सरकार अब लॉरेंस बिश्नोई और रोहित गोदारा जैसे गैंगस्टर्स के खिलाफ बड़ा एक्शन लेने जा रही है। इसकी तैयारी भी शुरू हो गई है। गैंग बनाकर अपराध करने वाले गैंगस्टर्स और उनके गुर्गों के खिलाफ राजस्थान सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में बिल पास करवा दिया।

आगे पढ़िए राकोका विधेयक पर भास्कर की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट…

माकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट) की तर्ज पर विधानसभा में मंगलवार को राजस्थान संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक यानी राजस्थान कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट (राकोका) बहस के बाद पारित हो गया।

राकोका के प्रावधानों के अनुसार गैंग बनाकर अपराध करने वालों की प्रॉपर्टी जब्त होगी। इसे सरकार अपने कब्जे में लेगी। गैंगस्टर्स की प्रॉपर्टी या पैसा अपने कब्जे में रखने वालों को भी सजा होगी। गिरोह बनाकर फिरौती वसूलने, पैसे के लिए धमकाने वालों को राकोका के दायरे में लिया जाएगा। राकोका के केस की सुनवाई के लिए अलग से कोर्ट होगा। डीएसपी स्तर का अफसर ही राकोका में केस दर्ज करेगा। जिन अपराधियों के खिलाफ पिछले 10 साल में एक से ज्यादा चार्जशीट पेश की गई हाें और कोर्ट ने उन पर संज्ञान लिया हो। ऐसे अपराधियों को राकोका के दायरे में लिया जाएगा। इस केस में लंबे समय तक जमानत नहीं होगी।

फिरौती के लिए दो अपराधियों ने मिलकर धमकाया तो लगेगा राकोका
गैंग बनाकर किए जाने वाले अपराध पर राकोका लागू होगा। अपराध करने वाली गैंग के हर मेंबर के खिलाफ राकोका के प्रावधानों के हिसाब से कार्रवाई की जाएगी। अगर दो या इससे ज्यादा अपराधियों ने मिलकर किसी को फिरौती के लिए धमकाया, पैसा वसूला तो इसे राकोका के तहत संगठित क्राइम मानकर कार्रवाई होगी। ऐसा करने वालों की प्रॉपर्टी और पैसा जब्त होगा।

गैंगस्टर्स को शरण देने वालों को उम्रकैद तक सजा
क्राइम करने वाली गैंग के किसी भी मेंबर को शरण देने वाले के खिलाफ नए बिल में कड़ी कार्रवाई के प्रावधान हैं। गैंग बनाकर अपराध करने वाले अपराधियों को शरण देने वालों को कम से कम पांच साल की सजा और पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। शरण देने पर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।

आपराधिक गैंग बनाकर अवैध वसूली, फिरौती, तस्करी सहित किसी भी अवैध तरीके से पैसा और प्रॉपर्टी बनाने पर कम से कम तीन साल की सजा होगी। यह सजा उम्रकैद तक की हाे सकती है। सरकार इस तरह की प्रॉपर्टी को जब्त करके नीलाम करेगी।

हर तरह के अपराध कवर होंगे
इसमें हर तरह का क्राइम कवर होगा। ड्रग्स तस्करी, शराब तस्करी, अवैध वसूली, फिरौती जैसे क्राइम करने वाले इसके टारगेट पर रहेंगे। राकोका के नियमों में इसके प्रावधानों को और ज्यादा स्पष्ट करते हुए कड़े प्रावधान किए जा सकते हैं। गैंगस्टर्स के खिलाफ एक्शन के लिए नियमों में एसओपी भी बनेगी। राकोका के नियमों पर एक्सरसाइज हो चुकी है।

गैंगस्टर्स का कमाया पैसा-प्रॉपर्टी अपने पास रखी तो 10 साल तक की सजा
किसी भी रूप में गैंगस्टर के अपराध से कमाए हुए पैसे या चल-अचल संपत्ति कोई अपने कब्जे में रखता है तो सजा होगी। गैंग बनाकर अपराध करने से कमाई बेनामी प्रॉपर्टी रखने वालों की संपत्ति कुर्क होगी। इसके साथ साथ ही 3 से 10 साल तक की सजा का प्रावधान है।

अपराधियों का सहयोग करने वाले पुलिसकर्मी-सरकारी कर्मचारी को भी सजा
कोई पुलिसकर्मी या सरकारी कर्मचारी अगर गैंग बनाकर अपराध करने वालों का सहयोग करता है। उसके लिए तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसके दायरे में सभी कर्मचारी आएंगे। आपराधिक गैंग की किसी भी तरह से सहायता करने वाले सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।

डीएसपी रैंक का अफसर करेगा जांच
राकोका में मुकदमा दर्ज करने से पहले रेंज के डीआईजी से मंजूरी लेनी होगी। डीएसपी स्तर से नीचे का अफसर इसकी जांच नहीं कर सकेगा। चार्जशीट पेश करने से पहले एडीजी स्तर के अफसर से मंजूरी लेनी होगी।

बंद कोर्ट में होगी सुनवाई, गवाह की पहचान उजागर करने पर सजा
राकोका के मामलों की सुनवाई ओपन कोर्ट में करने की जगह बंद कोर्ट में की जाएगी। गैंगस्टर्स और खतरनाक अपराधियों के खिलाफ गवाही देने वालों की पहचान गुप्त रखी जाएगी। गवाह की पहचान सार्वजनिक करने वाले को एक साल तक की जेल और एक हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा।

फरार होने पर प्रॉपर्टी जब्त करने का प्रावधान
आपराधिक गैंग का कोई मेंबर अगर फरार होता है तो उसकी प्रॉपर्टी जब्त की जा सकेगी। इसके लिए स्पेशल कोर्ट आदेश देगा। स्पेशल कोर्ट के आदेश के बाद प्रॉपर्टी जब्त की जा सकेगी। अपराध से कमाई गई प्रॉपर्टी का पहले वेरिफिकेशन करके कोर्ट में मामला रखा जाएगा। कोर्ट के आदेश के बाद अपराध से कमाई गई प्रॉपर्टी जब्त करके कुर्क की जा सकेगी।

गैंगस्टर की किसी भी तरह मदद करने पर सजा
गैंगस्टर की कोई अगर मदद करता है। उसका समर्थन करता है। गैंग के काम को किसी भी तरह से आसान बनाता है तो सजा होगी। किसी भी तरह सहयोग करने वाले व्यक्ति को कम से कम 5 साल व अधिकतम उम्रकैद तक की सजा और पांच लाख जुर्माने का प्रावधान किया है। गैंगस्टर या गैंग मेंबर्स को घर में रखने पर भी उतनी ही सजा का प्रावधान है।

राकोका अपराधियों के फोन टेप की सालाना रिपोर्ट
इस कानून में इंटरसेप्ट किए गए फोन, ईमेल और मैसेज की सालाना रिपोर्ट तैयार होगी। इसमें पूरा ब्योरा होगा। फोन टेप मंजूर करने वाले आवेदनों की संख्या और उनके कारणों की भी इसमें डिटेल दी जाएगी। हर साल इसकी रिपोर्ट विधानसभा में रखी जाएगी। अगर कोई मामला राज्य की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। संगठित अपराध को कंट्रोल करने में दिक्कत करता हो तो विधानसभा में भेजी जाने वाली सालाना रिपोर्ट में इसका जिक्र नहीं किया जाएगा।

मार्च में पेश हो गया था बिल
यह बिल मार्च में ही सदन में पेश हो गया था, लेकिन उस वक्त पारित नहीं हो सका था। अब विधानसभा में इसे पारित कराया गया है। अब जल्द गजट नोटिफिकेशन करके इसके रूल्स बनाए जाएंगे। महाराष्ट्र के मकोका कानून की तर्ज पर राजस्थान में अब राकोका के तहत गैंगस्टर्स के खिलाफ कार्रवाई होगी।

सीएम ने कारणों में लिखा- अपराधी गैंग बनाकर ठेके पर मर्डर करवा रहे
सरकार ने राकोका बिल लाने के पीछे सबसे बड़ा कारण गैंग बनाकर किए जाने वाले अपराधों को कंट्रोल करना बताया है। बिल के कारणों और उद्देश्यों में गृह मंत्री के तौर पर सीएम अशोक गहलोत ने लिखा था- प्रदेश में पिछले दशक में अपराध के पैटर्न में बदलाव देखा गया है। पहले अकेले अपराध होते थे, लेकिन अब हत्या, डकैती, लूट, अपहरण जैसे अपराध संगठित गिरोह बना कर किए जा रहे हैं। नई उम्र के अपराधी इन आपराधिक गिरोह में शामिल होकर गैंग बना रहे हैं। ऐसे उदाहरण भी देखने में आए हैं कि कई जिलों में आपराधिक गैंग के अपराधियों ने शूटर, मुखबिर और हथियार सप्लायर ग्रुप बना कर खुद का एक मजबूत नेटवर्क बना लिया है। ये गैंग मुख्य रूप से कॉन्ट्रैक्ट मर्डर करवाते हैं। व्यापारियों को धमकी देकर वसूली करते हैं। ड्रग्स की तस्करी करते हैं। इससे गैंग भारी पैसा कमा रहे हैं।

गैंगस्टर्स महंगे वकील करते हैं, गवाहों को मरवा देते हैं
बिल के कारणों में सीएम गहलोत ने लिखा था- आपराधिक गैंग अपराध से कमाए हुए पैसे को प्रॉपर्टी में लगाने के साथ-साथ जेल में अपने सहयोगियों की देखभाल करने में और मुकदमे के लिए महंगे वकीलों की सेवाएं लेने में भी करते हैं। जो उनके खिलाफ गवाही देने की हिम्मत करते हैं, ऐसे गवाहों को मरवा देते हैं। गैंग बनाकर अपराध करने वाले अपराधी कानून की कमजोरियों का फायदा उठाते हैं और कुछ समय में ये जनता में अपनी एक ऐसी डरावनी छवि बना लेते हैं जो वास्तविकता से परे होती है। इस तरह की इमेज व्यापारियों, उद्योगपतियों को संरक्षण देने के बदले उनसे पैसा उगाहने में इनकी मदद करती है। ऐसा करने से गैंग में शामिल अपराधियों का बैंक बैलेंस और बढ़ता रहता है। ये पैसे वाले बन जाते हैं।

राजस्थान में कड़ा कानून बनाने की जरूरत थी
बिल के कारणों में सीएम ने लिखा था- इंटरनल सिक्योरिटी के विशेषज्ञों और कानून निर्माताओं के बीच इस बात पर सहमति बनी थी कि गैंग बनाकर अपराध करने वालों से निपटने के लिए कड़े कानून की जरूरत है। कुछ राज्यों में पहले से ही स्पेशल कानून बनाए गए हैं। इनमें महाराष्ट्र में मकोका और इसी तरह का कानून दिल्ली-एनसीआर में भी बनाया गया है। ऐसे हालात को देखते हुए राजस्थान में कड़ा कानून बनाने की जरूरत थी। यह कानून पुलिस को मजबूत बनाएगा। अपराधियों की प्रॉपर्टी-पैसे को जब्त करने के लिए खास प्रावधान करेगा।

सहयोग की परिभाषा के प्रावधानों का दुरुपयोग होने की आशंका
राकोका में गैंग का सहयोग करने की परिभाषा में ऐसे प्रावधान हैं, जो मीडिया कवरेज के लिए दिक्कतें पैदा कर सकते हैं। सहयोग की परिभाषा में यह लिखा गया है कि ऐसी कोई भी सूचना जिससे संगठित अपराध सिंडिकेट को मदद मिलने की संभावना हो, किसी कानूनी अधिकार के बिना उसे आगे बढ़ाना या उसका प्रकाशन करना और संगठित अपराध सिंडिकेट से मिले किसी दस्तावेज या सामग्री को आगे बढ़ाना या उसका प्रकाशन या डिस्ट्रीब्यूशन करना। किसी ऐसे व्यक्ति से संपर्क में रहना जो किसी क्रिमिनल गैंग का मेंबर हो तो इसे गलत माना गया है।

सहयोग की इस परिभाषा का दुरुपयोग होने की आशंका है। इन नियमों में साफ नहीं किया गया तो आगे एक्सपर्ट इसके दुरुपयोग की आशंका जता रहे हैं। सूचना और संपर्क की परिभाषा को और ज्यादा स्पष्ट किए बिना इसके प्रावधान खतरनाक हो सकते हैं। राज्यों के कई कानूनों पर इस तरह के प्रावधानों पर पहले भी विवाद हो चुके हैं। बीजेपी राज में लाए गए एक बिल पर इसी तरह के प्रावधानों के कारण भारी विवाद हुआ था। लंबे विवाद के बाद उस प्रावधान वाले बिल को ही वापस ले लिया गया था।

प्रदेश में लॉरेंस सहित कई गैंग एक्टिव
राजस्थान में लॉरेंस के अलावा स्थानीय स्तर पर कई गैंग सक्रिय हैं। इनसे बड़ी संख्या में अपराधी जुड़े हैं। गैंग बनाकर अपराध करने वालों पर कंट्रोल के लिए कई बार अभियान चलाए गए, लेकिन इनकी गतिविधियों पर कोई कंट्रोल नहीं हुआ। हरियाणा, यूपी बॉर्डर पर कई गैंग सक्रिय हैं। नया कानून बनने के बाद गैंग बनाकर अपराध करने वालों के खिलाफ राकोका में केस दर्ज कर कड़ी कार्रवाई होगी।

विधानसभा चुनाव से पहले नरेटिव बदलने की कोशिश
प्रदेश में कानून व्यवस्था बड़ा चुनावी मुद्दा बन रहा है। गैंग बनाकर अपराध करने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। लगातार बढ़ते अपराधों और गैंगस्टर्स की भूमिका सामने आने के बाद सरकार की इमेज पर असर पड़ा है। चुनावी साल में सीएम अशोक गहलोत राकोका के जरिए विपक्ष के बनाए हुए नरेटिव को बदलने का प्रयास कर रहे हैं। गहलोत कानून व्यवस्था को लेकर सख्त एक्शन करने वाले सीएम की इमेज बनाना चाहते हैं। विपक्ष कानून व्यवस्था को लेकर लगातार सरकार पर हमलावर है। विधानसभा में हर दिन इस मुद्दे को उठाया जा रहा है। अब राकोका के जरिए सख्त एक्शन वाले सीएम की छवि बनाने का प्रयास होगा। विधानसभा चुनाव की अक्टूबर में आचार संहिता लगने से पहले इसके नियम बनाकर इसे लागू करने की तैयारी है।

गैंगस्टर्स के पैसे कमाने के सोर्स पर अटैक की रणनीति
पुलिस पिछले काफी दिनों से बड़े अपराधियों और गैंगस्टर्स को आर्थिक रूप से कमजोर बनाने की रणनीति पर काम कर रही है। अपराधियों की प्रॉपर्टी सीज करने और बुलडोजर की कार्रवाई चल रही है। राजधानी समेत कई बड़े और छोटे शहरों में हिस्ट्रीशीटरों की अवैध प्रॉपर्टी पर बुलडोजर चलाए गए हैं। राकोका से गैंग ऑपरेट करने वाले अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई तेज होने के आसार हैं। राकोका के बाद बड़े गैंगस्टर्स की अवैध वसूली से कमाई गई प्रॉपर्टी को जब्त करना आसान हो जाएगा।

1999 में अंडरवर्ल्ड को खत्म करने महाराष्ट्र ने बनाया था मकोका
महाराष्ट्र सरकार ने संगठित क्राइम और अंडरवर्ल्ड को खत्म करने के लिए साल 1999 में महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट (मकोका) बनाया था। मकोका की तर्ज पर कानून को 2002 में दिल्ली सरकार ने लागू कर दिया। इसके बाद छह साल पहले यूपी सरकार ने भी इसी तरह का कानून बनाया। अब राजस्थान में भी संगठित क्राइम के खिलाफ उसी तरह का बिल पारित कराया गया है।

मकोका बहुत सख्त प्रावधान वाला कानून
‌मकोका के प्रावधान बहुत कड़े हैं। मकोका लगने के बाद आसानी से जमानत नहीं मिलती है। मकोका में पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने के लिए 180 दिन का वक्त मिल जाता है, जबकि दूसरे मामलों में यह 60 से 90 दिन में चार्जशीट दाखिल करनी होती है। मकोका में 30 दिन तक रिमांड हो सकती है।

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