कोटा: सब्जी का ठेला लगाता है पिता, मां घरों में पोंछा:भाई को इंजीनियर बनाना था, कोचिंग छोड़ सेल्फ स्टडी की, अब बनेगी डॉक्टर

कोटा : इतने ही पैसे थे…कि हम दोनों में से किसी एक की फीस चुकाई जा सके। मैं अगर कोचिंग करती तो मेरा भाई इंजीनियरिंग की पढ़ाई नहीं कर पाता। तब मैंने अपने कदम पीछे लिए, मां ने कर्ज लेकर जो फीस जुटाई थी, वो भाई को दे दी। आज मेरा भाई इंजीनियरिंग कर अपना सपना पूरा कर रहा है।

भाई के लिए ऐसा प्रेम रखने वाली 22 साल की बहन ने अपना जुनून भी कम नहीं होने दिया। बिना कोचिंग के ही देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक NEET को क्रैक किया।

अपनों का साथ हो और कुछ करने का जुनून हो तो अभाव भी रास्ता नहीं रोक सकते। कोटा की दादाबाड़ी स्थित कच्ची बस्ती के एक कच्चे मकान में रहने वाले भाई बहन ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है। भाई बहन की इस कहानी में बहन का त्याग, भाई की मेहनत और मां-बाप की कोशिश शामिल है।

परिवार के पास रहने के लिए यह कच्चा मकान है जिसमें पक्की छत तक नहीं है।
परिवार के पास रहने के लिए यह कच्चा मकान है जिसमें पक्की छत तक नहीं है।

आज भाई दूज के मौके पर आपको बताते हैं कैसे कच्चे मकान में पक्के इरादों ने जन्म लिया और अपने सपनों को साकार किया….

कोटा के दादाबाड़ी स्थित उड़िया कच्ची बस्ती, गंदे नाले से घिरी हुई है। बस्ती में ज्यादातर मकान कच्चे हैं। मकानों की छतें टीन शेड की बनी हैं। लेकिन इसी बस्ती के रहने वाले विशाल विश्वास और उसकी बहन वर्षा ने अभावों के बावजूद सफलता का परचम लहराया है। लोगों के घरों में झाड़ू पोंछा करने वाली मां के यह दोनों बच्चे डॉक्टर और इंजीनियर बनने जा रहे हैं।

विशाल विश्वास ने हाल में ही जेईई मैन परीक्षा पास की है। उसे एनआईटी नागपुर में एडमिशन मिला है। सुनने में विशाल की सफलता जितनी अच्छी लग रही है, सफर उतना ही मुश्किल था। विशाल के पिता ठेले पर घर-घर जाकर सब्जी बेचने का काम करते हैं। मां शेफाली दूसरे घरों में झाड़ू पोंछे का काम करती है। दोनों मिलकर भी महीने में 7 से 8 हजार कमा पाते हैं।

शेफाली बताती हैं कि उनके तीन बच्चे हैं। एक बेटी औ दो बेटे। बड़े बेटे विशाल का सपना इंजीनियर बनने का था। 12वीं में 78% मार्क्स लाने के बाद जेईई की तैयारी की। जेईई-मेन में 87 परसेंटाइल बने और काउंसलिंग में एनआईटी नागपुर में केमिकल ब्रांच मिली है। लेकिन मेरे बेटी की सक्सेस स्टोरी में उसकी बहन का बड़ा रोल है।

घर में रसोई की जगह भी इतनी सी है कि एक व्यक्ति भी खड़ा न हो सके, बाहर खाना बनाना पड़ता है।
घर में रसोई की जगह भी इतनी सी है कि एक व्यक्ति भी खड़ा न हो सके, बाहर खाना बनाना पड़ता है।

बहन ने छोड़ी कोचिंग ताकि भाई पढ़ सके
तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी वर्षा का सपना डॉक्टर बनने का था। 12वीं में 74% मार्क्स आने के बाद वह NEET की तैयारी करना चाहती थी। वर्षा और विशाल की मां के सामने संकट ये था कि दोनों की कोचिंग के लिए भारी-भरकम 80-80 हजार रुपए चुकाने फीस चुकाने का इंतजाम नहीं था। किसी तरीके से कर्ज लेकर इंतजाम भी करते तो केवल एक ही बच्चा कोचिंग ले सकता था।

दो कमरों के कच्चे मकान में खड़ी मां बच्चों की सफलता के बाद आंखों के आंसू नहीं रोक पाती।
दो कमरों के कच्चे मकान में खड़ी मां बच्चों की सफलता के बाद आंखों के आंसू नहीं रोक पाती।

मां की परेशानी और भाई के करियर को देखते हुए वर्षा ने खुद ही अपने कदम पीछे खींच लिए। वर्षा ने बताया कि भाई को इंजीनियरिंग की तैयारी करनी थी और मेडिकल से ज्यादा हार्ड सिलेबस इंजीनियरिंग का होता है, ऐसे में उसे कोचिंग की ज्यादा जरूरत थी। ऐसे में उसने खुद कोचिंग नहीं जा कर भाई के लिए सपोर्ट किया।

मां ने लिए उधार, जमा करवाई फीस
वर्षा के डिसीजन के बाद घर वालों ने विशाल को कोचिंग करवाने की सहमति दी। लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत थी फीस का इंतजाम कैसे होगा? क्योंकि उसकी कोचिंग की फीस 82000 थी। विशाल की मां जिन घरों में वह झाड़ू लगाने जाती, उन घरों के मालिकों से मदद मांगी। कई महीनों की एडवांस पेमेंट उधार ली। पिता ने सब्जी के ठेले से आमदनी बढ़ाने के लिए और मेहनत की तब जाकर पैसों का इंतजाम हो सका।

फीस जमा कराने के बाद विशाल की कंपटीशन की तैयारी शुरू हुई। विशाल ने बताया कि कोचिंग की भारी फीस चुकाने के बाद मेरे सामने केवल एक ही टारगेट था, एग्जाम क्रेक करना। रोज 10 घंटे की पढ़ाई के बाद आखिरकार सक्सेस मिली।

बहन ने सेल्फ स्टडी कर पाई सफलता
कोचिंग सिटी में रहने के बावजूद भाई विशाल के लिए वर्षा ने खुद कोचिंग नहीं की और सेल्फ स्टडी शुरू की। वर्षा ने बताया कि वह घर पर ही 8 से 9 घंटे तक पढ़ाई करती थी। जब नीट का रिजल्ट आया तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। बिना किसी कोचिंग के तीसरे अटेम्प्ट में नीट की परीक्षा क्लीयर कर ली। काउंसलिंग में बीडीएस (डेंटिस्ट) में सिलेक्शन हो गया है। अभी काउंसलिंग चल रही है। जल्द ही कॉलेज भी अलॉट होगा।

पढाई में भाई की मदद करती बहन वर्षा।
पढाई में भाई की मदद करती बहन वर्षा।

बच्चे करियर बना रहे हैं, जरूरत पड़ेगी तो और उधार लेंगे
बच्चों को कॉलेज अलॉट होगा तो वहां भी फीस जमा करानी पड़ेगी उसकी व्यवस्था किस तरह हो पाएगी। इस सवाल पर विशाल और वर्षा की मां शेफाली की आंखों में आंसू आ गए। रोते हुए वह बोली कि अब तक बच्चों ने मेहनत कर सफलता हासिल की है। अब जरूरत पड़ेगी तो और उधार ले लेंगे। धीरे-धीरे चुका देंगे। लेकिन बच्चों की पढ़ाई किसी भी तरह से रुकने नहीं देंगे।

दो कमरों का कच्चा मकान, छत पर टीन शेड
कच्ची बस्ती में विशाल और पूरा परिवार रहता है। दो कमरों का यह कच्चा मकान है जिस पर टीन शेड लगा हुआ है। रसोई की स्थिति तो यह है कि वह ठीक से खड़े होकर खाना भी नहीं बना सकते। एक ही कमरे में बैठकर भाई-बहन पढ़ा करते थे। कुछ समय पहले एक हादसे में पिता का हाथ भी खराब हो गया था। तब परेशानियां और ज्यादा शुरू हुई।

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