क्या जोधपुर में जाएगा झुंझुनूं का खेल विश्वविद्यालय?

Sports University jhunjhunu rajasthanझुंझुनंू. हमारे जिले की जनता व जनप्रतिनिधि यदि सक्रिय नहीं हुए तो राजस्थान का पहला खेल विश्वविद्यालय झुंझुनूं से बाहर जा सकता है। इसका नाम बदलकर मुख्यमंत्री के गृह जिले जोधपुर में खोलने की तैयारी शुरू हो गई है। वहां स्टाफ लगाने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। इसे खेल विवि की जगह राजस्थान स्टेट स्पोट्र्स इंस्टीट्यूट जोधपुर नाम दिया गया है। साथ ही पंद्रह करोड़ रुपए भी मंजूर कर दिए गए हैं।

सरकार ने घोषणा की थी कि राजस्थान का पहला खेल विश्वविद्यालय झुंझुनूं में खुलेगा। इसके लिए झुंझुनूं के निकट दोरासर गांव में जमीन भी चिह्नित कर ली गई थी। घोषणा के साथ खिलाडिय़ों में उम्मीद जगी कि अब खेलों का विस्तार होगा। हरियाणा की तर्ज पर राजस्थान में भी खेलों का विकास होगा। पटियाला की तर्ज पर यहां भी खेल के श्रेष्ठ कोच तैयार होंगे। लेकिन यह सपना अधूरा ही रह गया।

कब क्या हुआ
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट 2012 में पीपीपी मोड पर खेल विवि की घोषणा की।
इसके अगले बजट 2013 में घोषणा संख्या 189 में पीपीपी की जगह सरकारी खेल विवि की घोषणा की।
अब राजस्थान स्टेट स्पोट्र्स इंस्टीट्यूट जोधपुर की स्थापना की तैयारी शुरू हो गई है। इस पर पहले चरण में 15 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।
भाजपा ने भी दिखावा किया
पांच साल भाजपा का राज रहा। लेकिन भाजपा ने भी केवल दिखावा किया। वर्ष 2018-19 के बजट में घोषणा संख्या 120 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने खेल विवि की जगह राज्य क्रीडा संस्थान की स्थापना की घोषणा की। साथ ही यह भी दावा किया कि इस पर 31 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। लेकिन मौके पर कुछ नहीं हुआ।
कुलपति उठा चुके वेतन
सरकार ने जुलाई 2013 में डॉ. शैलेन्द्र कुमार सिन्हा को प्रथम कुलपति नियुक्त किया, मगर वे नहीं आए। करीब एक माह बाद फिर डॉ. एलएस राणावत को नया कुलपति बनाया गया। उन्होंने करीब 21 माह तक वेतन उठाया। उन्होंने विवि चलाया। यह विवि जयपुर स्थित एसएमएस स्टेडियम के एक कमरे में चला। यह कमरा भी अधिकतर समय बंद ही रहा। अब इस कमरे पर भी ताला जड़ दिया गया है। ताला जड़ते ही विवि की फाइल भी लाल फीते में बंद हो गई।
इनका कहना है
झुंझुनूं ने देश को अनेक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी दिए हैं। यहीं पर खेल विवि बनना चाहिए। खेल विवि बनने से राज्य को श्रेष्ठ कोच मिलेंगे। खिलाडिय़ों को अच्छी ट्रेनिंग मिलेगी। पटियाला की तर्ज पर झुंझुनूं में भी खेलों की व्यवस्था होनी चाहिए।
-कैप्टन प्यारेलाल, अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी
यहां के जन्मे खिलाड़ी ओलम्पिक तक गए हैं। भारतीय टीमों के कप्तान भी रहे हैं। झुंझुनूं में खेल विश्वविद्यालय खुलने से अकेले झुंझुनूं को नहीं बल्कि पूरी शेखावाटी, अलवर, गंगानगर, बीकानेर, हनुमानगढ़ सहित पूरे राजस्थान को फायदा होगा।
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