बीकानेर : पूर्व राजपरिवार की राजमाता सुशीला कुमारी का 94 साल में निधन, कई साल से थीं बीमार, कल अंतिम संस्कार

बीकानेर : बीकानेर राजपरिवार की अंतिम महारानी और राजमाता सुशीला कुमारी का 94 वर्ष की आयु में निधन हो गया। राजमाता पिछले कई साल से अस्वस्थ चल रहीं थी। उन्होंने ज्यादातर लोगों से मिलना बंद कर दिया था। वह अपने लाल लालगढ़ स्थित आवास में रहती थीं, शुक्रवार देर रात उन्होंने अपने आवास में अंतिम सांस ली। कल रविवार को सुशीला कुमारी का अंतिम संस्कार सागर गांव में स्थित राजपरिवार के श्मशान घाट पर किया जाएगा।

आज शनिवार के उनकी पार्थिव देह को जूनागढ़ किले में आम लोगों के दर्शन के लिए रखा गया है। राजमाता के निधन की सूचना पर उनकी पोती और बीकानेर पूर्व सीट से विधायक सिद्धि कुमारी देर रात अस्पताल पहुंच गई थीं। कल रविवार को राजपरिवार की रीतियों के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
सुशीला कुमारी का जन्म 1929 में  डूंगरपुर राजपरिवार में हुआ था। वे राजसिंह डूंगरपुर की बहन थी, उनका विवाह बीकानेर राजपरिवार में हुआ। महाराजा करणी सिंह 1952 से 1977 तक बीकानेर से सांसद रहे थे। अब उनकी पोती सिद्धि कुमारी विधायक हैं,  सिद्धि बीकानेर पूर्व विधानसभा सीट से पिछले तीन चुनाव में लगातार जीत दर्ज कर रही हैं। राजमाता से के साथ पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे।
इससे पहले 1950 में महाराजा सार्दुल सिंह के पुत्र राजकुमार करणी सिंह का राज्याभिषेक किया गया था। करणी सिंह के महाराजा बनने से सुशीला कुमारी को महारानी का सम्मान भी मिला था। वह करीब 1971 तक महारानी रहीं थी। 1988 में महाराजा करणी सिंह के निधन के बाद से सुशीला कुमारी ही राजपरिवार की सारी व्यवस्था संभालती रहीं थीं।  लोगों ने उन्हें राजमाता के रूप में स्वीकार किया था।

सुशीला कुमारी के बारे में कहा जाता है कि वे राजस्थानी भाषा को बहुत मानती थी। उनसे मिलने वाले राजस्थान के लोगों से वह इसी भाषा में बात करती थीं, राजस्थानी नहीं बोलने पर वह लोगों को टोक दिया करती थीं।  पोती और विधायक सिद्धि कुमारी के साथ राजमाता सुशीला कुमारी

राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया ने राजमाता के निधन पर दुख जताया। उन्होंने ट्वीट कर कहा- जीवन भर समाज सेवा से जुड़ी रहने वाली बीकानेर राजघराने की परम पूज्य राजमाता सुशीला कुमारी जी के निधन का दुखद समाचार मिला। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें। ओम शांति।

राजस्थानी में करती थीं बात

खास बात ये थी कि सुशीलाकुमारी से मिलने वालों से राजस्थानी में ही बात करती थीं। अगर कोई गलती से भी उनके आगे हिंदी या अंग्रेजी में बात करता तो वो पूछ लेती थीं कि राजस्थानी नहीं आती क्या? खासकर बीकानेर के स्थानीय लोगों से वो राजस्थानी में ही बात करना पसंद करती थीं।

सांसद व केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल भी उनसे मिलते रहते थे।
सांसद व केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल भी उनसे मिलते रहते थे।

अर्से से बीमार थीं

राजमाता पिछले कई सालों से अस्वस्थ थीं। उन्होंने आम लोगों से मिलना बंद कर दिया था। अस्वस्थता के बीच वो सामाजिक जिम्मेदारियां जरूर पूरी करती थीं। बीकानेर के पुष्करणा समाज के सावे की अनुमति देना हो या फिर कोई अन्य राजपरिवार कार्य हो, सुशीला कुमारी अब तक स्वयं मिलती थीं।

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