बीकानेर-खाजूवाला : 20 जून को पार्वती (बदला हुआ नाम) कोचिंग के लिए घर से अकेली ही निकली थी। वरना रोज भाभी उसके साथ होती थी। उसे 11 बजे खाजूवाला में अपने कोचिंग सेंटर पहुंचना था, लेकिन मंगलवार के दिन वो कोचिंग सेंटर की बजाय दो मंजिला मकान में थी।
यहां तक तो सब ठीक था। कुछ ही देर में नीचे उतरी तो शरीर से खून रिस रहा था। वो दर्द से कराह रही थी। कुछ लोगों ने उसे कार में डाला और हॉस्पिटल में छोड़कर फरार हो गए। इससे पहले ही कोचिंग छात्रा की मौत हो चुकी थी। ये कोई मौत की आम घटना नहीं थी। आरोप है कि उस दो मंजिला मकान में स्टूडेंट के साथ तीन लोगों ने गैंगरेप किया। फिर उसकी हत्या कर दी गई। इस घिनौनी करतूत को अंजाम देने वालों में लोकल थाने के दो कॉन्स्टेबल थे।
एक दलित कोचिंग छात्रा से ऐसी बर्बरता ने पूरे राजस्थान को झकझोर कर रख दिया। दैनिक भास्कर ने इस पूरे मामले में ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की। उस दो मंजिला मकान तक पहुंचे तो इस घटनाक्रम से जुड़े वो स्याह पहलू सामने आए। इनमें सबसे बदनुमा थी ‘खाकी कि डर्टी पिक्चर’….
क्या है घटनाक्रम, शुरुआत से जानते हैं..
19 जून को करीब साढ़े बारह बजे एक कार खाजूवाला के सरकारी अस्पताल के पोर्च में आकर रुकती है। एक युवक बाहर निकलता है। स्ट्रेचर लेकर आता है। फिर कार की पिछली सीट पर लेटी महिला को बाहर निकालकर स्ट्रेचर पर लिटाकर अंदर ले जाता है। बीमार दिखने वाली महिला को कार से निकालने वाले तीन लोग हैं, जिसमें एक महिला (नर्सिंगकर्मी) भी शामिल है। कार चालक बाहर नहीं निकलता है।
जैसे ही नर्सिंगकर्मी और दो अन्य लोग महिला को लेकर अस्पताल में जाने लगते हैं, ठीक तभी ड्राइवर अपनी कार को बेक कर उसका मुंह मेन गेट की तरफ मोड़ देता है। कुछ सेकंड बाद ही कार वहां से निकल जाती है।
खाजूवाला अस्पताल में लगे CCTV कैमरे में कैद वो कार जिसमें पीड़िता को लाया गया।
पता चलता है कि उसकी पहले ही मौत हो चुकी है। जिस युवती को इस कार में लाया गया, उसके साथ पहले गैंगरेप और बाद में हत्या की गई। आरोप है कि उसी कार में खाजूवाला थाने के दो पुलिस कांस्टेबल मनोज और भागीरथ थे जबकि तीसरा व्यक्ति दिनेश बिश्नोई था। कार राकेश नाम का युवक चला रहा था, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
घटना का सच, जो ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आया…
मीडिया टीम उस मकान के पास पहुंची जहां ये सारा घटनाक्रम हुआ। दो मंजिला ये मकान जग्गा नामक युवक का है।
जो उसने जस्सू नाई नाम के शख्स को किराए पर दे रखा था। उस दिन करीब 11 बजे कोचिंग छात्रा किराए के इस मकान पर ही थी। उसे वहां लाया गया या वो खुद वहां पहुंची यह अभी सवाल है।
लेकिन बताया जा रहा है कि जब वो सीढ़ियां चढ़कर इस घर की पहली मंजिल पर बने कमरे पर पहुंची तो ठीक-ठाक थी। नीचे उतरी तो दो जनों ने उसे बड़ी मुश्किल से कार में पहुंचाया। तब वो लहूलुहान अवस्था में थी। ये भी बताया जा रहा है कि ये दोनों दृश्य भी सीसीटीवी में कैद हो गए हैं, हालांकि ऐसा कोई सीसीटीवी फुटेज अभी तक सामने नहीं आया है।
परिजनों का आरोप- तीनों ने गैंगरेप किया, फिर मर्डर
मीडिया से बातचीत में मृतक पीड़िता के मामा ने बताया कि उनकी 20 साल की भांजी आरकेसीएल कोर्स (कंप्यूटर) करने के लिए अपने गांव से खाजूवाला रोज आती थी। इसी दौरान मनोज नाम का कांस्टेबल उसके साथ छेड़छाड़ करता था। न सिर्फ मनोज बल्कि दिनेश बिश्नोई नाम का युवक भी उसे तंग करता था। मनोज का खास दोस्त था, कांस्टेबल भागीरथ। वो हर वक्त मनोज के साथ रहता था, वह भी इस घटनाक्रम में शामिल है।
वो मकान जहां गैंगरेप हुआ, बन गया था अय्याशी का अड्डा
मीडिया को उस घर के आसपास के लोगों ने ऑफ दी कैमरा दबी जुबान में बताया कि इस मकान पर कई बार युवतियों-महिलाओं को लाया जाता था। आसपास के लोगों ने इस बारे में खाजूवाला थाने में शिकायत भी की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। अगर तत्कालीन सीआई अरविंद सिंह सख्त कार्रवाई करते तो शायद ऐसा घटनाक्रम होता ही नहीं।
ये मकान अनाज मंडी परिसर से सटा हुआ है। अनाज मंडी में कई सीसीटीवी कैमरा लगे हैं, अगर इनके फुटेज खंगाले जाएं तो कुछ स्थिति स्पष्ट हो सकती है। इस मुद्दे पर बातचीत के लिए हमने पुलिस अधीक्षक तेजस्विनी गौत्तम से बातचीत करनी चाही, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।
कमरा खोलेगा कई राज, एफएसएल टीम ने जुटाए सबूत
पुलिस ने इस कमरे को फिलहाल सीज कर दिया है। एक सिपाही की ड्यूटी लगा दी गई है। इससे पहले फोरेंसिक टीम ने यहां से सबूत एकत्र किए हैं। कमरे के सभी दृश्यों को कैमरे में कैद करने के साथ ही जगह-जगह से फिंगर प्रिंट लिए गए हैं। अनेक केमिकल के साथ कई महत्वपूर्ण सबूत जुटाए गए हैं। एफएसएल की रिपोर्ट में स्पष्ट हो जाएगा कि ये तीनों वहां मौजूद थे या नहीं?
घटना के बाद खून साफ किया
एफएसएल टीम के आने से पहले कुछ लोगों ने उस मकान के हालात देखे थे। उनमें से कई लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि महिला के ज्यादा ब्लड बहा तो उसे साफ किया गया। मौके पर बकायदा पोछा लगाया गया, ताकि किसी को ब्लड नजर नहीं आये। पुलिस अधीक्षक तेजस्विनी गौतम का कहना है कि अगर ऐसा किया गया है तो एफएसएल जांच में सब सामने आ जाएगा।
पहली बार या बार-बार
आरोप लगाया जा रहा है कि एक बार नहीं बल्कि कई बार दिनेश बिश्नोई, मनोज और भागीरथ ने इस युवती को परेशान किया है। ऐसे में सीसीटीवी से पुराने फुटेज और अन्य तरीकों से ये पता लगाया जा रहा है कि इस युवती को पहले भी परेशान किया गया था या उस दिन पहली बार लेकर आए थे।
अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो चुकी थी मौत?
युवती को सबसे पहले हैंडल करने वालों में डॉक्टर पूनाराम रोझ और एक नर्स ने बताया कि देखते ही समझ गए थे कि मामला संदिग्ध है। ऐसे में उन्होंने तत्काल पुलिस को फोन किया। डॉ. पूनाराम की मानें तो दोपहर करीब 12.15 बजे का वक्त था जब एक में सवार कुछ लोग लड़की को लेकर आए थे, जिन्हें हम नहीं पहचानते। लड़की के वेजाइनल पार्ट से खून बह रहा था। कपड़े खराब हो रखे थे। रेप हुआ या नहीं इसकी पुष्टि रिपोर्ट में हो सकेगी। पर हां, जब युवती हॉस्पिटल पहुंची तो वह दम तोड़ चुकी थी।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्या?
अब तक की जांच के बाद पुलिस ने सिर्फ इतना कहा है कि युवती की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का सबसे बड़ा कारण अत्यधिक ब्लीडिंग होना है। इसका कारण उसके साथ जबरदस्ती करना है या फिर कुछ और? ये पुलिस जांच का विषय है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट अब तक सामने नहीं आई है। पुलिस ने भी सिर्फ एक प्वाइंट ही स्पष्ट किया है कि अत्यधिक ब्लीडिंग हुई। जबकि परिजनों का आरोप है कि उनकी बेटी के शव पर चोट के निशान थे, पुलिस इन सवालों पर मौन है।
20-25 दिन पहले युवती के पिता को लाया गया था थाने
ग्राउंड रिपोर्ट के दौरान पता चला कि युवती के पिता को भी उसके गांव से करीब 20-25 दिन पहले गिरफ्तार कर थाने लाया गया था। बताया जा रहा है कि युवती पर दबाव बनाने के लिए ये कार्रवाई भी दिनेश बिश्नोई के कहने से हुई थी। तब पिता पर ये आरोप लगाया गया कि वो शराब के नशे में था।
मौके पर पहुंची भाजपा जांच दल की सदस्य विधायक अनिता भदेल ने पुलिस के रवैये पर कई सवाल खड़े किए। उनका कहना है कि जब सरकार शराब बेच रही है तो घर पर बैठकर शराब पीने में क्या गलत था। पुलिस की ये करतूत महिला और उसके परिवार पर दबाव बनाने के लिए की गई थी।
मुख्य आरोपी दिनेश बिश्नोई कौन?
इस पूरे घटनाक्रम में दो पुलिसकर्मियों के अलावा दिनेश बिश्नोई का नाम प्रमुखता से आ रहा है। अलबत्ता, दिनेश बिश्नोई को ही मुख्य अभियुक्त माना जा रहा है। दिनेश यहां के एक कॉलेज में पढ़ता है। जिस उम्र में युवक थाने में जाने से डरते हैं, उस उम्र में उसके थाने में कई कांस्टेबल मित्र बन गए थे।
दिनेश का दोस्त कांस्टेबल मनोज बताया जा रहा है। वहीं कांस्टेबल भागीरथ पहले से कांस्टेबल मनोज का दोस्त था, इसलिए दिनेश बिश्नोई, मुकेश और मनोज, तीनों आपस में भी गहरे दोस्त बन गए थे।
बताया जा रहा है कि दिनेश बिश्नोई की पुलिसकर्मियों मनोज और भागीरथ से दोस्ती कोरोना काल में बढ़ गई थी। इसके बाद से ही दिनेश का थाने में आना-जाना बढ़ गया। कोरोना काल में आम लोगों का बाहर निकलना मुश्किल था, लेकिन दिनेश पुलिस के साथ आता-जाता था। यहां तक कि यहां के पूर्व थानेदार की विदाई पार्टी में भी दिनेश बिश्नोई को बुलाया गया था।
थानेदार को नहीं अखरी ये दोस्ती, तबादले के बाद किया सस्पेंड
कुछ दिन पहले तक खाजूवाला के थानाधिकारी अरविन्द सिंह थे। दिनेश बिश्नोई का बार-बार थाने में आना होता था। यहां थाने में घंटों तक बैठे रहना। पुलिस की गाड़ियों में घूमना और इन्हीं गाड़ियों में बैठकर फोटो खिंचवाना कभी भी तत्कालीन थानेदार अरविन्द सिंह को असहज नहीं लगा।
पुलिस गाड़ियों में उसके फोटो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुए। लेकिन पुलिस ने कभी इसे गंभीरता से नहीं लिया। आरोप है कि दिनेश कुछ गलत काम करता भी था तो पुलिसवालों से उसकी दोस्ती के कारण कोई कार्रवाई नहीं होती थी। सर्किल इंस्पेक्टर लेवल के इस थाने में पिछले लंबे अर्से से अरविन्द सिंह शेखावत थानेदार थे। अरविन्द सिंह का घटना से कुछ दिन पहले ही ट्रांसफर हो गया।
अब अरविन्द को सस्पेंड कर दिया गया है। आरोप है कि अरविन्द सिंह ने दिनेश बिश्नोई को थाने में आने से नहीं रोका। यहां तक कि उसकी विदाई पार्टी में भी दिनेश बिश्नोई शामिल था। दिनेश और थानेदार अरविन्द का फोटो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ।
खाजूवाला पुलिस थाना कटघरे में
दरअसल, खाजूवाला थाने का लगभग 70 फीसदी स्टाफ तीन साल से ज्यादा समय से यहां जमा हुआ है। आरोप है कि थाने में काम करने वाले कांस्टेबल भी खुद को सीआई से कम नहीं समझ रहे थे। थाने में प्रशासनिक नियंत्रण कमजोर होने के कारण कांस्टेबल बेलगाम हो गए थे और अपनी कानूनी शक्तियों का इस्तेमाल गलत कामों में करने लगे थे। युवती से गैंगरेप और हत्या की घटना के बाद खाजूवाला थाने से 7 पुलिसकर्मियों को हटा दिया गया है।
सिर्फ तीन ही आरोपी नहीं, कई और लोग भी शामिल
इस पूरे घटनाक्रम में सिर्फ दिनेश, मनोज और भागीरथ ही नामजद आरोपी हैं। लेकिन जांच में कुछ और नाम भी सामने आ सकते हैं। जिस कमरे से युवती को अस्पताल पहुंचाया गया था, उसकी सफाई करने वाला कोई और बताया जा रहा है। इतना ही नहीं जिस कमरे में महिला की तबीयत बिगड़ी थी, उस कमरे में किसी ने ताला भी लगाया था। बाजार से ताला खरीदा गया था। जांच में इन तीन के अलावा भी कुछ लोग सामने आ सकते हैं। संभागीय आयुक्त नीरज के. पवन ने कहा भी है कि जिसका जितना दोष है, उसे उतनी सजा जरूर मिलेगी।
मामले को दबाने का प्रयास?
आरोप है कि इस पूरे मामले को दबाने का प्रयास किया गया। न सिर्फ पुलिस ने बल्कि प्रशासनिक अधिकारियों ने भी महिला का पोस्टमार्टम करवाने और अंतिम संस्कार करने का दबाव बनाया गया। इस दौरान युवती के भाई के साथ एक प्रशासनिक अधिकारी ने जबरदस्ती भी की थी। इसकी शिकायत भी आला अधिकारियों से की गई है।
अब तक 5 हिरासत में
पुलिस हिरासत में अब चार लोग हैं। इसमें कपिल, जस्सू, ओमप्रकाश और कॉन्स्टेबल भागीरथ और मनोज हैं। बर्खास्त कॉन्स्टेबल मनोज और निलंबित कांस्टेबल भागीरथ अभी पुलिस की हिरासत में है, गिरफ्तार नहीं दिखाया गया है। फरार मुख्य आरोपी दिनेश बिश्नोई की गिरफ्तारी के लिए 25 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया है।
सवाल जो मांग रहे हैं जवाब
- सबसे बड़ा सवाल ये है कि इन मामले में सिर्फ तीन ही आरोपी है या फिर कुछ और लोग भी शामिल है?
- पीड़ित युवती को पहली बार ही इस कमरे में लाया गया या पहले भी उसके साथ जबरदस्ती की गई?
- क्या सिर्फ मृतक युवती के साथ ही जबरदस्ती की गई या फिर कुछ और महिलाएं भी पीड़ित रही है लेकिन चुप हैं?
- दिनेश बिश्नोई पुलिसकर्मी मित्रों के साथ मिलकर ऐसा क्या करता था कि दोस्ती बढ़ती चली गई और थानेदार तक को इस पर कोई आपत्ति नहीं थी।
- दिनेश बिश्नोई को थानेदार की विदाई पार्टी में किसने बुलाया?
- पुलिस की गाड़ियों में वो फोटो किसकी अनुमति से खिंचवा लेता था?