अजमेर : ASP दिव्या के घूस लेने का सबूत:दवा कारोबारी बोला- पुष्कर में दिए 1 करोड़, तब भाई छूटा, मेरे पैसों से मसूरी में काटी मौज

अजमेर : राजस्थान SOG से सस्पेंड ASP दिव्या मित्तल ACB के हत्थे चढ़ने से पहले ही एक दूसरे दवा कारोबारी से एक करोड़ रुपए की रिश्वत ले चुकी थी। रिश्वत के ये पैसे दिव्या ने पुष्कर स्थित एक होटल में दवा कारोबारी से उसके भाई का केस कमजोर करने के लिए मांगे थे।

इतना ही नहीं दिव्या ने दवा कारोबारी को धमका कर खुद के लिए देहरादून में महंगे 5 स्टार होटल भी बुक करवाए। फिर उसी के पैसों पर मसूरी में मौज काटी। हाल ही में अजमेर कोर्ट में ACB की तरफ से पेश चार्जशीट में भी इसका जिक्र है।

दैनिक भास्कर ने इस मामले की पड़ताल करते हुए घूसकांड से जुड़ा सबसे बड़ा ऑडियो सबूत जुटाया है। इस सबूत को ACB ने भी कोर्ट में दिव्या के खिलाफ पेश किया है।

करीब 19 मिनट की बातचीत में दिव्या मित्तल के ‘घूसचक्र’ के सारे राज खुलकर सामने आ गए हैं। दिव्या के 1 करोड़ रुपए वसूलने की पूरी कहानी खुद उसके शिकार कह रहे हैं।

इस मंडे स्पेशल में पढ़िए- कैसे पुलिस की ये चर्चित महिला अफसर राजस्थान में नशीली गोलियां-इंजेक्शन बेचने वाले कारोबारियों को केस कमजोर करके बचाती थी और कैसे दूसरे लोगों को करोड़ों की घूस देने के लिए मजबूर करती थी…

सबसे पहले वो मामला समझिए, जहां से शुरू हुई घूसखोरी की कहानी…
दरअसल, ASP दिव्या मित्तल ने नशीली दवाओं की तस्करी को लेकर अजमेर के रामगंज थाने में दो और अलवर गेट थाने में एक मिलाकर कुल 3 FIR दर्ज की थी। तीनों ही मामलों में देहरादून स्थित दवा कंपनी हिमालय मेडिटेक के डायरेक्टर सुनील नंदवानी को आरोपी बनाया था। रामगंज थाने में दर्ज दोनों मामले क्लब कर इन्वेस्टिगेशन चल रही थी और अधिकतर आरोपी इन्हीं मामलों में पकड़े जा रहे थे।

हिमालयन मेडिटेक का डायरेक्टर सुनील नंदवानी, अजमेर और जयपुर में पकड़ी गई 16 करोड़ की नशीली गोलियों-इंजेक्शन के मामले में मुख्य अभियुक्त है।

ज्यादा मजबूत केस भी यही (रामगंज थाना) था। इसके बावजूद दिव्या ने नंदवानी को अलवर गेट थाने में दर्ज मामले में कमजोर धाराओं में अरेस्ट किया था। नंदवानी ने कोर्ट में जमानत अर्जी दी तो दिव्या ने कोर्ट से ये तथ्य भी छुपाया कि वो अन्य क्लब मामलों में भी आरोपी है। ऐसे में नंदवानी को हाईकोर्ट से 15 दिन बाद ही आसानी से जमानत मिल गई थी। इसी मामले में दिव्या मित्तल ने 1 करोड़ की घूस ली थी।

ACB की ट्रैप कार्रवाई से पहले दिव्या ने उत्तराखंड के हरिद्वार में दवा फैक्ट्री JPEE ड्रग्स के मालिक विकास अग्रवाल से भी 2 करोड़ की घूस मांगी थी। नशीली दवाओं की सप्लाई में कोई भूमिका नहीं होने के बावजूद दिव्या की धमकियों से परेशान हो विकास अग्रवाल ने एसीबी की शरण ली।

19 मिनट का ऑडियो, खुल गए सारे राज…

विकास अग्रवाल ने अजमेर के अलवर गेट थाने के दूसरे केस में पहले ही गिरफ्तार हो चुके सुनील नंदवानी के भाई संजय नंदवानी से मोबाइल पर करीब 19 मिनट और 4 सेकेंड की बातचीत की। इस बातचीत में संजय नंदवानी ने विकास अग्रवाल से दिव्या को लेकर कई बड़े खुलासे किए और माना कि बार-बार की धमकियों और टॉर्चर से परेशान होने के बाद उसने दिव्या के बताए अनुसार पुष्कर स्थित एक होटल में एक करोड़ रुपए की रिश्वत दी थी तभी जाकर उसके भाई सुनील नंदवानी की जमानत हो पाई।

JPEE ड्रग्स के मालिक विकास अग्रवाल और हिमालयन मेडिटेक के डायरेक्टर संजय नंदवानी की बातचीत के कुछ अंश…

संजय नंदवानी – हेलो, हां भाई।

विकास अग्रवाल – संजय भाई नमस्ते, आपने भैया (सुनील नंदवानी) से कुछ पूछा था क्या?

संजय नंदवानी- हां-हां, मैं रात को एक घंटा बैठा था सुनील के पास और पूछा कि बता भाई ऐसी क्या बात हो गई? तो सुनील ने कहा कि ये सब ASP दिव्या ने खुद ही लिखवाए है, जैसे कि आप भी इन्वॉल्व थे। सुनील ने बताया कि इस पर उसने साफ मना कर दिया था कि उनका तो कोई लेना-देना ही नहीं है। लेकिन दिव्या ये लिखने के लिए बार-बार बोल रही थी।

विकास अग्रवाल- नहीं नहीं, ये सब ठीक है भाई। हमारा तो वास्तव में ही कोई लेना-देना नहीं है। हमारा तो सब कुछ ओके भी हो गया था और हमने कागज भी पूरे दिखा दिए। अब वो (दिव्या) कह रही है कि मैं तुम्हे इस बिहाफ पर अब फंसाऊंगी कि सुनील नंदवानी ने ये बयान दिया है कि विकास अग्रवाल ने ही मुझे ड्रग स्मगलर सुशील करनानी से मिलवाया और उसकी गारंटी ली। जबकि आपको भी पता है मेरी और सुनील भैया के बारे में…

संजय नंदवानी- विकास, विकास ऐसे तो यार कोई भी किसी के बारे में बोल दे ..मैं भी तेरे बारे में और तू मेरे बारे में कुछ उलटा बोल दे।

विकास अग्रवाल- भैया मैं वो बात समझ रहा हूं, पर आप और मैं अगर एक-दूसरे के बारे में कुछ बोलेंगे तो सच ही तो बोलेंगे। झूठ थोड़े ही बोल देंगे। अगर आप मुझे किसी पार्टी से मिलवाएंगे तो ही तो मैं बोलूंगा कि आपने मिलवाया है। झूठ कैसे बोल दूंगा ?

संजय नंदवानी- अरे भाई सुनील भाई को उस मैडम (दिव्या मित्तल) ने 12 दिनों तक जो सवाल पर सवाल किए और उल्टा-सीधा जो फंसाया तो आखिर में सुनील भाई ने ही उसको बोल दिया कि आपको जो लिखना है लिखो मैडम। क्योंकि उन्हें वो फंसा तो चुकी ही थी। अब उसको कितना हैरेसमेंट किया था।

यहां (देहरादून) आई थी दिव्या, बोली थी कि आपका ट्रांसपोर्ट से कोई इन्वॉल्वमेंट नहीं है और हमने ट्रांसपोर्टर की वॉट्सऐप चैट भी देख ली है। तो यार वो लेडी (दिव्या मित्तल) तो कुछ भी कर सकती है भाई। तेरे को कहीं से भी इस पॉइंट पर तो तू फंस ही नहीं सकता है न, तू कैसे फंसेगा?

विकास अग्रवाल- भैया सुनील का बयान कोर्ट में तो वेलिड नहीं है पर अभी तो इसी बयान के आधार पर डरा-धमका कर मेरे से एक करोड़ रुपए मांग रही है न।

संजय नंदवानी- भाई मैं तेरे को बोल रहा हूं न। वो तेरे को गिरफ्तार कर सकती है क्या? तेरे हिसाब से।

विकास अग्रवाल- मेरे हिसाब से तो मुझे गिरफ्तार कर ही नहीं सकती, किसी भी कीमत पर। मेरा आधा परसेंट भी इन्वॉल्वमेंट नहीं है, ये आपको भी पता है।

विकास अग्रवाल- तो फिर इस जंजाल से कैसे निकला जाए? भैया वो तो गुंडे और क्लब में, मैंने सारा मैटर बताया था। उदयपुर ले गई।

संजय नंदवानी- हां गुंडे, तेरे को उदयपुर और मेरे को पुष्कर ले गई थी। जैसा तेरे साथ हुआ है सेम ही मेरे साथ हुआ है।

विकास अग्रवाल- उसने भैया जैकेट उतारकर सब देखी है।

संजय नंदवानी- अरे यार उसने तो जूते भी उतरवा लिए होंगे।

विकास अग्रवाल- हां मेरे जूते भी उतरवाए थे। जैसे कि आतंकवादी हो। आतंकवादी की मूवी में दिखाते हैं न बस सेम ऐसा ही हुआ है।

संजय नंदवानी- अरे भाई विकास ये सब मेरे साथ हो चुका है। तू क्या सोच रहा है, तभी तो मैं तेरे को क्या बोल रहा था ? जो लेडी ये बता सकती है कि मैंने उससे ये रिश्वत ली है। आज कोई भी ऑफिसर होगा वो कभी ये नहीं बताता कि मैंने रिश्वत ली है। लेकिन वो (दिव्या) तेरे को ये बता दे रही है कि उसने मुझसे रिश्वत के रुपए लिए। विश्वास कर मैंने अब तक घर वालों और वकील तक को नहीं बताया। और तो और खुद सुनील भाई को भी ये नहीं बताया कि मैंने दिव्या को इतना अमाउंट दिया है। क्या तू ये विश्वास करेगा ?

विकास अग्रवाल- भैया ये बात उसने नहीं बोली। ये बात उसके जो गुंडों का हेड था न उसने मुझे बोली थी। उसका भाई था या कौन था पता नहीं, उसने मुझे बोला था कि तू ज्यादा होशियार बन रहा है क्या? नंदवानी की तरह जेल काटने के बाद पैसे देगा क्या? तेरा तो यार है नंदवानी, उससे पूछ लेना फोन करके। उससे भी हमने दो (करोड़) मांगे थे और उसने एक करोड़ रुपए दिए हैं हमें। इसके बावजूद भी हमने उसे जेल भेजा है।

आज भी जब मर्जी होगी गर्दन काट सकते हैं। दो केस में अभी भी वो आरोपी है। फाइल दिव्या के ही हाथ में है….ये सब सुनकर तो मैं घबरा गया कि इनको रुपए दे भी देंगे, पहली बात तो देने का मतलब ही नहीं है और मेरे पास तो रुपए भी नहीं है। लेकिन दे भी दूं तो ये तो 6-8 महीने बाद फिर ब्लैकमेल करेगी।

संजय नंदवानी- सही बात है, अभी देहरादून तुम्हारे यहां आई थी। उस दौरान होटल-बोतल सब मेरे से बुक करवाए। फिर मसूरी घूमने गई। मेरा क्या लेना-देना भाई? तू होटल का खर्चा मेरे से ले रही है। सब कुछ खाना-पीना मेरे से ले रही है।

विकास अग्रवाल- अच्छा और जो पुष्कर में आपने इसे रुपए दिए वो इसका ही होटल था क्या ?

संजय नंदवानी- नहीं, इसने जैसे तेरे को बुलाया, बस वैसे ही कोई होटल था पुष्कर में। इसका थोड़े ही होगा वो होटल।

विकास अग्रवाल- अच्छा, नहीं इसने मुझे उदयपुर के जिस रिसोर्ट में बुलाया था। उसके लिए गलती से इसके मुंह से निकला था कि वो रिसोर्ट उसका ही है। क्योंकि मैंने बोला था कि मेरा दोस्त आगरा है और वो फाइव स्टार में मैनेजर है, कभी आपका आना हो तो बताना। तब इसने कहा था कि मेरा भी रिसोर्ट है। बाद में चुप हो गई।

संजय नंदवानी- वो तो आगरा भी पहुंच जाएगी स्टे करने।

विकास अग्रवाल- अब इसके जंजाल से कैसे निकले ? ये बताओ। इसकी कंप्लेंट करूं, क्या करूं इसकी ?

संजय नंदवानी- समझ में नहीं आ रहा है यार मेरे को क्योंकि जिस हिसाब से ये इतनी बड़ी (गाली देते हुए) लेडी है। अब क्या बोलूं यार।

विकास अग्रवाल- मर्डर भी करा दे, गुंडे भी तो पाले हुए है इसने।

संजय नंदवानी- नहीं-नहीं ये ऐसा काम तो नहीं करेगी। ये सिर्फ पैसों की भूखी है और महा भूखी है।

उदयपुर स्थित दिव्या मित्तल का रिसोर्ट, जिसे पिछले दिनों UIT ने ध्वस्त कर दिया।

विकास अग्रवाल- अगर मैंने इसे रुपए नहीं दिए तो फिर मेरे पीछे पड़ जाएगी ये हाथ धो कर। ये एंटी टेरेरिस्ट स्क्वॉयड की भी है कहीं मुझे टेरेरिस्ट ही न बना दे।

संजय नंदवानी- नहीं-नहीं यार इतना ऊपर मत जा। इतना क्या सोच रहा है तू? इससे पहले तो तू उससे बात कर और बता कि मेरा इतना बड़ा इन्वॉल्वमेंट थोड़े ही है मैडम। नॉमिनल है तो बताओ।

विकास अग्रवाल- अरे उस आदमी ने कल मेरी बात कराई थी दिव्या से वॉट्सऐप कॉल पर।

संजय नंदवानी- हां वापस कराई होगी न बात। ये नेटवर्क है इसका। कि ये मान नहीं रहा है।

विकास अग्रवाल- हां, तब दिव्या कह रही थी कि मुझे ज्ञान मत पेलो और इन्वॉल्वमेंट कोर्ट में सर्च करना। ये एनडीपीएस एक्ट है।

संजय नंदवानी- हां बस-बस यहीं बोलती है। मैं तो वहां पर रोने लग गया था कि भाई क्या कर रहे हो यार? मेरा भाई अंदर है। तो बोलती है कि रुपए तो देने पड़ेंगे तुझको। यार विकास सबसे बड़ी पॉजिटिव तेरे पास ये है कि वो तुझे पकड़ नहीं पा रही है बस धमका रही है।

संजय नंदवानी- अच्छा दिव्या मित्तल तो बात नहीं कर रही और वो तो फोन पर किसी से ज्यादा बात भी नहीं करती है।

विकास अग्रवाल- नहीं-नहीं वो नहीं करती है। एक ही बार हुई थी मेरी उससे फोन पर बात ट्रांसपोर्ट के डॉक्यूमेंट को लेकर। उसने मुझे मना भी कर दिया था कि मेरे फोन पर कॉल करने की जरूरत ही नहीं है। चमचे का फोन आता है कि कब आओगे?

संजय नंदवानी- हां (गाली देते हुए) चमचे, वहीं करते हैं।

विकास अग्रवाल- इसका बहुत बड़ा नेटवर्क है। ये तो गैंगस्टर टाइप की लेडी है और माफिया है बहुत बड़ी। ऐसा हेरेस किया कि आदमी हिल जाए।

संजय नंदवानी- (हंसते हुए) विकास ये सब मैं देख चुका हूं भाई। अरे हमने भी तो क्या किया विकास ? हमारी कहां गलती थी ? सारा पेमेंट आरटीजीएस से लिया है। सिर्फ ड्रग लाइसेंस नकली है। लेकिन लोवर कोर्ट में वो (दिव्या) नाचने लग गई थी कि इतने करोड़ का नशीली दवाइयों का कारोबार और अनाप-शनाप। अब तीसरा आदमी तो यहीं सोचेगा कि ये नशीली दवाइयां बेचता है, (गाली देते हुए)। पकड़ा जाए तो सब चोर है।

विकास अग्रवाल- अब आपको कोर्ट से जो रिलेक्स मिली है तो जज साहब ने क्या कहा ?

संजय नंदवानी- हाई कोर्ट में तो जज साहब ने सीधे ही बोल दिया कि इस आदमी (सुनील नंदवानी) को यहां क्यों पकड़ कर लाए हो? इसका तो कोई इन्वॉल्वमेंट ही नहीं है। इसके बाद जमानत दे दी।

विकास अग्रवाल- ठीक है भैया। अब मैं देखता हूं कि आगे क्या करना है ?

सुनील नंदवानी की हरिद्वार स्थित फर्म हिमालय मेडिटेक। इसी कंपनी से राजस्थान में करोड़ों के ड्रग्स सप्लाई हुए थे।
सुनील नंदवानी की हरिद्वार स्थित फर्म हिमालय मेडिटेक। इसी कंपनी से राजस्थान में करोड़ों के ड्रग्स सप्लाई हुए थे।

उत्तराखंड के हरिद्वार में दवा फैक्ट्री JPEE ड्रग्स के मालिक विकास अग्रवाल ने संजय नंदवानी से फोन पर हुई इस बातचीत के बाद ही 10 जनवरी की सुबह ASP दिव्या मित्तल के खिलाफ जयपुर स्थित ACB ऑफिस में शिकायत दे दी थी। शिकायत का वेरिफिकेशन कर ACB टीम ने 15 जनवरी को अजमेर में ट्रैप कार्रवाई को अंजाम दिया। हालांकि ASP दिव्या मित्तल को कार्रवाई की भनक लग गई और ट्रैप फेल हो गया।

बावजूद इसके ACB टीम के पास इतने पक्के सबूत थे कि अगले दिन 16 जनवरी को ASP दिव्या मित्तल को अजमेर स्थित SOG ऑफिस से गिरफ्तार कर लिया गया था। फिलहाल इस केस में गिरफ्तारी के बाद 60वें दिन 11 हजार 500 पन्नों की चार्जशीट पेश कर दी है। वहीं केस में फरार सुमित के खिलाफ 173(8) सीआरपीसी में तफ्तीश पेंडिंग है, उसकी गिरफ्तारी के बाद जांच पूरी कर चालान पेश किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट जा सकती है दिव्या मित्तल

अजमेर एसीबी कोर्ट में चार्जशीट पेश होने के बाद चेक इन प्रोसेस के बाद 22 मार्च के दिन निलंबित ASP दिव्या की तरफ से जयपुर हाईकोर्ट में जमानत याचिका लगाई गई थी, जिस पर जस्टिस नरेंद्र सिंह ढड्ढा ने सुनवाई से मना कर दिया। जस्टिस नरेंद्र सिंह ढड्ढा ने मामला किसी अन्य बेंच में लगाने के निर्देश दिए।

 

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