जयपुर : सचिन पायलट को तीन साल बाद कांग्रेस में पद मिल गया। उन्हें कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) का मेंबर बनाया गया है। जुलाई 2020 में बगावत के बाद पायलट को उप मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था। जिसके बाद से पायलट सिर्फ एक विधायक के तौर पर काम कर रहे थे।
अब सीडब्ल्यूसी में जगह देकर कांग्रेस आलाकमान ने साफ कर दिया है के वे दिल्ली की राजनीति में सक्रिय रहेंगे। सीडब्ल्यूसी मेंबर के ऐलान के बाद पायलट को लेकर लगाए जा रहे कयासों पर भी विराम लग गया है। जिसमें उनके कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और कांग्रेस महासचिव बनाए जाने की चर्चा चल रही थी।
इन नेताओं को केंद्रीय टीम में जगह
AICC ने CWC में पंजाब के प्रभारी के तौर पर राजस्थान के बाड़मेर जिले के बायतु से आने वाले कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी को शामिल किया है। इसी तरह राजस्थान में आदिवासी क्षेत्र से आने वाले प्रदेश के जल संसाधन मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय को राष्ट्रीय महासचिव के तौर पर एक टीम में शामिल किया है। राजस्थान के प्रदेश चुनाव स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन गौरव गोगोई को भी राष्ट्रीय महासचिव के तौर पर CWC में जगह दी गई है। राजस्थान के पूर्व प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे भी महासचिव के तौर पर शामिल किए गए हैं। अजय माकन भी CWC मेंबर बनाए गए हैं, जिन्हें मौजूदा प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा से पहले विवादों के चलते राजस्थान से इस्तीफा देना पड़ा था। परमानेंट इनवाइटीज में राजस्थान धौलपुर से आने वाले वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोहन प्रकाश को जगह दी गई है।
गुर्जर समाज पर पयालट की अच्छी पकड़, चुनाव में मिल सकता है फायदा
सचिन पायलट के पास पिछले तीन साल कोई पद नहीं होने पर प्रदेश के गुर्जर समाज में नाराजगी की बातें सामने आ रही हैं। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान में पहुंचने से पहले पहले गुर्जर समाज से आने वाले नेताओं ने पायलट को सीएम बनाने की बात कही थी। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि विधानसभा चुनाव से पहले पायलट को सीडब्ल्यूसी में जगह मिलने का फायदा कांग्रेस को चुनाव में मिल सकता है।
आदिवासी वोट पार्टी के पाले में खीचने का प्रयास
मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय को राष्ट्रीय महासचिव के तौर पर केंद्रीय टीम में शामिल किया गया है। बांसवाड़ा के बागीदौरा से विधायक महेंद्रजीत की आदिवासी क्षेत्र से आते हैं। ऐसे में उनकी आदिवासी वोटरों पर अच्छी पकड़ मानी जाती है। कांग्रेस ने महेंद्रजीत को केंद्रीय टीम में जगह देकर चुनाव से पहले आदिवासियों को अपने पाले में खीचने की कोशिश की है।
गहलोत और पायलट का गतिरोध खत्म
सीडब्ल्यूसी में शामिल होने के बाद पायलट और गहलोत के बीच का गतिरोध खत्म माना जा रहा है। क्योंकि पार्टी के इस फैसले ने संकेत दे दिया है कि पायलट दिल्ली की राजनीति करेंगे, वहीं गहलोत राजस्थान संभालेंगे। बतादें कि 2018 के चुनाव के बाद से दोनों नेताओं के बीच में टेंशन देखने को मिल रही थी। जिसे समय-समय पर कांग्रेस आलाकमना ने खत्म कराया था। फिलहाल दोनों नेता शांत हैं और पार्टी को चुनाव जिताने के लिए काम कर रहे हैं।