झुंझुनूं : न्यायालय के आदेश के बाद एडीईओ ने कार्यग्रहण किया:डीईओ माध्यमिक व अन्य अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए, बोले – जांच को प्रभावित करने के लिए एपीओ किया

झुंझुनूं : जयपुर न्यायालय के आदेश के बाद एडीईओ ने वापस कार्यग्रहण कर लिया है। गत बुधवार को निदेशक माध्यमिक शिक्षा बीकानेर ने एक आदेश जारी कर शिक्षा अधिकारी माध्यमिक कार्यालय झुंझुनूं में कार्यरत एडीईओ उम्मेद सिंह महला को APO कर मुख्यालय चूरू कर दिया था।

जिसके खिलाफ में महला ने न्यायालय सिविल सेवा प्राधिकरण जयपुर में रीट लगाकर अपना वाद दायर किया था। जिसमें उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उन्हें स्थानांतरण पर प्रतिबंध काल में नियम विरुद्ध एपीओ किया गया है, जो न्याय संगत नहीं है।

इसके बाद न्यायालय ने सुनवाई करते हुए वापस जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक कार्यालय झुंझुनूं में लगाने के आदेश दे दिए। न्यायालय के आदेश के बाद एडीईओ उम्मेद सिंह महला ने शनिवार को कार्यग्रहण कर लिया।

बता दे की गत दिनों एडीईओ महला ने डीईओ माध्यमिक व कार्यालय के कुछ अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए आमरण अनशन बैठ गए थे। उसके बाद तत्कालीन जिला कलेक्टर ने उनका अनशन तुड़वाते हुए उपखण्ड अधिकारी को जांच के लिए आदेशित किया था। महला का आरोप है कि उसी जांच को प्रभावित करने व और अनियमतिताये उजागर होने के डर से षड्यंत्र पूर्वक गलत रिपोर्ट निदेशक को प्रेषित कर एपीओ करवाया गया था।

जांच का प्रभावित करने के लिए एपीओ किया

एडीईओं ने महला ने बताया कि जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक सुभाष ढ़ाका, प्रशासनिक अधिकारी सुरेश भामू व कुछ अन्य के विरुद्ध भ्रष्टाचार की आवाज उठाने पर मुझे बार बार नोटिस देकर प्रताड़ित किया गया।

ADEO महला ने बताया कि मैं हारकर अनशन पर बैठा तो तत्कालीन कलेक्टर ने मेरी बात सुनी और तत्काल एसडीएम को जांच सौंपी। लेकिन तीन महीने से वो जांच भी नही होने दी जा रही है और इस बीच निदेशक को मेरे बारे में गलत रिपोर्ट देते हुए मुझे एपीओ करवाया गया। मैं अब जल्दी ही निदेशक से मिलकर सही तथ्यों से अवगत करवाऊंगा। डीईओ सेकंडरी कार्यालय के भ्रष्टाचार से अवगत करवाते हुए जांच का आग्रह करूँगा।

डीईओं माध्यमिक सुभाष ढ़ाका ने बताया कि उनके पास कुछ भी तथ्य नहीं है, सभी आरोप निराधार है, एपीओ का आदेश निदेशालय बीकानेर से जारी हुआ था। यह आदमी शिक्षा विभाग के लायक नहीं है। जांच के दौरान मेरे पास जो रिपोर्ट मांगी गई थी, वो मैंने पेश कर दी थी, किसी प्रकार की जांच प्रभावित नहीं की है। अगर उनके पास तथ्य होते तो 3 महीने में पेश कर देते।

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