NEET विवाद पर राजनीति तेज, कांग्रेस नेता ने मोदी सरकार को घेरा, पूछे कई सवाल

कांग्रेस पार्टी NEET रिजल्ट में हुई धांधली को लेकर केंद्र सरकार को घेरने में जुटी है। इसी के चलते कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूरे मामले में कई सवाल उठाते हुए केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। साथ ही साथ परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसी से भी 5 सवालों पर जवाब मांगे। पवन खेड़ा ने कहा हमारी पहली मांग है कि पूरे मामले में सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस पर बयान देना चाहिए। जो प्रधानमंत्री बच्चों से परीक्षा पर चर्चा करते हैं उनको इस तरह के मामले में तो तुरंत एक्शन लेना चाहिए और बयान जारी करना चाहिए।

 

पवन खेड़ा ने उठाए ये सवाल

12वीं में मुश्किल से पास होने वाला आखिर कैसे टॉपर बना? हालांकि उन्होंने तुरंत ये भी सफाई दी कि टॉपर कोई भी हो सकता है लेकिन साथ ही उन्होंने दूसरी मांग की है कि परीक्षार्थियों के 12वीं बोर्ड के मार्क्स का मिलान नीट के मार्क्स से किया जाए। 67 परीक्षार्थी 720 में से 720 मार्क्स लाते हैं तो सवाल उठेंगे ही।

 

आगे पवन खेड़ा ने कहा कि जिन सेंटरों पर औसत मार्क्स से ज्यादा मार्क्स लाने वाले बच्चे सामने आए हैं, उन सेंटरों की वीडियो रिकॉर्डिंग जारी हो। साथ ही उन बच्चों की सूची सामने लाई जाए जिन्होंने अपने शहर से काफी दूर के सेंटर्स को सेलेक्ट किया। इसकी वजह सामने आनी चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि बच्चों ने आखिर नजदीक के शहरों के सेंटर की बजाय क्यों दूर के सेंटर पर क्यों जाना चाहा? एकसाथ जितने बच्चे टॉपर्स बने हैं, आखिर उनका एडमिशन कैसे होगा ?

 

उन्होंने कहा कि 24 लाख उम्मीदवार 1 लाख सीटों के लिए बैठते हैं। 55 हजार सरकारी सीटें हैं जबकि इस साल 600 अंक वाले 80 हजार से ज्यादा बच्चे हैं तो योग्य उम्मीदवारों का सरकारी संस्थानों में नामांकन कहां और कैसे होगा? इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा कि पिछले साल जिन बच्चों के 580 से ज्यादा अंक आए थे, उनकी सूची जारी हो और उनके सेंटर्स से उनका मिलान हो।

 

कांग्रेस नेता ने कहा कि हाई स्कोर वाले सेंटर्स की वीडियो रिकॉर्डिंग जारी होनी चाहिए। जो ओएमआर भरा गया था उसका प्रतिरूपण हुआ था या नहीं, इसकी सचाई भी सबके सामने आनी चाहिए। पवन खेड़ा ने ये भी कहा कि जिस तरह से इलेक्टोरल बॉन्ड के आंकड़े पटल पर रखे गए उसी तरह से नीट परीक्षा धांधली से जुड़े सारे आंकड़े भी सार्वजनिक होने चाहिए ताकि किसी के मन में कोई सवाल न रहे। क्योंकि ये 24 लाख बच्चों के भविष्य का सवाल है।

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