झुंझुनूं : झुंझुनूं में कोतवाली थाना पुलिस इंचार्ज की ओर से ईद-उल-अजहा से एक दिन पहले बुधवार रात 10 बजे एक आदेश जारी किया गया। यह आदेश ईद के मद्देनजर व्यवस्थाओं को संभालने के लिए था। दो बिंदुओं में आदेश जारी किया गया, लेकिन सोशल मीडिया में 3 पॉइंट का एक आदेश तेजी से शेयर होने लगा। तीसरा पॉइंट एडिट कर जोड़ा गया था। यह बहुत विवादित था।
ASP तेजपाल सिंह ने बताया कि मामले की जांच की गई तो कोतवाली थाने के ही एक कॉन्स्टेबल अजय कुमार की करतूत सामने आई। एसपी श्यामवीर सिंह ने आरोपी कॉन्स्टेबल को सस्पेंड कर दिया और अब पूरे मामले की जांच की जाएगी।
बिगड़ सकता था तीसरे पॉइंट से माहौल
कोतवाली थाना इंचार्ज कृष्णराज जांगिड़ की ओर से बुधवार को जो आदेश जारी किया गया, उसमें पुलिसकर्मियों को ईद-उल-अजहा पर कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए 2 निर्देश दिए गए थे।
1- जाप्ता वर्दी,डंडे समेत सुबह 5.30 बजे ड्यूटी पाॅइंट पर पहुंचे। मस्जिदों में लगा जाप्ता नमाज के बाद मौलवी का नाम, पता, नमाजियों की संख्या, मोबाइल नंबर आदि वायरलेस ऑपरेटर को बताए।
2- तीन सिगमाओं पर लगा जाप्ता सुबह 5.30 बजे अपने इलाकों की मस्जिदों और फिक्स पिकेटों पर लगे जाप्ते को चेक करे और वायरलेस पर सूचित कर जानकारी दे।
इस आदेश की मूल कॉपी में थाना इंचार्ज कृष्णराज जांगिड़ के साइन थे। हालांकि सोशल मीडिया पर जो फर्जी आदेश चल रहा था। उसमें कोतवाली थाना इंचार्ज के साइन नहीं थे। इसी आदेश को एडिट कर तीसरा पॉइंट जोड़ा गया। इसी पॉइंट पर हड़कंप मच गया।
मूल कॉपी में कांट-छांट कर तीसरा पॉइंट जोड़कर लिखा गया- तीनों सिगमा अपने साथ प्लास्टिक का कैरी बैग रखें और अपने-अपने इलाके में कुर्बानी के बाद कोई हड्डी वगैरह सार्वजनिक स्थान पर मिले तो इकट्ठा कर डस्टबिन में डालें।
पुलिस खंगाल रही पुलिस के वॉट्सऐप ग्रुप
कोतवाली थाने का कॉन्स्टेबल अजय कुमार पहली नजर में दोषी पाया गया है। अब पुलिस इस फर्जी आदेश को वायरल करने वालों का पता लगा रही है। इसके लिए पुलिस के वॉट्सऐप ग्रुप को खंगाला जा रहा है।
पुलिस जांच कर रही है कि आदेश पुलिस के वॉट्सऐप ग्रुप पर था। इसे एडिट किसने, कहां से किया, तीसरा पॉइंट किसने जोड़ा और तीसरा पॉइंट जोड़ने का मकसद क्या था? फिलहाल कॉन्स्टेबल अजय कुमार से इस बारे में पूछताछ की जा रही है।
ASP तेजपाल सिंह ने बताया कि जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस तरह के आदेश को सोशल मीडिया पर शेयर करना गंभीर मामला है।