हनुमानगढ़-नेठराना : इसीलिए कहते हैं,गाँव राम होता है, नरसी के भात के बाद, मीरा की पुकार सुनी है

हनुमानगढ़-नेठराना : राजस्थान का नानी बाई का मायरा तो जग प्रसिद्ध है। जब अपने भक्त नरसी जी की मदद करने स्वयं भगवान कृष्ण धरती पर मायरा भरने आए थे। ऐसा ही एक चरितार्थ मायरा सामने आया है। भादरा विधानसभा क्षेत्र के सबसे बड़े गांव नेठराना में। यहां भी एक अद्भुत मायरा देखने को मिला।

मिली जानकारी के अनुसार भादरा उपखण्ड के गांव नेठराना की बेटी मीरा जो फतेहाबाद जिले के गांव जांडवाला बागड़ हरियाणा में ब्याही हुई है। मीरा के पति भी गुजर चुके हैं। उनके सिर्फ दो बेटियां है,दोनों ही बेटियों की शादी 15 मार्च को थी। मीरा का न भाई है और पिता का साया भी सिर से उठ चुका है। अब मीरा की बेटी यानि नेठराना की भांजी बिटिया की शादी थी।

भादरा के गांव नेठराना सैंकडों लोग भात भरने के लिए पहुंचे
भादरा के गांव नेठराना सैंकडों लोग भात भरने के लिए पहुंचे

बेटी के पिता जोराराम बेनीवाल का बहुत पहले ही देहांत हो चुका था। अविवाहित भाई संतलाल भी गांव की पंजाबी बाबा की कुटिया में रहने लगा। वो भी कुटिया में सेवारत रहते इस दुनियां से चल बसा। मीरा जब भात का न्योता देने नेठराना अपने पीहर पहुंची तो उसको अपने पिता व भाई न होने का मलाल हुआ। दुखी मन से उस बेटी ने अपने स्वर्गीय भाई की कुटिया को टिक्का (तिलक) निकाल दिया और कुटिया को भात को न्योता देकर अपने ससुराल चली गई।

लाखों रूपए का भरा मायरा
अब सरपंच राजेन्द्र निमीवाल,मंगल सैन ऐचरा के नेतृत्व में ग्रामीणों ने इकट्ठे होकर निर्णय लिया कि मीरा बाई के मायरा भरा जाए। ग्रामीणों ने सैंकड़ो की संख्या में इकट्ठे होकर लगभग 7 लाख रुपए का नगद मायरा और अन्य बान व कन्यादान,जेवरात,कपड़े समेत करीब 10 लाख रुपए का मायरा भरा है। मीरा देवी के भाई की करीब 10 साल पूर्व मृत्यु हो गई थी उसके पिता का देहात हुए 20 साल से अधिक हो गए। मीरा देवी करीब 10 दिन पूर्व गांव में भाई की समाधि पर भात का तिलक लगाने आई थी।

गांव वालों ने भात में करीब 10 लाख रुपए तक खर्च किए
गांव वालों ने भात में करीब 10 लाख रुपए तक खर्च किए

मायके से आए लोगों को देख भावुक हुई महिला
जांडवाला बागड़ में बुधवार को सोनू और मीनो के विवाह का दिन आया तो उसके ननकाने से एक दो नहीं बल्कि 500 के करीब भाती ढ़ोल नगाड़े के साथ पहुंच गए। मायके (पीहर) से आए लोगों को देख कर मीरा की आंखें छलछला उठी। भातियों ने यहां वो हर रस्म अदा की, जोकि मामा करता है।

गांव आए लोगों को देखने के बाद दुल्हन भी भावुक हो गई
गांव आए लोगों को देखने के बाद दुल्हन भी भावुक हो गई

माता-पिता और भाई की हो चुकी मौत
दूसरी तरफ मीरा के माता-पिता भी अब नहीं रहे। उसका एक भाई संतलाल था। उसने शादी नहीं की और सन्यास धारण कर लिया था। उसकी भी बाद में मौत हो गई तो ग्रामीणों ने गांव में ही उसकी समाधि बना दी। मीरा अब बेटियों की शादी को लेकर अपने पीहर नेठराना में भात न्योतने गई।

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