जेपी प्लांट में नौकरी के लिए लिये जा रहे साक्षात्कार के दौरान बाहरी लोगों की जगह स्थानीय युवाओं को रोजगार देने के मामले को लेकर किये गये आंदोलन के दौरान आंदोलनकारी कांग्रेसी नेता जां निसार अख्तर, राजेन्द्र साहू, रीति देशलहरा सहित 9 लोगों को आज न्यायालय ने बाईज्जत बरी कर दिया। आंदोलन के दौरान इनपर बलवा करने एवं गलत तरीके से अधिकारियों का रास्ता रोकने सहित अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। जां निसार अख्तर, शंकर साहू, बसंता गायकवाड, जितेन्द्र कुमार की ओर से यहां के प्रसिद्ध अधिवक्ता अशोक शर्मा एवं राजेन्द्र साहू व अन्य आरोपियों की ओर से जाने माने वकील राजकुमार तिवारी ने पैरवी की थी। जां निसार अख्तर ने कहा कि अब मुकदमा दायर करवाने वालों पर वे मानहानि का केस करेंगे।
इस मामले के आरोपी रहे जां निसार अख्तर ने हमारे संवाददाता को बताया कि भिलाई के सेक्टर 4 में उस समय प्रारंभ हो रहे जेपी सीमेंट प्लांट में नौकरी के लिए जे पी सीमेंट प्लांट के अधिकारियों द्वारा सितंबर 2009 में नगर निगम के पास होटल वत्स में बाहरी राज्यों से बडी संख्या में बुलाकर लोगों का साक्षात्कार लिया जा रहा था, जिसकी जानकारी मिलने पर हम लोगों ने इसका विरोध करते हुए इस कंपनी में स्थानीय युवाओं को रोजगार देने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे, हमारी मांग की थी। यहां सीमेंट का प्लांट लग रहा है तो यहां के स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता के तौर पर पहले रोजगार दिया जाये, जो यहां 50 से लेकर 100 साल तक काम धंधा, नौकरी कर रहे है, उनके बच्चो को रोजगार दो, यदि इनको रोजगार नही देंगे तो यहां के युवा क्या चोरी डकैती करेंगे।
इस मांग से जेपी सीमेंट के अधिकारी सख्ते में आ गये और इस दौरान जेपी सीमेंट के अधिकारियों द्वारा पुलिस प्रशासन से मिलकर मेरे एवं राजेन्द्र साहू, रीति देशलहरा, शंकर साहू, जितेन्द्र कुमार साहू, बसंता, प्रकाश शर्मा, मेघनाथ व धर्मा के विरूद्ध बलवा करने और गलत तरीके से अधिकारियों का रास्ता रोकने का धारा 147 एवं 341 के तहत मामला दर्ज कर हम लोगों को जेल भेज दिया गया था। यह केस दुर्ग न्यायालय के प्रथम श्रेणी न्यायाधीश बिरेन्द्र सिंह की अदालत में चल रहा था। जहां आज न्यायाधीश बिरेन्द्र सिंह ने इस केस में आंदोलनकारी जां निसार अख्तर, राजेन्द्र साहू सहित सभी 9 आरोपियों को बाईज्जत बरी कर दिया।
आंदोलनकारी अख्तर ने कहा कि हम लोगों को न्यायालय पर पूरा भरोसा था क्योंकि हम लोगों ने किसी गलत कार्य के लिए नही बल्कि स्थानीय बेरोजगार युवाओं के रोजगार के लिए आंदोलन कर रहे थे लेकिन जेपी सीमेट के अधिकारियों के इशारे पर पुलिस द्वारा हम लोगों को जेल में डालने के लिए यहां का माहौल खराब करने के लिए जान बूझकर लाठीचार्ज कर अप्रिय स्थिति निर्मित करने की कोशिश कर हम लोगों पर कार्यवाही की गई। लेकिन हम लोगों को न्यायालय पर पूरा भरोसा था कि हम लोगों को न्याय मिलेगा और हम लोग बाईज्जत बरी होंगे।
देश का पहला ऐसा केस: एक की मामले में दो दो थानों में किया गया अपराध दर्ज-जां निसार
इस मामले में आरोपी बनाये गये जां निसार अख्तर ने कहा कि यह भारत का पहला ऐसा मामला है जिसमें एक ही मामले में दो दो थानों में अपराध दर्ज कराया गया जिसमें सुपेला थाना में 147 और 341 के तहत मामला दर्ज किया गया था और हम लोगों को वहां उसे उठाकर जेल भेज दिया गया। उसके बाद वैशाली नगर पुलिस चौकी में भी हम लोगों के विरूद्ध धारा 186 एवं 332 के तहत मामला दर्ज किया गया। सवाल यह उठता है कि हम लोगों को जब यहां से उठाकर जेल भेज दिया गया और हम लोग वैशाली नगर पुलिस चैकी गये ही नही तो वहां धारा 186 और 332 के तहत मामला कैसे दर्ज हो गया?
तीन महिने पहले भी वैशाली नगर में हुए इसी मामले में हुए थे बाईज्जत बरी:-
ज्ञातव्य हो कि जेपी प्लांट में स्थानीय युवाओं की भर्ती की मांग को लेकर तत्कालीन स्वाभिमान मंच द्वारा नगर निगम के सामने जमकर प्रदर्शन किये थे। जिसमें जां निसार अख्तर, राजेन्द्र साहू, महेन्द्र साहू, शंकर साहू, जितेन्द्र कुमार, बसंता, धरम, प्रकाश शर्मा व मेघनाथ केे खिलाफ सुपेला पुलिस ने शासकीय काम में बाधा सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया गया था, इस मामले में दो दिनों तक जेल में रहने के बाद जमानत मिली थी और तबसे इनका प्रकरण दुर्ग न्यायालय में चल रहा था जिसमें 14 मार्च 2024 को प्रथम न्यायाधीश बिजेन्द्र नाथ ने सुनवाई करते हुए आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है।