जयपुर : राजस्थान 64 जिलों वाला राज्य बन सकता है। संभाग भी 10 की जगह 13 हो सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि राज्य सरकार ने 14 शहरों-कस्बों को नया जिला बनाने की तैयारी कर ली है। इसके लिए सरकार ने नए जिलों के लिए गठित राज्य स्तरीय कमेटी को प्रस्ताव भेज भी दिए हैं।
इन प्रस्तावों का रिटायर्ड IAS रामलुभाया की कमेटी परीक्षण कर रही है। कमेटी 15 जुलाई तक अपनी सिफारिश राज्य सरकार को भेजेगी कि किन शहर-कस्बों को जिला बनाया जा सकता है और किन्हें नहीं।
सूत्रों का कहना है कि बजट में 19 जिलों की घोषणा के बाद अब आगामी प्रस्तावित विधानसभा सत्र में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और नए जिलों की घोषणा कर सकते हैं। इसके साथ ही 6 उन जिलों के नाम भी भेजे गए हैं जिनमें से 3 को संभाग बनाया जा सकता है।
भास्कर ने रामलुभाया कमेटी को मिले प्रस्ताव का एनालिसिस किया। मंडे स्पेशल स्टोरी में पढ़िए- कौन-कौन से वो 14 कस्बे हैं, जो नए जिलों की रेस में हैं? कौन से जिले संभाग मुख्यालय बनाए जाने की कतार में हैं? इन कस्बों में ऐसी क्या खासियत है कि जिला या संभाग बनाए जाने का विचार है?
रामलुभाया कमेटी के पास पहुंचे 14 नाम
कमेटी के चेयरमैन रिटायर्ड आईएएस रामलुभाया ने भास्कर को बताया कि मूल रूप से तो यह सरकार पर ही निर्भर करता है कि वो किस शहर-कस्बे को जिला घोषित करें और किसे नहीं। अब तक 15 नवगठित जिलों में प्रशासनिक काम शुरू हो चुके हैं। इस बीच राज्य सरकार ने हमें कुछ नए शहर-कस्बों के प्रस्ताव भी भेजे हैं। हम उन पर विचार और परीक्षण कर रहे हैं। हम अपनी सिफारिशें सरकार को भेज देंगे। सरकार उनमें से जिसे उचित समझेगी, उसे जिला घोषित कर देगी।
सरकार ने 14 कस्बों के लिए आई सिफारिशों का एक प्रस्ताव बनाकर रामलुभाया कमेटी के पास भेजा है। जानकार बताते हैं अगर मुख्यमंत्री स्तर से इस तरह की रिपोर्ट भिजवाई गई है तो यकीनन ही इस पर आगामी विधानसभा सत्र से पहले विचार किया जा सकता है। आइए जानते हैं- कौन-कौन से नए जिलों के गठन की उम्मीद अभी शेष है…।
1. खेतड़ी : नीमकथाना में नहीं जाना चाहते यहां के लोग लेकिन खेतड़ी को जिला बनाने की मांग जनप्रतिनिधियो ने रामलुभाया कमेटी को नहीं भेजी
खेतड़ी को जिला बनाओ संघर्ष समिति के तत्वावधान में उपखंड अधिकारी कार्यालय के सामने अनिश्चितकालीन क्रमिक अनशन व धरना
पोस्टकार्ड अभियान शुरू
जिला बनाओ संघर्ष समिति के तत्वाधान में शुक्रवार को पोस्टकार्ड अभियान शुरू किया गया। समिति के पदाधिकारी दिनेश सोनगरा ने बताया कि पहले दिन मुख्यमंत्री के नाम 11सौ पोस्टकार्ड भेजकर खेतड़ी को जिला बनाने की मांग की गई है। पोस्टकार्ड प्रत्येक गांव- ढाणी, शिक्षण संस्थानों आदि के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम भेजे जाएंगे।
खेतड़ी को जिला बनाने की मांग को लेकर सद्बुद्धि यज्ञ का आयोजन किया।
2. मालपुरा : दूदू-केकड़ी में नहीं जाना चाहते यहां के लोग
वर्तमान में मालपुरा टोंक जिले का हिस्सा है। यह जयपुर और टोंक दोनों से करीब 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस क्षेत्र को दूदू और केकड़ी के नए जिलों शामिल किया जाना प्रस्तावित है, जिसका गत दिनों लगातार क्षेत्र में लोग विरोध कर रहे हैं। हाल ही राजस्थान बीस सूत्री कार्यक्रम (बीसूका) के उपाध्यक्ष कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त डॉ. चंद्रभान ने मालपुरा को जिला बनाने में रुचि ली है।
डॉ. चंद्रभान ने सरकार से मांग की है कि मालपुरा को जयपुर संभाग में शामिल किया जाए और अलग से जिला भी बनाया जाए। डॉ. चंद्रभान इसी क्षेत्र में स्थित टोडारायसिंह से वर्ष 1998 में विधायक और ऊर्जा मंत्री रहे हैं। वे कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष भी रहे हैं और सीएम गहलोत के नजदीक माने जाते हैं। ऐसे में मालपुरा को जिला बनाने का प्रस्ताव कमेटी को भेजा गया है।
3. सांभर-फुलेरा : कानून व्यवस्था को लेकर स्थिति चुनौतीपूर्ण
सांभर-फुलेरा क्षेत्र को दूदू में शामिल किया जाना प्रस्तावित है, जिसका क्षेत्र में पुरजोर विरोध किया जा रहा है। सांभर व फुलेरा दोनों ही शहर दूदू से सड़क, रेल, परिवहन, चिकित्सा, शिक्षा, कृषि, व्यापार, इतिहास, पर्यटन हर दृष्टि से ज्यादा विकसित हैं। ऐसे में वहां लोग आंदोलनरत हैं। वे चाहते हैं कि या तो सांभर-फुलेरा को अलग जिला बनाया जाए या फिर उन्हें जयपुर जिले में ही रखा जाए।
गत दिनों इसे लेकर दूदू के विधायक बाबूलाल नागर और भाजपा नेता दीनदयाल कुमावत के बीच हाईवे जाम करने को लेकर तकरार भी हुई। कानून-व्यवस्था के लिए यह मामला चुनौतीपूर्ण हो गया है। फुलेरा विधायक निर्मल कुमावत भी नहीं चाहते हैं कि उनके क्षेत्र का विलय दूदू में हो।
4. सुजानगढ़ : दिवंगत मंत्री ने किया था वादा
सुजानगढ़ से कांग्रेस के दिग्गत नेता मास्टर भंवरलाल 2018 का चुनाव जीते थे। वे छठी बार विधायक बने थे। उन्होंने सुजानगढ़ को जिला बनाने का वादा किया था। 2020 में उनका निधन हो गया। कांग्रेस उप चुनाव में यह सीट जीती और भंवरलाल के बेटे मनोज मेघवाल चुनाव जीते। मनोज ने 15 नवगठित जिलों में सुजानगढ़ का नाम नहीं आने पर क्षेत्र में आंदोलन कर रहे लोगों से वादा किया था कि सीएम गहलोत सुजानगढ़ को भी जिला बनाएंगे। सुजानगढ़ राजस्थान के 10 सबसे विकसित शहर-कस्बों (गैर जिला) में गिना जाता है। ऐसे में कमेटी सुजानगढ़ पर भी गंभीरता से विचार कर रही है।
5. भिवाड़ी : सबसे ज्यादा राजस्व यहीं से, फिर भी नहीं बनाया था जिला
अलवर जिले में स्थित भिवाड़ी राजस्थान व हरियाणा की सीमा पर स्थित है। राजस्थान में सबसे ज्यादा राजस्व किसी एक शहर के खाते में है, तो वो भिवाड़ी है। पुलिस जिला तो तीन साल पहले बनाया जा चुका है। राजस्थान के 33 जिलों के अलावा पुलिस अधीक्षक (एसपी) का केवल भिवाड़ी में ही कार्यालय संचालित है।
इसके अलावा प्रदेश की 14 यूआईटी (नगर सुधार न्यास) में से एक भिवाड़ी में है। फिर भी भिवाड़ी को 15 नव गठित जिलों में शामिल नहीं किया था। बसपा से कांग्रेस में आए छह में विधायकों में से एक संदीप यादव यहीं से विधायक हैं। उनका दबाव काम आया और अब भिवाड़ी भी उन प्रस्तावित शहरों में शामिल है, जिन पर कमेटी विचार कर रही है।
6. भीनमाल : बड़ा व्यापारिक-औद्योगिक कस्बा
भीनमाल जालोर जिले में स्थित है और दक्षिणी-पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा व्यापारिक-औद्योगिक कस्बा है। हाल ही सीएम गहलोत जब इस क्षेत्र में आए थे, तो स्थानीय नागरिकों ने उनसे जिला बनाने की मांग की थी। जालोर पहले से जिला है। पास में स्थित बालोतरा और सांचौर को भी जिला बना दिया गया है। ऐसे में भीनमाल में लोगों में रोष है कि उनके शहर को जिला नहीं बनाया गया है। इसे देखते हुए अब विचार किया जा रहा है।
7. निम्बाहेड़ा : सीमेंट उद्योग में नंबर वन
निम्बाहेड़ा दक्षिणी राजस्थान का सबसे समृद्ध शहर है। सीमेंट उत्पादन इकाइयों और औद्योगिक कारखानों से यह समृद्धि आई है। मध्यप्रदेश व राजस्थान की सरहद पर है। यहां से विधायक उदयलाल आंजना गहलोत कैबिनेट में ताकतवर मंत्री हैं। उनकी तरफ से मांग है कि चित्तौड़गढ़ जिले को संभाग और निम्बाहेड़ा को जिला बनाया जाए। अब दोनों में से एक मांग पूरी होना संभव लग रहा है।
8. सूरतगढ़ : क्षेत्र में चल रहा है लगातार आंदोलन
सूरतगढ़ श्रीगंगानगर का एक बड़ा कस्बा है। सेना, सौर ऊर्जा, तापीय बिजली उत्पादन का एक बहुत बड़ा केन्द्र है और पंजाब-राजस्थान की सरहद पर स्थित है। हाल ही मुख्यमंत्री गहलोत और कांग्रेस के प्रभारी सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने क्षेत्र का दौरा किया था और वहां कांग्रेस की बैठक भी ली थी। तब भी यह मुद्दा उठा था। पास में स्थित श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ पहले से जिले हैं और अब अनूपगढ़ को भी जिला घोषित कर दिया है। ऐसे में सूरतगढ़ में लोग पुरजोर मांग कर रहे हैं कि सूरतगढ़ भी जिला घोषित किया जाए।
9. लाडनूं : पायलट समर्थक मुकेश भाकर की है मांग
नागौर जिले के लाडनूं कस्बे को कोटपूतली-बहरोड़ और डीडवाणा-कुचामन की तर्ज पर सुजानगढ़-लाडनूं (सुजला नाम से) जिला घोषित करवाने की मांग लंबे अर्से से की जा रही है। लाडनूं से सचिन पायलट के समर्थक विधायक मुकेश भाकर की कोशिश है कि लाडनूं जिला बने, हालांकि फिलहाल यह मुश्किल लग रहा है। अब कमेटी की सिफारिश पर ही सब-कुछ निर्भर करता है।
10. देवली : नए जिले केकड़ी और शाहपुरा में बंटने का विरोध
देवली के इलाके को शाहपुरा (भीलवाड़ा) और केकड़ी (अजमेर) के नए जिलों में शामिल किया जाना प्रस्तावित है। यहां से विधायक हैं पूर्व आईपीएस अधिकारी हरीश मीना। मीना सीएम गहलोत को पत्र लिखकर देवली को वर्तमान के अजमेर संभाग से निकालकर जयपुर संभाग में शामिल करवाना चाहते हैं। देवली को जिला बनाने की मांग तो वे नहीं कर रहे हैं, लेकिन वे और वहां के लोग केकड़ी या शाहपुरा में शामिल होने को तैयार नहीं है। देवली में सड़क, चिकित्सा, परिवहन, शिक्षा आदि की सुविधाएं केकड़ी और शाहपुरा से बढ़कर हैं। ऐसे में अब कमेटी संभाग बदलने की मांग मान सकती है।
11. जैतारण या सोजत : पाली को संभाग बनाया गया है, इसलिए संभव है)
पाली को संभाग बनाया गया है। ऐसे में उसमें जालोर-सिरोही के कुछ हिस्सों सहित सम्पूर्ण वर्तमान पाली जिले को शामिल किया जाएगा। संभाग का आकार सामान्यतः: 4-5 जिलों का होता है। ऐसे में पाली जिले के दो बड़े कस्बों जैतारण या सोजत में से किसी एक को जिला बनाया जा सकता है।
सोजत से पूर्व में सीएम के सलाहकार निरंजन आर्य (पूर्व मुख्य सचिव) की पत्नी संगीता आर्य कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुकी हैं। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि आगामी विधानसभा चुनावों में आर्य सोजत से चुनाव लड़ सकते हैं। ऐसे में सोजत को जिला बनाए जाने की सिफारिश की जा सकती है।
जयपुर व जोधपुर के 4 जिलों पर भी मशक्कत जारी
जयपुर शहर को उत्तर या दक्षिण और जोधपुर शहर को पूर्व व पश्चिम में बांटे जाने की घोषणा तो ठंडे बस्ते में चली गई है, लेकिन पुलिस व प्रशासन की सुविधा के लिए इन जिलों को (शहर को छोड़कर) उत्तर-दक्षिण या पूर्व पश्चिम में बांटा जाएगा। ऐसा इसलिए किया जाना जरूरी है कि दोनों ही जिलों में शहरी क्षेत्र को छोड़कर भी 100-150 किलोमीटर लंबाई-चौड़ाई वाला ग्रामीण इलाका मौजूद है, जिसमें प्रदेश की सबसे बड़ी जनसंख्या (जयपुर में करीब 25 लाख और जोधपुर में करीब 12 लाख) रहती है। ऐसे में वहां पर पुलिस-प्रशासन के हिसाब से 2-3 जिलों में बंटवारा किया जाना जरूरी है, ताकि बेहतर शासन स्थापित हो सके।
उदाहरण के लिए जयपुर से दूदू और कोटपूतली को अलग करके जयपुर शहर को बिना छेड़े जयपुर जिला रखा जाएगा, लेकिन इसके बावजूद भी बगरू, चाकसू, आमेर, फुलेरा, सांभर, नरैना, रेनवाल, फागी, चौमूं, विराटनगर, शाहपुरा, जोबनेर, महलां, जमवा रामगढ़, बस्सी आदि कई क्षेत्र हैं, जो अभी जयपुर जिले में हैं, उन्हें नया जिला बनाया जाए या उन्हें उत्तर-दक्षिण के हिसाब से बांटा जाए या सभी को दूदू और कोटपूतली में बांटा जाए। इन सभी फॉर्मूलों पर कमेटी विचार कर रही है। इसी तरह का फॉर्मूला जोधपुर शहर के बाहर स्थित ओसियां, बिलाड़ा, मंडोर, शेरगढ़, लूणी, पिपाड़ सिटी, भोपालगढ़ आदि के लिए तय किया जा रहा है। जयपुर-जोधपुर के लिए संभवत: कमेटी अगले सप्ताह तक सीएम गहलोत से बातचीत कर सकती है।
3 नए संभागों के लिए 6 जिलों के नाम पर भी विचार, मंजूरी मिली तो अलवर का पहला नंबर
राज्य सरकार को मिले विभिन्न प्रतिवेदनों व मांग पत्रों के साथ आए राजनीतिक दबाव को देखते हुए सीएम गहलोत ने कमेटी को कुछ नए संभागों का परीक्षण करने को भी कहा है। इनमें अलवर पहले नंबर पर है। करीब डेढ़ महीने पहले स्वयं मुख्यमंत्री गहलोत ने ये कहा था कि राजस्थान में अब जब कभी भी कोई नया संभाग बनेगा तो उस में पहला नंबर अलवर का ही होगा। पूर्व केन्द्रीय मंत्री रहे भंवर जितेन्द्र सिंह ने भी सीएम गहलोत से यह मांग पहले से कर रखी है।
वर्तमान में प्रदेश में जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर, अजमेर, कोटा व भरतपुर संभाग हैं। तीन नए संभागों के रूप में सीकर, बांसवाड़ा और पाली को बनाने की घोषणा की जा चुकी है। इनके अलावा अलवर सहित छह और जिला मुख्यालयों को संभाग बनाने का प्रस्ताव कमेटी के पास भेजा गया है। उनमें से किन्हीं तीन या चार को संभाग मुख्यालय बनाए जाने की संभावना है।
भीलवाड़ा : राजस्व मंत्री रामलाल जाट स्वयं सीएम गहलोत से मांग कर चुके हैं कि प्रदेश में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले तीन जिलों में से एक भीलवाड़ा है। भीलवाड़ा सम्पूर्ण रूप से विकसित जिला है, ऐसे में उसे संभाग बनाया जाए। इसी जिले की मांडल विधानसभा सीट से लवे चौथी बार विधायक बने हैं।
चित्तौड़गढ़ : सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना चित्तौड़गढ़ के सांसद भी रहे हैं और विधायक भी। वे चाहते हैं कि चित्तौड़गढ़ को संभाग बनाया जाए।
बाड़मेर : पश्चिमी राजस्थान में पेट्रोल रिफायनरी का गढ़ बन चुका बाड़मेर अब रेल, सड़क, चिकित्सा, शिक्षा सभी क्षेत्रों में पूर्ण विकसित है। क्षेत्र में बालोतरा व सांचौर जिले बनाए जा चुके हैं। ऐसे में जोधपुर संभाग का प्रशासनिक दबाव कम करने के लिए बाड़मेर को संभाग बनाया जा सकता है।
नागौर : यहां के सांसद हनुमान बेनीवाल भी मांग कर चुके हैं और नागौर जिला क्षेत्रफल के हिसाब से प्रदेश के पांच सबसे बड़े जिलों में शामिल है। अब डीडवाणा और कुचामन को जिला बना दिया गया है। इस जिले से सीएम गहलोत के नजदीक माने जाने वाले महेन्द्र चौधरी सरकारी उप मुख्य सचेतक हैं। इलाके में जनाधार बढ़ाने के लिए कांग्रेस नागौर को संभाग बनाने पर विचार कर रही है।
सवाईमाधोपुर : जयपुर, कोटा व भरतपुर संभागों के राजनीतिक-प्रशासनिक व पुलिस रेंज संबंधी कार्यगत दबावों को कम करने के लिए इन सबके बीच में स्थित सवाई माधोपुर को संभाग बनाया जा सकता है। यहां से विधायक दानिश अबरार सीएम गहलोत के सलाहकार हैं। ऐसे में कमेटी इसकी सिफारिश कर सकती है।
क्या पायलट का भी कोई पेंच हैं जिला बनाने में
सियासी हलकों में चर्चा है कि सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच जारी दूरियों का असर 15 नवगठित जिले बनाने में भी देखा गया है। कई कस्बों से पायलट समर्थक विधायक जिला बनाने की मांग कर रहे थे, लेकिन वहां उनकी ये मांग पूरी नहीं की गई।
पायलट के खास समर्थक सैनिक कल्याण मंत्री राजेन्द्र सिंह गुढ़ा के लाख प्रयासों के बावजूद उनके क्षेत्र उदयपुरवाटी (झुंझुनूं) को जिला नहीं बनाया गया। जबकि वे जिसका विरोध कर रहे थे उस नीमकाथाना (सीकर) को अलग जिला बना दिया गया है।
इसी तरह टोंक जिले का देवली कस्बा, केकड़ी व शाहपुरा से ज्यादा विकसित है, लेकिन उसे भी जिला नहीं बनाया गया, क्योंकि वहां से पायलट समर्थक हरीश मीना विधायक हैं।
वन मंत्री हेमाराम चौधरी, पूर्व राजस्व मंत्री हरीश चौधरी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दीपेन्द्र सिंह शेखावत, विधायक मुकेश भाकर, विधायक वेदप्रकाश सोलंकी के विधानसभा क्षेत्रों क्रमश: गुढ़ामालानी, बायतू, श्रीमाधोपुर, लाडनूं, चाकसू आदि को भी जिला नहीं बनाया गया है। पायलट ने अभी तक नव गठित जिलों के लिए कभी सीएम गहलोत का आभार भी नहीं जताया है।