एक युवक मुनगा तोड़ते समय शाख के टूटने से नीचे गिर गया। हादसे में उसकी रीढ़ की हड्डी गंभीर रूप से जख्मी हो गई। इसकी वजह से उसकी कमर के नीचे का हिस्सा पूरी तरह सुन्न हो गया। दो तीन अलग-अलग अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद अंततः वह हाइटेक पहुंचा। यहां सर्जरी के बाद अब वह स्वयं न केवल उठ खड़ा हुआ है बल्कि ब्रेसेस की मदद से सहारा लेकर चल भी पा रहा है।
हाइटेक हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जन डॉ दीपक बंसल ने बताया कि 22 वर्षीय इस युवक को दिसम्बर 2023 में चोट लगी थी। वह सब्जी बेचने का काम करता है। एक दिन वह मुनगा के पेड़ से गिर गया और गंभीर रूप से जख्मी हो गया। उसे पहले सरकारी अस्पताल लेकर गए जहां से उसे हायर सेन्टर रिफर कर दिया गया। दो तीन अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद वह हाइटेक पहुंचा।
डॉ बंसल ने बताया कि जांच करने पर पता चला कि युवक के एल-1 में फ्रैक्चर है। हादसे में स्पाइनल कॉर्ड भी क्षतिग्रस्त हो गया है. इसकी वजह से कमर के नीचे के हिस्से पर उसका कोई नियंत्रण नहीं रह गया है. मरीज की तत्काल सर्जरी कर रीढ़ की मरम्मत की गई। रॉड डालने के साथ ही स्पाइनल कॉर्ड को भी दबाव से मुक्त किया गया। इस प्रक्रिया में दो घंटे से भी अधिक का वक्त लगा. सर्जरी के 5-6 दिन बाद वह उठकर बैठने लगा।
डॉ बंसल ने बताया कि रोगी की तीव्र इच्छा शक्ति, मानसिक दृढ़ता और फिजियोथेरेपी की बदौलत 8 महीने में युवक अब एक बार फिर अपने पैरों पर खड़ा हो गया है। वह वॉकर का सहारा लेकर स्वयं ही चल फिर सकता है। मरीज के पुनर्वास में फिजियोथेरेपी की बड़ी भूमिका रही।
चूंकि मरीज के पैरों में बिल्कुल भी ताकत नहीं रह गई थी इसलिए उसे हिप-नी-एंकल-फुट ऑर्थोसिस एक तरह का बाह्य सपोर्ट सिस्टम बनवाकर दिया गया। इसकी मदद से अब वह बिना संतुलन गंवाए खड़ा हो पाता है और वॉकर की मदद से चलना फिरना भी कर पाता है। पैरों में अब काफी जान लौट चुकी है तथा वह उन्हें अपनी इच्छा से संचालित कर पा रहा है। इस कार्य में डॉ दीपक बंसल के अलावा, डॉ टीपी देवांगन डॉ नरेश देशमुख, फिजियोथेरेपिस्ट डॉ अर्चना गुप्ता आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही।