चांद – यह उस सूरज की रोशनी में एक शानदार सतह है
अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अब तक के सबसे प्रसिद्ध अंतरिक्ष यात्रियों में से एक नील आर्मस्ट्रांग ने 2006 में एक इंटरव्यू में चांद का वर्णन करते हुए कहा था कि “यह सूरज की रोशनी में एक शानदार सतह है। चांद पर क्षितिज आपको काफी करीब लगता है। उन्होंने कहा था ति चांद एक दिलचस्प जगह है। उसी वर्ष उनकी बायोग्राफी भी आई जिसका नाम है “फर्स्ट मैन: द लाइफ ऑफ नील ए. आर्मस्ट्रांग” जेम्स आर. हेन्सन द्वारा इसे लिखा गया है।
मात्र 16 वर्ष में ही विमान उड़ाने का मिला था लाईसेंस
नील आर्मस्ट्रांग का जन्म पांच अगस्त 1930 को अमेरिका के ओहायो राज्य में हुआ था। उनके पिता एक सरकारी चार्टर्ड एकाउटेंट थे और मां जर्मन मूल की एक गृहणी। स्कूली दिनों से ही नील आर्मस्ट्रांग को विमानों को उड़ानों में भारी रुचि थी। मात्र 16 वर्ष की आयु में ही, उन्हें विमान उड़ाने का लाइसेंस मिल गया था। बाद के दिनों में अमेरिकी नौसेना की एक छात्रवृत्ति पर नौसेना के ही एक विश्वविद्यालय में उन्होंने एरोनॉटिकल इंजीनिरिंग की पढ़ाई शुरू की थी लेकिन तीन सेमेस्टर की पढ़ाई के बाद ही, जनवरी 1949 में नौसेना ने नील आर्मस्ट्रांग को सैन्यसेवा के लिए बुला लिया। नौसेना ने उन्हें युद्धक विमान उड़ाने का प्रशिक्षण दिया। मात्र 20 वर्ष की आयु में, आर्मस्ट्रांग ने कोरिया युद्ध में भी भाग लिया। उन्होंने 1952 में नौसेना की नौकरी छोड़ दी और कॉलेज लौट आये। कुछ साल बाद, आर्मस्ट्रांग नेशनल एडवाइजरी कमेटी फॉर एरोनॉटिक्स में शामिल हो गए, जो बाद में नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) बन गया। आर्मस्ट्रांग का 82 वर्ष की आयु में 25 अगस्त 2012 को निधन हो गया।
चांद पर कदम रखने वाले नील आर्मस्ट्रांग दिल्ली भी आए थे
जब इंदिरा गांधी से नील आर्मस्ट्रांग ने मांगी थी माफी
अपनी भारत यात्रा के दौरान नील आर्मस्ट्रांग ने दिल्ली में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से उनके 1 सफदरजंग रोड स्थित आवास पर जाकर मिले थे। इस दौरान जब किसी ने नील आर्मस्ट्रांग को बताया कि चांद पर अपोलो – 11 की लैंडिंग देखने के लिए सुबह के 4.30 तक इंदिरा गांधी जगी रही थी तो उन्होंने मुस्कुराते हुए इंदिरा को हुई इस असुविधा के लिए माफी मांगी थी। अपनी भारत यात्रा के दौरना नील आर्मस्ट्रांग बापू की समाधी पर भी गए थे। अपनी भारत यात्रा के दौरान उन्होंने सरकार से अपील की थी कि वह विज्ञान की शिक्षा पर अधिक बल दे। वे एक बार चैन्नई भी गए थे।