अजमेर : अजमेर का सोफिया स्कूल एक बार फिर से चर्चा में है। यहां पढ़ने वाली गर्ल्स स्टूडेंट्स से उनके हिप्स और कमर का नाप पूछा जा रहा है। ये फॉर्म स्कूल में पढ़ने वाली 2500 स्टूडेंट्स को दिया गया है। हालांकि, स्कूल का तर्क है कि ये गेम्स और एथलेटिक्स एक्टिविटी के लिए मांगा गया है और ऐसा पहली बार नहीं है। वहीं, ऐसी इंफॉर्मेशन मांगने को लेकर पेरेंट्स ने नाराजगी जाहिर की है।
दरअसल, सोफिया सीनियर सेकेंडरी स्कूल में करीब 7 दिन पहले सभी बच्चों को एक फाॅर्म दिया गया था। ये फॉर्म हेल्थ और एक्टिविटी कार्ड के नाम से था। इसमें कुछ गेम्स और एक्टिविटी के नाम भी थे। इसके साथ नीचे की तरफ हेल्थ रिकॉर्ड के कॉलम में विजन, कान, दांत के साथ प्लस रेट और हाईट के साथ कमर और हिप्स का नाप भी लिखा है।
स्कूल मैनेजमेंट बोला- ये हर साल पूछा जाता है
इस मामले में आर्लिन ने कहा कि गर्ल्स से मेडिकल फॉर्म भराया जा रहा है। जिसे सुरक्षित रूप से स्कूल प्रबन्ध रखेगा। अगर किसी को परेशानी है तो खाली छोड़ दे, कोई परेशानी नहीं है।
वहीं स्कूल प्रतिनिधि सुधीर तोमर ने बताया कि मेडिकल हेल्थ चेकअप रिकॉर्ड व्यक्तिगत रूप से नहीं पूछा बल्कि डॉक्टर की रिपोर्ट मांगी गई है। हिप्स साइज ही नहीं बल्कि अन्य जानकारी भी मांगी है। इसे बॉडी मास्क इंडेक्स या रेशा निकालने में उपयोग किया जाता है। जैसे कि एथलेटिक्स की गतिविधियां है, योग की है, ऐसे में बच्चों का चयन सावधानी पूर्वक किया जा सके, जिससे उनको कोई शारीरिक नुकसान होने की सम्भावना नहीं रहे।
यह एक रूटीन प्रोसेस है और ना कि पहली बार पूछा है बल्कि हर साल पूछा जाता है। ये जो भ्रांति फैला रहा है, उसकी निंदा करता हूं। संस्था ने सदैव बच्चों के हित में काम किया है और आगे भी करेंगे।
हॉस्पिटल में चक्कर लगाने पर मजबूर
छात्रों का मेडिकल फॉर्म भरवाने के लिए पेरेंट्स अब हॉस्पिटल के चक्कर लगाने को मजबूर है। कुछ अभिभावकों ने जेएलएन हॉस्पिटल में मेडिकल करवाया तो कुछ अभिभावकों ने अपने-अपने पहचान वाले डॉक्टर से मेडिकल फॉर्म भरवा लिया।
सुबह से ही अभिभावक को और छात्राओं की भीड़ जेएलएन के मेडिकल जूरिस्ट विभाग में देखी जा सकती है। गौरतलब है कि पूर्व में सीआरपीएफ की भर्ती में महिला जवानों के फिजिकल स्टैंडर्ड टेस्ट में चेस्ट का नाप किया जाता था। लेकिन राजनीतिक और सामाजिक संगठनों की आपत्ति के बाद इसे अब हटा दिया गया है।
रिकॉर्ड से हटाया जाने की मांग
पेरेंट्स का कहना कि ये कानूनी और नैतिक रूप से सही नहीं है। किसी भी नाबालिग बच्ची के निजी अंगों की जानकारी नहीं लेनी चाहिए। इस जानकारी से क्या मिलेगा, इसका जानकारी भी नहीं दी गई है। बीमारी के बारे में जानकारी लें तो समझ में आता है, लेकिन अंगों की जानकारी समझ से परे है। इसे रिकॉर्ड से हटाया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट भी जता चुका है नाराजगी, बताया था महिलाओं का अपमान
ऐसा ही मामला करीब 7 दिन पहले सामने आया था, जब भर्ती परीक्षाओं में महिलाओं के चेस्ट मेजरमेंट को हाईकोर्ट ने मनमाना, अपमानजनक और महिला की गरिमा का अपमान बताया। हाईकोर्ट ने कड़े शब्दों में महिला अभ्यर्थियों के शारीरिक मानकों के आधार के लिए निर्धारित मापदंड पर आश्चर्य जताया। कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादियों के छाती के माप को एक मापदंड बनाने का कार्य विशेष रूप से महिला उम्मीदवार के लिए बिल्कुल मनमाना है और अपमानजनक है, यह एक महिला की गरिमा को स्पष्ट आघात है। हाईकोर्ट जस्टिस दिनेश मेहता ने महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए कहा कि किसी भी महिला की छाती माप का मापदंड न केवल वैज्ञानिक रूप से निराधार है बल्कि अशोभनीय है।