झुंझुनूं-मलसीसर(कालियासर) : शहीद पिता से लिपटकर रोए देानों बेटे:पत्नी ने लगाए देवकरण अमर रहे के नारे, पिता बोले-शहादत पर गर्व

जनमानस शेखावाटी संवाददाता नीलेश मुदगल

झुंझुनूं-मलसीसर(कालियासर) : झुंझुनूं के लाड़ले नायाब सूबेदार शहीद देवकरण का अंतिम संस्कार पैतृक गांव बुरडक ढ़ाणी (कालियासर) में सैन्य सम्मान व रीति रिवाज से कर दिया। शहीद के 19 साल के बेटे निखिल व कुनाल ने मुखाग्नि दी। गमगीन माहौल में शहीद को अंतिम विदाई दी गई। सेना की टुकड़ी ने शहीद को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इससे पहले पार्थिव देह बुरड़क की ढ़ाणी पहुंची तो घर में कोहराम मच गया। शहीद की पत्नी अंजू अपने पति को तिरंगे में लिपटा देख बेसुध हो गई। शहीद के दोनों बेटों की आंखों से आंसू छलक पडे़। अपने पापा को ल सैल्यूट करते हुए शव से लिपट गए।

बेटे की पार्थिव देह देख शहीद की मां का भी सब्र टूट गया। शहीद के पिताजी भी एक कोने में सिसकते हुए दिखे और कह रहे थे की बेटे की शहादत पर गर्व है। घर का माहौल लाड़ले को देख गमगीन हो गया। शहीद के दोनों भाई व गांव के लोगों माता पिता व परिवार को संभाला। शहीद की पत्नी अंजू ने तिरंगे में लिपटा देख शहीद देवकरण अमर रहे के नारे लगाए।

अधिकारी रहे मौजूद
शहीद की अंतिम यात्रा में सांसद नरेंद्र सिंह खीचड़, मण्ड़ावा विधायक रीटा चौधरी, जिला कलेक्टर लक्ष्मण सिंह कुडी, एसपी मृदुल कच्छावा, डिप्टी रोहिताश दवेन्दा, भाजपा नेता प्यारेलाल ढूकियां सहित प्रशासनिक अधिकारी व जनप्रतिनिधि व बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

झुंझुनूं के बुरड़क की ढाणी निवासी देवकरण सिंह सियाचीन ग्लेशियर में तैनात थे। 13 फरवरी को डयूटी के दौरान उनकी तबीयत खराब हो गई थी। उसके देवकरण को आर्मी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। जहां इलाज के दौरान वे शहीद हो गए। पार्थिव देह कश्मीर से दिल्ली हवाई मार्ग से लाया गया। इसके बाद आज सुबह दिल्ली से मलसीसर सडक़ मार्ग पार्थिव देह को लाया गया है। रास्ते में गाड़ी खराब होने के कारण पहुंचने में देरी हो गई। मलसीसर पहुंचने पर थाने में गार्ड ऑफ आनर दिया गया। शहीद के पार्थिव देह को गांव के लिए रवाना किया गया। बड़ी संख्या में युवक और लोग शहीद के पार्थिव देह को लेकर गांव के लिए रवाना हुए। रास्ते में लोगों ने अपने लाड़ले को नमन किया गया। शहीद के सम्मान तिरंगा यात्रा निकाली गई।

ड्यूटी के दौरान बिगड़ी तबीयत
बुरडक की ढाणी निवासी नायाब सूबेदार देवकरण आर्मी की 15 वीं जाट रेजीमेंट यूनिट में तैनात थे।13 फरवरी को डयूटी के दौरान अचानक तबीयत खराब हो गई थी। उसके बाद देवकरण को मिल्ट्री अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। जहां उनका इलाज चल रहा था। इलाज के दौरान रविवार को देवकरण ने देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए।

घर में रविवार शाम को सूचना दी गई। सूचना मिलने के बाद घर में कोहराम मच गया। शहीद देवकरण दोनों बच्चे और पत्नी जयपुर में ही रहते थे। सूचना मिलने के बाद सभी को गांव लाया गया। देवकरण ऑपरेशन रक्षक के तहत सियाचिन के ग्लेशियर में तैनात थे। 26 सितम्बर 2022 को आखिरी बार छुट्टी पर आए थे। दस दिन बाद फिर से छुट्टी लेकर घर पर आने वाले थे। शहीद देवकरण का परिवार दो साल से जयपुर में रह रहा है। पत्नी अंजू, दो बेटे निखिल (19) व कुनाल (15) भी अपनी मां के साथ जयपुर ही रहते हैं। बड़ा बेटा जयपुर में 12 वीं छोटा 10 वीं का स्टूडेंट है। शहीद देवकरण ने वर्ष 2000 में आर्मी जॉइनिंग की थी।

देवकरण तीन भाइयों में दूसरे नंबर पर थे। बड़े भाई संजय सिंह भी आर्मी से रिटायर है, फिलहाल डीएससी आर्मी में कार्यरत है। जबकि छोटा भाई अनिल वर्तमान में आर्मी में तैनात है। शहीद के माता पिता गांव में ही रहते है। पिता भी आर्मी से रिटायर है। बड़ा भाई झुंझुनूं में रहता है, जबकि छोटा भाई अनिल माता पिता के साथ गांव में ही रहता है।

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