अजमेर : देश का सबसे बड़ा अजमेर का सेक्स स्कैंडल एक बार फिर चर्चा में है। इस बार विवाद इस स्कैंडल पर बन रही मूवी AJMER-92 को लेकर है।
इसको लेकर मुस्लिम समाज के प्रतिनिधियों और अजमेर शरीफ दरगाह कमेटी के पदाधिकारियों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया है कि इस फिल्म के माध्यम से एक ही कम्युनिटी के लोगों को टारगेट किया जा रहा है।
उनका कहना है कि मूवी को हिंदू-मुस्लिम एंगल से जोड़ना भी गलत है। दरगाह कमेटी की ओर से चेतावनी दी गई है कि अजमेर शरीफ दरगाह और ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की इमेज को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
चेतावनी- पूरे देश में शांतिपूर्ण विरोध होगा, बैन की मांग
इंडिया मुस्लिम फाउंडेशन के चेयरमैन डॉक्टर शोएब जमाई ने देर रात ट्वीट किया कि- अजमेर दरगाह कमेटी के सदर सैयद गुलाम किब्रिया और जनरल सेक्रेटरी सरवर चिश्ती सहित कमेटी से मीटिंग करने के बाद अधिकारिक घोषणा करते हैं कि फिल्म अजमेर 92 शहर में गठित एक आपराधिक घटना में कुछ स्थानीय अपराधी शामिल थे।
अगर यह फिल्म इस तक सीमित है तो हमारा कोई ऑब्जेक्शन नहीं है, लेकिनअगर षड्यंत्र के तहत अजमेर शरीफ दरगाह और ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की अजमत और इमेज को नुकसान पहुंचाने की कोशिश हुई तो फिल्मकारों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
फिल्म रिलीज करने से पहले कमेटी को दिखाने की मांग
डॉक्टर शोएब ने लिखा कि बेहतर है कि रिलीज करने से पहले फिल्मकार अजमेर दरगाह कमेटी को फिल्म दिखाएं ताकि भविष्य में कोई विवाद खड़ा ना हो। फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन के नाम पर नफरत फैलाने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
खादिमों की संस्था अंजुमन ने भी की मांग
मुंबई की रजा अकेडमी और जमीअत उलमा हिंद के बाद अब खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने भी फिल्म अजमेर 92 पर पाबंदी की मांग की है। । इस फिल्म के जरिए ख्वाजा साहब की शान में की गई गुस्ताखी की निंदा की गई है।
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अंजुमन सचिव सरवर चिश्ती ने एक वीडियो जारी करते हुए बताया कि इस फिल्म के जरिए हिंदू मुस्लिमों में नफरत फैलाना मंशा है। कर्नाटक चुनाव के समय द केलर स्टोरी लाई गई। अब राजस्थान में चुनाव को देखते हुए इस फिल्म को लाया गया है। फिल्म में गरीब नवाज की शान में गुस्ताखी नाकाबिले बर्दाश्त है। गरीब नवाज का दर सांप्रदायिक सौहार्द का केंद्र है और हर मजहब का व्यक्ति यहां आता है।
अंजुमन कमिटी के सचिव सरवर चिश्ती ने कहा कि इस फिल्म को ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती और खादिम समुदाय चिश्ती फैमिली से क्यों जोड़ा जा रहा हैं ? इसमें सिर्फ पॉलिटिकल पार्टी कॉलेज के बहुत सारे स्टूडेंट्स और कर्मचारी शामिल थे। एक ही कम्युनिटी के लोगों को टारगेट करना उचित नहीं है। चिश्ती ने कहा कि इस फिल्म को हिंदू-मुस्लिम एंगल से जोड़ना गलत है।
1992 का वह साल जो अजमेर के लिए काला अध्याय-डिप्टी मेयर
अजमेर के डिप्टी मेयर नीरज जैन इस फिल्म को लेकर कहा कि 1992 का वह साल जो अजमेर के लिए काला अध्याय बन गया। अजमेर के इतिहास के साथ में काला धब्बा बनकर उभरा। अजमेर में हुए ब्लैकमेल कांड में कई आरोपी आज भी फरार है और लचर कानून प्रक्रिया के कारण अपराधी बच गए।
जैन ने कहा कि बच्चियों को भविष्य में सीख देने के लिए इस प्रकार की वेब सीरीज बनती है तो वह इसका स्वागत और अभिनंदन करते हैं। इसका सर्च अजमेर की जनता के सामने आएगा तो अजमेर और देश के लिए बहुत अच्छा होगा।