जयपुर : कोटा में कोचिंग स्टूडेंट्स की सुसाइड को लेकर सीएम अशोक गहलोत ने कोचिंग सेंटर संचालकों और अफसरों की साझा बैठक में कहा कि हम बच्चों को मरते हुए नहीं देख सकते।
इसे रोकने के लिए ठोस उपाय करने होंगे। सीएम ने कोचिंग स्टूडेंट्स की सुसाइड रोकने के लिए शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनाने का फैसला किया है। यह कमेटी 15 दिन में रिपोर्ट देगी। इस कमेटी में कोचिंग सेंटर संचालक और एक्सपर्ट शामिल होंगे।
बैठक में सीएम गहलोत ने कहा कि आज ऐसा माहौल बन गया जैसे आईआईटीयन बन गया तो जैसे खुदा बन गया। आजकल आईआईटीयन बनने के बाद वो लोग हमसे संपर्क करते हैं। आजकल जो पॉलिटिकल सर्वे होते हैं, चुनाव जितवाने-हरवाने में बहुत बड़ी भूमिका आईआईटीयन की होने लगी है।
आजकल आईआईटीयन में पहले वाली बात तो रही नहीं। आईआईटी करने के बाद वो पॉलिटिशियन के चक्कर लगाते हैं। पॉलिटिकल पार्टी से संपर्क करते हैं। अपनी कंपनी बनाते हैं, फिर सर्वे करते हैं। जितने सर्वे आ रहे हैं उनमें कई लोग आईआईटीयन मिलेंगे।
वहीं, शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ने कहा- बच्चे को जॉयफुल एजुकेशन देनी चाहिए। कोई बच्चा पढ़ाई में कमजोर हो तो उसे राय देनी चाहिए कि वह अच्छा क्रिकेट खेले, अच्छा फुटबॉल खेले।
आप देखिए, आज विराट कोहली को कोई पैसे की कमी है क्या? डॉक्टर-इंजीनियर से ज्यादा कमाता है। कोचिंग संचालक गरीब बच्चों की फीस कम करें।
कोचिंग को इंडस्ट्री की तरह मान लिया
गहलोत ने कहा- कोचिंग को कमर्शियल एक्टिविटी की तरह मान लिया गया है, यह कोई इंडस्ट्री है क्या? प्रचार पर कोचिंग वाले राजनीतिक दलों से ज्यादा खर्च करते हैं। फ्रंट पेज विज्ञापन कितना कॉस्टली होता है। जितने राजनीतिक दलों के विज्ञापन नहीं आते, उतने कोचिंग सेंटर के आते हैं। उल्टा मामला यह, पैसा कहां से आ रहा है अपने पास? कोई हिसाब-किताब तो रखो। आप किस प्रकार की फीस लेते हो, उस पर भी विचार करो।
हम बच्चों को मरते हुए नहीं देखना चाहते
गहलोत ने कहा- हम बच्चों को मरते हुए नहीं देखना चाहते हैं। जब कोचिंग के बच्चों की सुसाइड की खबर आती है तो बहुत दुख होता है। सुसाइड की कोई नौबत नहीं आए, माहौल बनाने की जिम्मेदारी आपकी है। हमेशा खुशियों का माहौल रहे, बच्चा समझे कि मैं यहां आया हूं तो पूरा परिवार मेरे साथ खड़ा है। कोचिंग में 14 से 15 साल की उम्र में बच्चे को भेज देते हैं। बच्चा छोटा होता है, उसी को आप भेज देते हैं फिर उसको मां की याद आती है तो सुसाइड करने वाले बच्चे भी मां को याद करते हैं। बच्चों को अवसर मिले, लेकिन दबाव में काम करेंगे तो बच्चों में सुसाइड की घटनाएं बढ़ेंगी।
बच्चों को खेलने-कूदने का मौका दें
गहलोत ने कहा- वीकली टेस्ट का बच्चों पर दबाव रहता है। कई लोग एक्स्ट्रा क्लास लेते हैं। फिजिकल एक्टिविटी होती नहीं है। फिजिकल एक्टिविटी और हेल्थ का बहुत बड़ा संबंध है। गांधी जी ने कहा था बिना श्रम के खाना हराम है। बिना मेहनत खाना खाओगे तो हजम नहीं होगा। इतनी बड़ी बात उस जमाने में इसीलिए कही थी कि बिना मेहनत किए खाना शरीर के लिए उचित नहीं है। आप बच्चे को 6 घंटे क्लास में रखते हैं, फिर एक्स्ट्रा क्लास, फिर हॉस्टल में स्टडी। वहां खेल-कूद का समय नहीं मिलता।
बच्चों को फेस्टिवल पर घर जाने का मौका मिलना चाहिए
गहलोत ने कहा- हर कोचिंग इंस्टीट्यूट में अस्पताल या मेडिकल सेंटर होना चाहिए। बच्चों को पर्व-त्योहार पर भी घर जाने का मौका मिलता नहीं है, छुट्टी मिलती नहीं है। बच्चों को हमारे जमाने में तो स्काउट में रहना, एनएसएस में जाना अनिवार्य होता था, अब यह कहां होता है? अब जो हालात बन गए हैं उनको सुधारने के लिए सोचना पड़ेगा। माहौल खुशनुमा कैसे हो, उस पर अलग से विचार करना होगा ।
गहलोत ने पूछा- एलन में ही सुसाइड ज्यादा क्यों हो रहे हैं?
सीएम ने संवाद के दौरान पूछा कि एलन कोचिंग इंस्टीट्यूट में ही इतने सुसाइड क्यों हो रहे हैं? सीएम ने सुसाइड का आंकड़ा पूछा। बैठक में सीएम को बताया गया कि 20 में से 14 सुसाइड एलन के हैं। इस पर एलन के प्रतिनिधि ने कहा कि एलन में आईआईटी और मेडिकल की तैयारी करने वाले 70 फीसदी बच्चे हैं, देश भर में सेंटर हैं। सीएम ने इस पर कहा कि मेरा मकसद एलन को टारगेट करने का नहीं है। हमारा मकसद बच्चों की सुसाइड का कारण पता लगाकर उसे रोकने का है।
कोचिंग सेंटर्स लाफिंग क्लब खोलें, वीकली टेस्ट से बच्चों में टेंशन
कल्ला ने कहा- कोचिंग क्लासेज में लाफिंग क्लब बनाएं। सप्ताह में कम से कम एक दिन लाफिंग क्लब में बच्चों को चुटकुले सुनाएं। बच्चा अगर हंसमुख रहता है, खेलता-कूदता है तो स्वस्थ रहता है। हम तो पढ़ते कम थे और खेलते ज्यादा थे, फिर भी ब्रिलियंट थे। बच्चा साल में एक बार एग्जाम देता है तो भी टेंशन में आ जाता है। आप तो वीकली टेस्ट लेकर उस बच्चे को हर सप्ताह टेंशन में डाल देते हो। वीकली टेस्ट से बच्चा ज्यादा डिप्रेशन में आता है, टेंशन में आता है।
कोचिंग सेंटर को हैप्पीनेस सेंटर के तौर पर विकसित करें
अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का उदाहरण देते हुए बीडी कल्ला ने कहा कि एक बार अब्राहम लिंकन पेरेंट्स मीटिंग में स्कूल गए थे। पेरेंट्स मीटिंग में उन्होंने कहा था कि बच्चे को विफल होने के बाद आप सफल होना सिखाएं, गिर कर उठना सिखाएं। हमारे कोचिंग सेंटर्स को हैप्पीनेस सेंटर के तौर पर डेवलप करें।