जब चांद पर कदम रखने वाले पहले इंसान बने नील आर्मस्ट्रांग

20 जुलाई, 1969 को अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील नील आर्मस्ट्रांग चंद्र लैंडिंग मॉड्यूल ईगल से बाहर निकले और चंद्रमा की सतह पर चलने वाले पहले इंसान बन गए। पृथ्वी से लगभग 240,000 मील दूर, चांद पर मौजूद आर्मस्ट्रांग ने दुनिया में उन्हें सुन रहे करीब एक अरब से अधिक लोगों को संदेश दिया। उन्होंने चांद पर से कहा कि, यह मनुष्य के लिए एक छोटा सा कदम है लेकिन मानव जाति के लिए एक लंबी छलांग है। उनकी इस सफलता ने पूरी दुनिया में सुर्खिया बटोरी। हर तरफ उन्हें एक हीरो के तौर पर जाना जाने लगा।
नील आर्मस्ट्रांग को माइकल कोलिन्स और एडविन बज़ एल्ड्रिन के साथ चंद्रमा पर नासा के पहले मानवयुक्त मिशन का हिस्सा बनाकर भेजा गया था। तीनों को 16 जुलाई, 1969 को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया था। इस मिशन के कमांडर आर्मस्ट्रांग थे। 20 जुलाई, 1969 को नील आर्मस्ट्रांग ने रात 10.56 बजे सबसे पहला कदम चांद पर रखा था इसके करीब 15 मिनट बाद एडविन बज़ एल्ड्रिन ने कदम रखा। वहीं माइकल कोलिन्स कमांड मॉड्यूल पर बने रहे। लगभग ढाई घंटे तक रुक कर आर्मस्ट्रांग और एल्ड्रिन ने नमूने एकत्र किए और प्रयोग किए। उन्होंने तस्वीरें भी लीं, जिनमें उनके अपने पैरों के निशान भी शामिल थे।

चांद – यह उस सूरज की रोशनी में एक शानदार सतह है

अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अब तक के सबसे प्रसिद्ध अंतरिक्ष यात्रियों में से एक नील आर्मस्ट्रांग ने  2006 में एक इंटरव्यू में चांद का वर्णन करते हुए कहा था कि “यह सूरज की रोशनी में एक शानदार सतह है। चांद पर क्षितिज आपको काफी करीब लगता है। उन्होंने कहा था ति चांद एक दिलचस्प जगह है। उसी वर्ष उनकी बायोग्राफी भी आई जिसका नाम है “फर्स्ट मैन: द लाइफ ऑफ नील ए. आर्मस्ट्रांग” जेम्स आर. हेन्सन द्वारा इसे लिखा गया है।

20 जुलाई 1969 को चांद पर उतरना बेहद चुनौतिपूर्ण था। ईंधन को बचाना भी बड़ी चुनौती थी। ऐसे में ईंधन बचाते हुए, बड़ी सावधानीपूर्वक उनका अंतरिक्ष यान ‘ईगल’ खतरनाक़ चट्टानों से बचते हुए चांद पर उतरा था। इसमें समय का कितना महत्व था इसे इस बात से समझा जा सकता है कि 10-15 सेकंड बाद ही चांद की सतह पर उतरने के लिए नियत ईंधन खत्म हो जाने वाला था। चांद से लौटने के बाद उन्होंने कहा था कि पृथ्वी पर वापस लौट सकने की संभावना 90 प्रतिशत थी, पर चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतर सकने की संभवना 50:50 प्रतिशत ही थी। 

प्राप्त जानाकारी के मुताबिक नील आर्मस्ट्रांग 2 घंटे 32 मिनट तक चांद की सतह पर रहे थे।  उनके साथी और उनके बाद चांद पर कदम रखने वाले  एडविन बज़ एल्ड्रिन ने उनसे करीब 15 मिनट कम समय बिताया था। इन दोनों अंतरिक्ष यात्रियों ने अंतरिक्ष यान में लौटने से पहले एक अमेरिकी चांद पर अमेरिकी झंडा लगाया था। उन्होंने चंद्रमा की चट्टानों पर कई वैज्ञानिक प्रयोग भी किए थे। उसी दौरान उन्होंने रेडियो के माध्यम से अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन से भी बात भी की थी।

मात्र 16 वर्ष में ही विमान उड़ाने का मिला था लाईसेंस

नील आर्मस्ट्रांग का जन्म पांच अगस्त 1930 को अमेरिका के ओहायो राज्य में हुआ था। उनके पिता एक सरकारी चार्टर्ड एकाउटेंट थे और मां जर्मन मूल की एक गृहणी। स्कूली दिनों से ही नील आर्मस्ट्रांग को विमानों को उड़ानों में भारी रुचि थी। मात्र 16 वर्ष की आयु में ही, उन्हें विमान उड़ाने का लाइसेंस मिल गया था। बाद के दिनों में अमेरिकी नौसेना की एक छात्रवृत्ति पर नौसेना के ही एक विश्वविद्यालय में उन्होंने एरोनॉटिकल इंजीनिरिंग की पढ़ाई शुरू की थी लेकिन तीन सेमेस्टर की पढ़ाई के बाद ही, जनवरी 1949 में नौसेना ने नील आर्मस्ट्रांग को सैन्यसेवा के लिए बुला लिया। नौसेना ने उन्हें युद्धक विमान उड़ाने का प्रशिक्षण दिया। मात्र 20 वर्ष की आयु में, आर्मस्ट्रांग ने कोरिया युद्ध में भी भाग लिया। उन्होंने 1952 में नौसेना की नौकरी छोड़ दी और कॉलेज लौट आये। कुछ साल बाद, आर्मस्ट्रांग नेशनल एडवाइजरी कमेटी फॉर एरोनॉटिक्स में शामिल हो गए, जो बाद में नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) बन गया। आर्मस्ट्रांग का 82 वर्ष की आयु में 25 अगस्त 2012 को निधन हो गया।

चांद पर कदम रखने वाले नील आर्मस्ट्रांग दिल्ली भी आए थे

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अपोलो-11 स्पेस मिशन को 50 साल पूरे हो गए हैं। इस मिशन के जरिए ही अपोलो 11 के अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग ने 20 जुलाई, 1969 को चांद पर अपना पहला कदम रखा था। चांद पर उतरने वाले वह पहले इंसान थे। उनकी इस उपलब्धि ने उन्हें दुनिया भर में शोहरत दिलाई थी। पूरे दुनिया में एक हीरो की तरह वह देखे जा रहे थे। प्राप्त जानकारी के मुताबिक चांद से लौटने के चार महीने बाद वह नवंबर 1969 में अपने विश्व यात्रा के दौरान दिल्ली भी आए थे। दिल्ली आने पर उनका भव्य स्वागत किया गया था। दिल्ली में उन्होंने भारतीय मीडिया के समक्ष अपनी चंद्र यात्रा से जुड़ा संस्मरण भी सुनाया था। दिल्ली के रेड क्रॉस बिल्डिंग में उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने संस्मरण सुनाएं थे और पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए थे। इसमें उन्होंने कहा था कि मुझे उम्मीद है कि एक दिन भारत भी चांद पर कदम रखेगा। नील आर्मस्ट्रांग की यह भविष्यवाणी अब सही साबित होती दिख रही है।

जब इंदिरा गांधी से नील आर्मस्ट्रांग ने मांगी थी माफी

अपनी भारत यात्रा के दौरान नील आर्मस्ट्रांग ने दिल्ली में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से उनके 1 सफदरजंग रोड स्थित आवास पर जाकर मिले थे। इस दौरान जब किसी ने नील आर्मस्ट्रांग को बताया कि चांद पर अपोलो – 11 की लैंडिंग देखने के लिए सुबह के 4.30 तक इंदिरा गांधी जगी रही थी तो उन्होंने मुस्कुराते हुए इंदिरा को हुई इस असुविधा के लिए माफी मांगी थी। अपनी भारत यात्रा के दौरना नील आर्मस्ट्रांग बापू की समाधी पर भी गए थे। अपनी भारत यात्रा के दौरान उन्होंने सरकार से अपील की थी कि वह विज्ञान की शिक्षा पर अधिक बल दे। वे एक बार चैन्नई भी गए थे।

Web sitesi için Hava Tahmini widget