ग्रेटर नोएडा वेस्ट के बिसरख थाना क्षेत्र में स्थित चिपियाना पुलिस चौकी में एक युवक की मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। लेकिल ये जिला का पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई लोग पुलिस के सितम से अपनी जान गंवा चुके हैं। इनमें सबसे ज्यादा सुर्खियों में सोनू हत्याकांड का मामला रहा था। जो सितंबर 2006 का था। इस दौरान थाना सेक्टर 20 में सोनू की लाश फंदे से लटकी मिली थी। इस मामले में मृतक के पिता की शिकायत पर 5 पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था। जिसके बाद कोर्ट ने सभी दोषी पुलिसकर्मियों को 10 साल की सजा सुनाई गई।
ये था मामला…
दरअसल, 2 सितंबर साल 2006 को दलबीर सिंह (मृतक सोनू के पिता) द्वारा नोएडा पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 302 के अंतर्गत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। आरोप था कि 1 सितंबर 2006 को करीब शाम छह बजे नोएडा पुलिस सिविल ड्रेस में उसके बेटे सोनू को गांव से उठा ले गई। अगली सुबह सोनू को सेक्टर 20 पुलिस स्टेशन के लॉकर में बंद किया गया। डकैती के एक मामले में झूठा फंसाने और पुलिस द्वारा किए गए अत्याचारों के कारण सोनू ने आत्महत्या कर ली और वह लॉकअप में लटका हुआ मिला।
इस मामले में कार्रवाई हुई तो कोर्ट ने यूपी के पांच पुलिसकर्मियों की दोषसिद्धि और 10 साल की सजा को जून 2023 में बरकरार रखा। जिसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने पुलिस के सब इंस्पेक्टर हिंदवीर सिंह और महेश मिश्रा, कांस्टेबल प्रदीप, पुष्पेंद्र और हरिपाल सिंह को पीड़ित सोनू (26) के अपहरण, साक्ष्य के बाबत गुमराह करने के लिए जनरल डायरी में गलत प्रविष्टि करने, यातनाएं देने और यातनाओं से युवक की मौत होने के लिए दोषी ठहराया।