हरियाणा-कुरुक्षेत्र : जन संघर्ष मंच हरियाणा की महासचिव सुदेश कुमारी के नेतृत्व में मंच के कार्यकर्ताओं ने कुरुक्षेत्र शहर की बाढ़ से प्रभावित विभिन्न बस्तियों का् दौरा किया। कीर्तिनगर, सरस्वती कालोनी, डीडी कालोनी, वशिष्ठ कालोनी, राणा कालोनी, दीदार नगर आदि बस्तियों में पानी का स्तर तेजी से बढ़ता ही जा रहा है।
बस्ती के लोगों वन्दना, पीर्थी आदि ने बताया कि कीर्तिनगर में पानी का लेवल लगातार बढ़ रहा है। इस बस्ती व इसके आसपास तीन सौ से अधिक घरों में पानी घुस गया है। बहुत से लोग अपने घर के आगे बंध लगा रहे हैं। अपनी छतों पर तिरपाल लगा कर रात काटने को मजबूर हैं। डर के मारे गरीब बस्तियों के लोग परेशान हैं। गली के सिरे पर खड़े होकर स्वास्थ्य विभाग के लोगों ने कुछेक दवाइयाँ वितरित की हैं। इसके अलावा कोई राहत अब तक उन्हें नहीं मिली है। लोग हेल्पलाइन नंबर पर बात कर रहे हैं मगर वे भी एक नंबर से दूसरे नंबर पर बात करने के लिए कहकर अपनी डयूटी पूरी कर रहे हैं। सरस्वती कालोनी, खेड़ी मारकंडे के लोगों ने बताया कि सरस्वती नदी के टूटे हुए किनारे , साफ बता रहे हैं कि सरकार ने समय रहते इसकी सफाई नहीं करवाई, इसके तटबंधों की मुरम्मत करवा कर मजबूत नहीं करवाए हैं और अब तीन दिन बीत जाने पर भी प्रशासन सरस्वती नदी के टूटे किनारों से बहाव को नियंत्रित कर पाने में सफल नहीं हो पाया है।
जन संघर्ष मंच हरियाणा की महासचिव सुदेश कुमारी ने बताया कि आज कुरुक्षेत्र सहित विभिन्न स्थानों पर लोग बाढ़ आने के कारण जिंदगी बचाने के लिए जूझ रहे हैं। इसकेे लिए पूरी तरह सरकार व प्रशासन की अपराधिक लापरवाही जिम्मेदार है। बरसात हर साल होती है और बाढ़ आने का खतरा भी बना रहता है और ये भी सर्वविदित है कि किन नदियों ड्रेनों व नहरों के तटबंध कमजोर होने के कारण बाढ़ आ सकती है कौन से नाले अटे पडे हैं मगर सरकार व प्रशासन जानबूझकर आंखें मूंदे बैठे रहे। सरकार को एक्सपर्ट इंजीनियरों की देखरेख में बरसात के मौसम से 3 महीने पहले नदियों, नहरों, ड्रेनों, नालों व तालाबों की खुदाई व सफाई जरूरी मशीनरी के साथ मनरेगा मजदूरों से करवानी चाहिए थी। परंतु पिछले 3 महीनों में हरियाणा सरकार व प्रशासन ने मजदूरों से यह काम नहीं करवाया। सरस्वती नदी, राक्षी नदी आदि के रखरखाव के नाम पर आया हुआ करोड़ों रुपए का बजट नेताओं व अफसरों के भ्रष्टाचार की भेंट चढ गया है। इनकी मुरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपया खर्च दिखा दिया जाता है। सरस्वती नदी के टूटे किनारे, इसमें खडे व टूटे हुए वृक्ष, उगी हुई घास व अन्य गंन्दगी साफ बता रही है कि परिणाम जीरो है।
यह जनता के जीवन के साथ खिलवाड़ है। हजारों एकड़ जमीन में किसानों की फसल बर्बाद हो गई है, सैकड़ों गांवों, थानेसर व शाहबाद शहरों में कई बस्तियों में बिजली-पानी की समस्या बनी हुई है, घरों में रखा कीमती सामान खराब हो चुका है। लेकिन हरियाणा सरकार व कुरुक्षेत्र प्रशासन की ओर से मारकण्डा, नरवाना ब्रांच, ड्रेन, सरस्वती आदि के टूटे हुए नाकों की तुरंत रिपेयर नहीं करवाई गई। सब कुछ राम भरोसे छोड दिया गया। सरकार के विकास के दावे कि हमारे पास बहुत विकसित टेक्नोलॉजी है, विकसित उपकरण है, के दावों की पोल इस बाढ़ ने खोल दी है। किसी भी आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल लोगों को बचाने के लिए नहीं किया गया है। यहां तक कि प्रशासन की नाव भी बहुत पुरानी है और वह बीच पानी में ही खराब हो गई है। आम जनता अपने साधनों ट्रैक्टर ट्रालिओं के द्वारा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का काम कर रही है। नगर परिषद की ओर से केवल 1/2 फोर व्हीलर घूम रहे हैं और वे सिर्फ अनाउंसमेंट कर रहे हैं। प्रशासन द्वारा दिए गए हेल्पलाइन नंबर पर कोई सुविधा नहीं मिल रही है। बाढ़ प्रभावित कॉलोनियों व गांव के लोग सुरक्षित स्थानों पर पलायन करने को मजबूर हैं। नरवाना ब्रांच नहर, ड्रेन, मारकण्डा, सरस्वती आदि के जगह-जगह टूट जाने के बाद भी प्रशासन ने तत्परता से कोई कार्रवाई नहीं की और जब यह नाके टूटकर और ज्यादा चौड़े होने से पानी अनियंत्रित हो गया तो कुरुक्षेत्र शहर का बहुत सारा एरिया व आसपास के गांव, शाहबाद शहर व पिहोवा ब्लॉक के कई गांव व हजारों एकड में फसलें पूरी तरह से पानी में डूब गयी हैं।
उन्होंने सरकार व प्रशासन से मांग की कि बाढ के संकट में फंसे लोगों को तुरंत राहत प्रदान की जाए, उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाया जाए। खाद्य सामग्री, पेय जल,,दवाईयों आदि का प्रबंध किया जाए। बर्बाद हुई फसलों के लिए किसानों व मजदूरों को सहायता दी जाए। जिनके घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं और घरेलू सामान खराब हो गया है, उनके रहने का प्रबंध करने के साथ साथ उनके घर बनवाकर दिए जाएं और घरेलू सामान खरीदने के लिए सहायता दी जाए। बिजली का उचित प्रबंध किया जाए। राहत कार्यों में तेजी लायी जाए, मृतक परिवारों के आश्रितों को 50 लाख रुपये सहायता व सरकारी नौकरी दी जाए। अनियंत्रित नदियों व नहरों के बहाव रोकने के लिए तटबंध बनाने व जलखुंबी जैसे कबाड़, गिरे हुए वृक्षों आदि की सफाई करने के काम में लगे मनरेगा मजदूर व कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए आवश्यक उपकरण व एक लाख रुपये बीमा कवर किया जाए। सरस्वती नदी, ड्रेन, मारकंडा, नरवाना ब्रांच नहर आदि की मुरम्मत करवाने में लापरवाही बरतने वाले नेताओं अफसरों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
मनरेगा मजदूर यूनियन के महासचिव सोमनाथ ने कहा कि मारकंडा, घग्गर, सरस्वती, राक्षी, टांगरी नदी, ड्रेन, नाले व नहरें समय रहते मुरम्मत नहीं किये जाने के कारण अनियंत्रित हो गए हैं। इनकी मुरम्मत करवाने का काम सरकार का था। बरसात के मौसम में अधिक बारिश होने की संभावना तो रहती ही है। यह प्राकृतिक आपदा नहीं सरकार के कुप्रबंध का परिणाम है।
मंच की साथी ऊषा कुमारी ने कहा कि दीदार नगर, न्यू शान्ति नगर में पानी का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है लोगों में भय का वातावरण है बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए प्रशासन का कोई व्यक्ति मदद के लिए पहुंच नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि दीदार नगर के नरकातारी रोड से लगते एरिया में 8 से 10 फुट बाढ का पानी गलियों में भरा हुआ है। बिजली पीने का पानी ठप्प है। वहां पर कोई भी राहत नहीं पहुंच रही है। ट्राली व ट्रैक्टर से भी वहां कोई नहीं पहुंच पा रही है।
सुदेश कुमारी महासचिव, जन संघर्ष मंच हरियाणा